उत्तराखंड में स्थित हैं चार धाम जहां दर्शन से पहले तप्त कुंड में स्नान की है परंपरा, हर कुंड का है विशेष महत्व

उत्तराखंड में स्थित हैं चार धाम जहां दर्शन से पहले तप्त कुंड में स्नान की है परंपरा, हर कुंड का है विशेष महत्व

देवभूमि उत्तराखंड में स्थापित देवालयों के दर्शन का अपने आप में विशेष महत्व है। यहां प्राकृतिक सौंदर्य के बीच सिद्धपीठों के दर्शन के लिए देश-दुनिया के लोग पहुंचते हैं। इन धामों के दर्शन से पहले यहां स्थित तप्त कुंडों में स्नान की भी परंपरा है। मान्यता है कि इन तप्त कुंडों स्नान के बाद देवदर्शन …

देवभूमि उत्तराखंड में स्थापित देवालयों के दर्शन का अपने आप में विशेष महत्व है। यहां प्राकृतिक सौंदर्य के बीच सिद्धपीठों के दर्शन के लिए देश-दुनिया के लोग पहुंचते हैं। इन धामों के दर्शन से पहले यहां स्थित तप्त कुंडों में स्नान की भी परंपरा है। मान्यता है कि इन तप्त कुंडों स्नान के बाद देवदर्शन से मोक्ष की प्राप्ति के साथ-साथ उत्तम स्वास्थ्य की भी सौगात मिलती है। यही वजह है कि हिमालय की चोटियों में स्थित धामों के बाहर तप्त कुंड में स्नान करना श्रद्धालु नहीं भूलते हैं। प्राकृतिक तौर पर यह कुंड गर्म पानी के स्रोत गंधक से निकलते हैं। गंधक का पानी चर्म रोगों से निदान के लिए काफी फायदेमंद होता है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में गर्म पानी में स्नान से थकावट दूर होता है।

बद्रीनाथ धाम में स्थित तप्त कुंड में स्नान करते श्रद्धालु।

बदरीनाथ धाम में नारद कुंड और सूर्य कुंड
बदरीनाथ में भी दो तप्त कुंड स्थित हैं, जो मंदिर के ठीक नीचे है। इन कुंडों को नारद कुंड और सूर्य कुंड के नाम से जाना जाता है। श्रद्धालु मंदिर में जाने से पहले यहां पर स्नान करते हैं। अमूमन इन कुंडों का तापमान 55 डिग्री सेल्सियस रहता है। सल्फर युक्त पानी के इस कुंड को औषधीय माना जाता है।

आपदा के बाद गौरीकुंड में तैयार किया गया तप्तकुंड।

केदारनाथ धाम से पहले गौरीकुंड में तप्त कुंड
केदारनाथ धाम की यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव गौरीकुंड है। जहां के तप्त कुंड को गौरीकुंड के नाम से जाना जाता है। साल 2013 में आई आपदा में गौरीकुंड पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। आपदा के बाद प्राचीन तप्त कुंड से करीब 50 मीटर दूर और 10 फीट नीचे खिसक गया है। जहां पर गर्म पानी की धारा निकल रही है।

गंगोत्री धाम से पहले गंगनानी में तप्त कुंड में स्नान करते श्रद्धालु।

गंगोत्री धाम से पहले गंगनानी में तप्त कुंड
गंगोत्री धाम से पहले गंगनानी में भी गर्म पानी का कुंड मौजूद हैं। माना जाता है कि इस स्थान पर पाराशर ऋषि ने तपस्या की थी। यहां से श्रद्धालु स्नान कर गंगोत्री पहुंचते हैं।

यमुनोत्री धाम में मौजूद श्रद्धालु।

यमुनोत्री धाम में सूर्य कुंड और विष्णु कुंड
यमुनोत्री और गंगोत्री धाम यात्रा करने वाले श्रद्धालु गंगनानी में बने तप्त कुंड में स्नान करते हैं। यमुनोत्री में मौजूद तप्त कुंड को सूर्यकुंड के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस कुंड में स्नान से यम यातना से मुक्ति मिलती है। जहां श्रद्धालु खौलते पानी में चावल, आलू आदि खाद्य पदार्थ डालते हैं जो कुछ मिनटों में ही पक जाता है। जिसे प्रसाद के रूप में यमुनोत्री मंदिर में चढ़ाया जाता है। यहां सूर्य कुंड से निकलने वाले गर्म पानी की धारा दिव्य शीला से होते हुए दो तप्त कुंडों में जाती है, जहां पर श्रद्धालु स्नान करते हैं।