इटावा: राजनीतिक दलों के प्रेरणास्रोत बने स्वर्गीय महेंद्र सिंह राजपूत, लोधी वोट के लिए राजनेता फोटो के सहारे मांग रहे वोट

इटावा: राजनीतिक दलों के प्रेरणास्रोत बने स्वर्गीय महेंद्र सिंह राजपूत, लोधी वोट के लिए राजनेता फोटो के सहारे मांग रहे वोट

इटावा। यादवलैंड के रूप मे पहचान रखने वाले उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में विधानसभा चुनाव के दौरान वोट की खातिर लोधी जाति के इकलौते विधायक रहे स्वर्गीय महेंद्र सिंह कई राजनैतिक दलों के प्रेरणाश्रोत बने हुये हैं। एक दशक पहले अलविदा कह चुके हैं महेंद्र सिंह एक दशक पहले कम उम्र में दुनिया को …

इटावा। यादवलैंड के रूप मे पहचान रखने वाले उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में विधानसभा चुनाव के दौरान वोट की खातिर लोधी जाति के इकलौते विधायक रहे स्वर्गीय महेंद्र सिंह कई राजनैतिक दलों के प्रेरणाश्रोत बने हुये हैं।

एक दशक पहले अलविदा कह चुके हैं महेंद्र सिंह

एक दशक पहले कम उम्र में दुनिया को अलविदा कह चुके महेंद्र सिंह राजपूत की पहचान अतिपिछडी जाति के लोकप्रिय नेता के तौर पर रही है। जिले में महेंद्र सिंह राजपूत जैसा राजनैतिक वजूद उनकी जाति से ताल्लुक रखने वाले नेता आज तक बना नहीं सके हैं। इटावा सदर विधानसभा सीट पर तीन दलों के प्रत्याशी दिवंगत पूर्व विधायक की तस्वीर से लोधी राजपूत वोट बैंक साधने में जुटे हुए हैं।

सपा ने की सरकार बनने पर स्मारक बनाने की घोषणा

समाजवादी पार्टी (सपा)के गढ़ माने जाने वाले इटावा की सदर सीट पर राजपूत समाज का लगभग 40 से 45 हजार अनुमानित वोट माना जा रहा हैं। जिसको लेकर सपा-बसपा व आरजेपी के चुनावी पोस्टरों में उनकी फ़ोटो देखने को मिल रही है। सपा ने तो सरकार बनने पर उनके नाम से स्मारक पार्क बनाने की भी घोषणा की है।

दिवंगत महेंद्र सिंह राजपूत की फोटो का इस्तेमाल तीन दलों के चुनाव प्रचार में किया जा रहा है, इसको लेकर उनके बेटे योगेंद्र सिंह ने साफ तौर पर कहा कि उनसे किसी भी दल ने संपर्क नही किया और न ही उन्हे इस मामले की जानकारी है।

महेंद्र सिंह राजपूत जमीनी स्तर के प्रभावी नेता माने जाते थे उनका हर वर्ग हर जाति में अच्छी पकड़ थी, जिसके चलते 2009 में सपा के किले में सेंधमारी करने में सफल हुए थे। राजनीतिक पार्टियों को उनकी क्यों याद आयी इस बात को वोट प्रतिशत के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं।

इटावा सदर सीट पर तीन दलों के प्रत्याशी उनकी फोटो लगाकर चुनाव प्रचार में जुटे हुए है और उनको अपना आदर्श मान रहे हैं। इसके पीछे अहम वजह यही मानी जा रही है कि लोधी राजपूत समाज का एक मुश्त 40 से 50 हजार वोट अनुमानित माना जाता है ।

राजपूत ने सपा से अपने राजनीति की शुरुआत की जिसमें एक बार जिला पंचायत अध्यक्ष और सपा से साल 2002 और 2007 मे टिकट पर चुनाव जीते थे लेकिन सपा से अनबन के बाद 2009 में बसपा के टिकट से समाजवादी पार्टी को ही चुनौती दे डाली और पहली बार बसपा का सदर सीट पर परचम फहरा दिया। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा के रघुराज सिंह शाक्य ने महेंद्र सिंह राजपूत को हराकर पटखनी दे दी।

17 अगस्त 2012 को महेंद्र सिंह राजपूत को दिल का दौरा पड़ा और इटावा की जनता के बीच से एक जमीनी और लोकप्रिय नेता चला गया। पूर्व विधायक के बेटे योगेंद्र सिंह जब इस बारे में जानने की कोशिश की गई तो उन्होने कहा कि वह किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े नही हैं और न ही उनके पिता की फ़ोटो चुनाव में अपने निजी लाभ के लिए फोटो इस्तेमाल करने की किसी ने अनुमति नहीं ली और न ही उनका किसी भी प्रत्याशी को समर्थन या विरोध हैं।

योगेंद्र का मानना है कि उनके पिता जमीनी और लोकप्रिय नेता थे। सपा से उन्होने राजनीति की उन्होंने शुरुआत की थी आखिरी समय में वह बसपा में थे वे सभी वर्ग के नेता थे। इटावा की जनता को उनसे बेहद लगाव था। जिसके लिए अब प्रत्याशी उनकी फोटो लगाकर राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं लेकिन मेरा किसी प्रत्याशी को कोई समर्थन नही है।

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