Valentine’s Week : हमें कहां मालूम था इश्क क्या होता है, इक तुम मिले और जिंदगी मोहब्बत बन गई

Valentine’s Week : हमें कहां मालूम था इश्क क्या होता है, इक तुम मिले और जिंदगी मोहब्बत बन गई

हमें कहां मालूम था इश्क क्या होता है, इक तुम मिले और जिंदगी मोहब्बत बन गई… कहते हैं कि प्यार अगर सच्चा हो तो पूरी कायनात उसे आपसे मिलाने में लग जाती है। यह ही साबित कर दिखाया है मुरादाबाद ( महानगर ) के लक्ष्यजीत और खुशी ने। पहली नजर में ही दिवाना बना गई …

हमें कहां मालूम था इश्क क्या होता है, इक तुम मिले और जिंदगी मोहब्बत बन गई… कहते हैं कि प्यार अगर सच्चा हो तो पूरी कायनात उसे आपसे मिलाने में लग जाती है। यह ही साबित कर दिखाया है मुरादाबाद ( महानगर ) के लक्ष्यजीत और खुशी ने। पहली नजर में ही दिवाना बना गई खुशी को अपना बनाना, लक्ष्य के लिए काफी मुश्किल भरा था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। दोनों के प्यार के किस्से परिवार वालों को पता चले तो विरोध भी हुआ। लेकिन, अंतत: प्यार की जीत हुई और बीते साल 21 दिसंबर को जन्मदिन के अवसर पर उनके पिता ने उन्हें गिफ्ट में उनकी ‘खुशी’ सौंपकर मानो दुनिया का सबसे खूबसूरत तोहफा दे दिया।

प्रेमिका का पीछा करते-करते शुरू हुआ मोहब्बत का सफर, 10 साल बाद भी हर वेलेंटाइन डे पर नई यादें और जज्बात लेकर आता है। लक्ष्य और खुशी आज भी हर वेलेंटाइन डे पुराने अंदाज में एक दूसरे को प्यार का इजहार कर मनाते हैं। बात उन दिनों की है, जब दोनों स्कूल में पढ़ रहे थे और एक शादी समारोह में एक-दूसरे से टकरा गए। पहली नजर ने ऐसा जादू चलाया कि लक्ष्य के लिए खुशी को पाना जुनून बन गया।

लक्ष्य ने एक घंटे के अंदर खुशी के विषय में सारी जानकारी निकाली और शुरू हो गया प्यार को पाने की कोशिशों का सफर। स्कूल में पढ़ रही खुशी कब लक्ष्य के लिए रोज का इंतजार बन गई, पता ही नहीं चला। इसके बाद वह हर दिन उनका पीछा करने लगे। धीरे-धीरे दोनों के बीच दोस्ती हुई और वह दोस्ती कब प्यार में बदल गई, दोनों को पता ही नहीं चला। इसके बाद दोनों छिपछिप कर मिलने लगे। प्यार का सिलसिला चल निकला। लक्ष्य अपनी गाड़ी में बैठाकर खुशी को घुमाने लगे।

अभी तक मन में बसी हैं नैनीताल की वो यादें
वैलेंटाइन डे की चर्चा हुई तो लक्ष्य ने चहककर बताया कि हमारी जिंदगी का सबसे खूबसूरत लम्हा 12 दिसंबर 2014 का था। जब घर वालों से चोरी-छिपे पहली बार खुशी को बुलेट पर बैठाकर नैनीताल घुमाया था। दोनों ने वहां खूब मस्ती की। पूरा दिन कब बीत गया, पता ही नहीं चला। इसके बाद पहला वैलेंटाइन डे भी हमारे लिए खास बना था। दिल में घबराहट जरूर थी। लेकिन, मोहब्बत के जज्बे के सामने सब कुछ फीका था।

घर वालों ने लगा दी थी मिलने पर पाबंदी
कहते हैं कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते। यह इश्क भी आखिर कब तक छिपता। खुशी के परिजनों को इसका पता चल गया। परिजनों ने पाबंदियां लगा दीं और दोनों का मिलना -जुलना बंद हो गया। एक पल को लगा कि मोहब्बत की यह कहानी यहां ही खत्म न हो जाए। लेकिन, लक्ष्य को अपने प्यार और ईश्वर पर पूरा विश्वास था। आखिरकार इस प्यार की कहानी को लक्ष्य के पिता ने आगे बढ़ाया। 21 दिसंबर 2021 को दोनों का विवाह संपन्न करवा कर उन्होंने बेटे को गिफ्ट में उसकी ‘खुशी’ सौंप दी। अब वेलेंटाइन डे आया तो लक्ष्य और खुशी का प्यार फिर ताजा हो गया। छह माह की बच्ची के साथ आज भी दोनों का प्यार 10 साल पहले जैसा ही संजीदा है। अब दोनों बी कॉम की पढ़ाई कर रहे हैं।

-जूही दास

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