दो बार अयोध्या आए थे बापू, बजी थीं शहनाइयां…

दो बार अयोध्या आए थे बापू, बजी थीं शहनाइयां…

अयोध्या। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने हत्या कर दी थी। बापू के नाम से प्रचलित 78 वर्षीय गांधी जी की हत्या के बाद पूरा देश स्तब्ध हो गया था। आजादी मिलने के कुछ ही महीनों बाद भारत में हुई इस घटना की चौतरफा निंदा हुई थी। आज गांधी जी …

अयोध्या। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने हत्या कर दी थी। बापू के नाम से प्रचलित 78 वर्षीय गांधी जी की हत्या के बाद पूरा देश स्तब्ध हो गया था। आजादी मिलने के कुछ ही महीनों बाद भारत में हुई इस घटना की चौतरफा निंदा हुई थी। आज गांधी जी को हर जगह याद किया जा रहा है। हर वर्ष 30 जनवरी को बापू की पुण्यतिथि मनाई जाती है। अयोध्या से भी बापू का जुड़ाव रहा है।

महात्मा गांधी को देखने के लिए बेकरार दिखे थे लोग

बापू अपने जीवनकाल में दो बार अयोध्या आए थे। दोनों ही बार उनकी झलक पाने को फैजाबाद के लोग काफी उत्साहित दिखे थे। रेलवे स्टेशन से लेकर सभा स्थल तक लोग सड़कों व छतों पर खड़े होकर उनकी झलक पाने को बेकरार दिखे थे। चौक घंटाघर में शहनाइयां तक बजी थीं। उन्होंने सरयू स्नान भी किया था। गांधी जी की मृत्यु के बाद उनकी अस्थियां भी सरयू जी में प्रवाहित की गई थी।

1921 को बापू की थी ये पहली अयोध्या यात्रा

जानकार बताते हैं कि 20 फरवरी 1921 को उनकी पहली यात्रा के समय जुड़वा शहर अयोध्या-फैजाबाद में जबरदस्त उत्साह था। लोग उनकी ट्रेन आने से घंटों पहले रेलवे स्टेशन से लेकर सभास्थल तक की सड़क व उसके किनारे स्थित घरों की छतों पर जा खड़े हुए थे। हर कोई उनकी झलक पाने को बेताब दिख रहा था। चौक घंटाघर में शहनाइयां बज रही थीं और नारे लगाते थे कि हमें आजाद कराने को गांधी जी आ रहे हैं। सभा फैजाबाद व अयोध्या के बीच स्थित जालपा नाले के पश्चिम और सड़क के उत्तर स्थित मैदान में होनी थी। सूरज ढलने तक उन्होंने सभा खत्म कर ली।

धारा रोड स्थित बाबू शिवप्रसाद की कोठी में रात्रि गुजारने के बाद बापू अगले दिन 22 फरवरी को सरयू स्नान किया। गांधी जी 1929 में विभिन्न प्रांतों का दौरा करते हुए दूसरी बार भी अयोध्या आगमन के मोह से नहीं बच सके। इस बार उन्होंने मोतीबाग में सभा की। इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अपनी पुस्तक द इयर्स चैट चेंजेड द वर्ल्ड में भी महात्मा गांधी के आगमन का जिक्र करते हुए लिखा है कि गांधी जी ने अयोध्या आकर सरयू स्नान तो किया, लेकिन किसी भी मंदिर में दर्शन पूजन करने नहीं गए।

सरयू की पवित्र धारा में बहाई गई थीं गांधी जी की अस्थियां

उन्होंने कभी भी राममंदिर मुद्दे पर कुछ नहीं बोला, जबकि महात्मा के पोते, दार्शनिक रामचंद्र गांधी ने दुनिया में प्राचीनतम आध्यात्मिकता की प्राचीन परंपरा का सम्मान करने के लिए राम-रहीम चबूतरा के निर्माण का सुझाव दिया था। बापू की अस्थियां देश की जिन चुनिंदा पवित्र नदियों में विसर्जित की गईं, उनमें से एक सरयू भी थी। बापू के निधन के कुछ दिनों बाद संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष व कालांतर में आजाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने डॉ. राजेंद्र प्रसाद कई अन्य कांग्रेस पदाधिकारियों के साथ बापू की अस्थियां लेकर अयोध्या आए और सरयू में विसर्जित की।

बापू के आदर्शों का वाहक बना है ज्ञानमंदिर

बापू के अस्थि विसर्जन की स्मृति को जीवंत रखने के उद्देश्य से सरयू तट पर ही गांधी ज्ञानमंदिर की स्थापना की गई और यह मंदिर बापू के विचारों और आदर्शों का गत 70 वर्षों से वाहक बना हुआ है। गांधी ज्ञान मंदिर में ही प्रतिवर्ष बापू की पुण्यतिथि से अगले 15 दिनों के लिए सर्वोदय पखवारा मनाए जाने की परंपरा भी तभी से संचालित है। 1988 में सरयू के इसी तट पर बापू की स्मृति सहेजते हुए उनकी प्रतिमा भी स्थापित की गई।

ये भी पढ़ें: रायबरेलीः सड़क हादसों में दो की मौत, दो घायल

ताजा समाचार

मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नहीं संशोधित वक्फ अधिनियम, सरकार का उद्देश्य अतीत की गलतियों को सुधारने है: किरेन रीजीजू
Waqf act: संशोधित वक्फ अधिनियम मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नहीं, पिछली गलतियों को सुधारने के लिए है- बोले किरेन रिजिजू
Heatwave Alerts: मौसम का हाल हो रहा बेहाल, न जाने कब तक सताएगी ये गर्मी, जानें देश के सात राज्यों में IMD ने जारी किया गर्मी का येलो अलर्ट  
Moradabad : 'निजी स्कूलों द्वारा प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबों के लिए न बनाया जाए अभिभावकों पर दबाव'
पोर्टल में गड़बड़ीः वापस आए 1.16 करोड़, अल्पसंख्यक स्कूल के लिए आवंटित धनराशि पर जालना कलेक्टर ने विभाग को लिखा पत्र
हरदोई: लातों के भूत बातों से कहां मानेगे... मुर्शिदाबाद हिंसा पर बोले सीएम योगी, मामता पर भी साधा निशाना