Valentine Week: नजरें मिलीं, दिल धड़का और प्यार हो गया
जूही/अमृत विचार। नजरें मिली, दिल धड़का और प्यार हो गया। कुछ ऐसी ही कहानी है अनुभव और पलक की। पलक बताती है कि उनकी पहली मुलाकात आंखों ही आंखों में महिला पॉलिटेक्निक में हुई थी, जब अनुभव अपनी बहन को छोड़ने के लिए वहां आए थे। दिल मिले और फिर शुरू हुआ रोजाना दीदार करने …
जूही/अमृत विचार। नजरें मिली, दिल धड़का और प्यार हो गया। कुछ ऐसी ही कहानी है अनुभव और पलक की। पलक बताती है कि उनकी पहली मुलाकात आंखों ही आंखों में महिला पॉलिटेक्निक में हुई थी, जब अनुभव अपनी बहन को छोड़ने के लिए वहां आए थे। दिल मिले और फिर शुरू हुआ रोजाना दीदार करने का सिलसिला। अनुभव रोजाना बहन को कॉलेज छोड़ने व लेने के बहाने आते और पलक से बात करने की कोशिश करते थे। अचानक एक दिन अनुभव ने पलक को प्रपोज कर दिया। पलक अपने भविष्य को लेकर काफी गंभीर थी तो उन्होंने प्रपोजल को स्वीकार नहीं किया, लेकिन अनुभव ने हार नहीं मानी। बहन के फोन से अनुभव ने पलक का नंबर निकाला और यहां से शुरु हुआ फोन पर बात करने का सिलसिला। मोहब्बत की ट्रेन ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी। मिलने के किस्से आम हो गए।
रामनगर का सफर आज भी यादगार…
वेलेंटाइन डे आता है तो वो मोहब्बत के लम्हे फिर ताजा हो जाते हैं। पलक को आज भी वो डेट याद है, जब वह अनुभव के साथ रामनगर स्थित गीर्जादेवी मंदिर गई थी। उन्होंने अनुभव को जीवनसाथी बनाने के लिए मंनत मांगी। इसके बाद पूरा दिन खूब बातें की। इसी बीच दोनों के लुकाछुपी के प्यार की दास्तां घरवालों तक पहुंच गई। प्यार पर पहरा लग गया। पलक को डर था कि कहीं अनुभव को खो न दें। कहीं घरवाले मना न कर दें, लेकिन घरवालों ने रिश्ते पर अपनी रजामंदी दी तो खुशी का ठिकाना न रहा।
वो कहते हैं ना कि प्यार इतनी आसानी से कहां मिलता है…
पलक बताती है कि दोनों की शादी के बीच दहेज रोड़ा बन गया। मध्यम परिवार से होने के चलते दोनों का रिश्ता बनने से पहले ही टूट गया। अब दोनों की परेशानियां बढ़ गई, क्योंकि दोनों से साथ जीने मरने की कसम जो खाई हुई थी। दो साल की मशक्कत के बाद आखिरकार 30 नवंबर 2016 को अनुभव-दिव्या ताउम्र के लिए एक हो गए। अनुभव आज भी पलक से उतना ही प्यार करते हैं।
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