सितारगंज: चीनी मिल को पीपीपी मोड पर देने में सरकार पर तथ्य छुपाने का आरोप

सितारगंज, अमृत विचार। चीनी मिल को पीपीपी मोड पर देने के लिए सरकार की ओर से जारी निविदा में तथ्यों को छिपाने का आरोप लगाया गया है। किसानों ने उनके हितों की अनदेखी करने की भी बात कही। उन्होंने सीएम पुष्कर सिंह धामी को संबोधित ज्ञापन एसडीएम तुषार सैनी को सौंपा और टेंडर के कुछ …
सितारगंज, अमृत विचार। चीनी मिल को पीपीपी मोड पर देने के लिए सरकार की ओर से जारी निविदा में तथ्यों को छिपाने का आरोप लगाया गया है। किसानों ने उनके हितों की अनदेखी करने की भी बात कही। उन्होंने सीएम पुष्कर सिंह धामी को संबोधित ज्ञापन एसडीएम तुषार सैनी को सौंपा और टेंडर के कुछ बिंदुओं पर आपत्ति जताते हुए संशोधन की मांग की।
मंगलवार को नगर के कृषि उत्पादन मंडी समिति सभागार में संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई। जिसमें किसानों ने कहा कि निविदा में यूएससीएमएचएल (उत्तराखंड शुगर) ने किसानों से तथ्यों को छिपाते हुए उनके हितों का अनदेखा कर पीपीपी मोड पर टेंडर निर्गत किया है। टेंडर खरीदन की तिथि 18 दिसंबर एवं जमा करने की तिथि तीन जनवरी 2022 रखी गई है। उन्होंने टेंडर के कुछ बिंदुओं पर आपत्ति जताते हुए संशोधन की मांग की। कहा कि किसान सहकारी चीनी मिल लिमिटेड उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के अंशधारकों की भागीदारी को सुनिश्चित करते हुए सहकारिता के तहत लगाया गया उपक्रम है। उत्तराखंड शुगर शब्द का एकल प्रयोग करना पूरी तरह से अनुचित है। जो भविष्य में प्रशासन की ओर से एकाधिकार के लिए दुरुपयोग हो सकता है।
उन्होंने कहा कि सरकार से गन्ना उत्पादकों व अंशधारकों की मांग है कि पूर्ण शब्द उत्तराखंड सहकारी चीनी मिल संघ लिमिटेड (सरकार एवं गन्ना कृषक भागीदारी) का प्रयोग किया जाए। टेंडर क्रमांक १२१ क अंतर्गत सरकार की ओर से दिए गए तथ्य पूर्णत: भ्रामक एवं गलत हैं। इनका संशोधन किया जाए। उत्तराखंड शुगर का मिल पर पूर्ण स्वामित्व अधिकार नहीं है, बल्कि यह सहकारी चीनी मिल है। उत्तराखंड शुगर के खिलाफ किसानों की ओर से उच्च न्यायालय में वाद लंबित है।
जिसकी कार्रवाई चल रही है। कहा कि उत्तराखंड शुगर के मुख्य प्रबंधक, प्रशासन व सहकारी चीनी मिल के गन्ना उत्पादकों एवं अंशधारकों की संयुक्त सभा बुलाई जाए। किसानों के मुद्दों पर तथ्यात्मक दृष्टि के आधार पर समझौता हो। इसके बाद टेंडर प्रक्रिया निकले। वहां डॉ. जगदेव सिंह, अमरीक साहनी, अनिरुद्ध राय, गुरसाहब सिंह गिल, गुरसेवक सिंह, जसवंत सिंह जस्सा, सतवंत सिंह बागी, मनजिंदर सिंह भुल्लर, गुरविंदर सिंह, शिवशंकर यादव, खटीमा के किसान नेता प्रकाश तिवारी, नितिन रस्तोगी, राजेंद्र सिंह, राज नारायण मल, मनमोहन सिंह सोहल आदि थे।