आगे की तैयारी

पिछले कुछ महीनों में कोरोना से राहत मिलती दिख रही है। संक्रमितों और मृतकों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। इन दिनों कोरोना संक्रमण के रोजाना करीब सात हजार मामले सामने आ रहे हैं, जबकि मई में प्रतिदिन चार लाख से अधिक नए मामले आ रहे थे। शनिवार को देश में 6987 नए …
पिछले कुछ महीनों में कोरोना से राहत मिलती दिख रही है। संक्रमितों और मृतकों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। इन दिनों कोरोना संक्रमण के रोजाना करीब सात हजार मामले सामने आ रहे हैं, जबकि मई में प्रतिदिन चार लाख से अधिक नए मामले आ रहे थे। शनिवार को देश में 6987 नए मामले दर्ज किए गए।
अब कोरोना के नए स्वरूप ने दस्तक दे दी है। देश में अब तक ओमिक्रान के कुल 422 मामले दर्ज हुए हैं। जानकारों का कहना है कि ओमिक्रान चिंता का विषय जरूर है लेकिन उसे लेकर बहुत घबराने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि इस बार लक्षण बहुत घातक नहीं हैं और मौत के मामले बहुत कम हैं। परंतु केंद्र और राज्य सरकारों को ढिलाई बरतने की आवश्यकता नहीं है। मुश्किल बढ़ाने वाली एक बात यह भी है कि ओमिक्रान संक्रमण को लक्षण रहित बताया जा रहा है।
रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि ये जनशक्ति की ही ताकत और सामूहिक प्रयासों का नतीजा है कि भारत सौ साल में आई सबसे बड़ी महामारी से लड़ सका। आज विश्व में टीकाकरण के जो आंकड़े हैं, उनकी तुलना भारत से करें, तो लगता है कि देश ने कितना अभूतपूर्व काम किया है, कितना बड़ा लक्ष्य हासिल किया है। वैक्सीन की 140 करोड़ डोज़ के पड़ाव को पार करना, उपलब्धि है। इससे पहले प्रधानमंत्री ने शनिवार को घोषणा की थी कि अगले वर्ष 3 जनवरी से 15 से 18 साल की आयु के किशोरों के लिए टीकाकरण अभियान आरंभ किया जाएगा।
उन्होंने कहा था कि 10 जनवरी से स्वास्थ्य कर्मियों, अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों और अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को चिकित्सकों की सलाह पर एहतियात के तौर पर टीकों की खुराक दिए जाने की शुरुआत की जाएगी। ओमीक्रॉन को सजगता, सावधानी, अनुशासन की सामूहिक शक्ति से पराजित करें। प्रधानमंत्री की इन बातों से समझा जा सकता है कि उनका फोकस अब भी अपनी सरकार का प्रचार ही है। प्रधानमंत्री सतर्क रहने को कह रहे हैं, जबकि अभी पांच राज्यों के चुनावों में वे चाहेंगे कि जहां कहीं उनकी रैली हो, लोगों की भीड़ उमड़े।
देश में 16 जनवरी को टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया गया था लेकिन देश की आधी से अधिक आबादी अभी टीके की दूसरी खुराक की प्रतिक्षा में है। जरुरी है कि टीके का कवच और बूस्टर खुराक प्रत्येक नागरिक को उपलब्ध कराई जाए। ऐसे में हालात की मांग यही है कि संक्रमण को सीमित रखने के लिए नए सिरे से प्रयास किए जाएं। देश अग्रिम तैयारी करके रखे।