बरेली: करगैना में ठेकेदार ने खतरे में डाली बीडीए के आवंटियों की जान

बरेली, अमृत विचार। बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) की करगैना आवासीय परियोजना में नाला और सड़क निर्माण का कांट्रेक्ट लेने वाली फर्म ने आवंटियों की जान को खतरे में डाल दी है। बीडीए ने करीब दो साल पहले गाजियाबाद की जिस फर्म को करीब 6.5 करोड़ रुपये से इस प्रोजेक्ट का ठेका दिया था, उसने करीब …
बरेली, अमृत विचार। बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) की करगैना आवासीय परियोजना में नाला और सड़क निर्माण का कांट्रेक्ट लेने वाली फर्म ने आवंटियों की जान को खतरे में डाल दी है। बीडीए ने करीब दो साल पहले गाजियाबाद की जिस फर्म को करीब 6.5 करोड़ रुपये से इस प्रोजेक्ट का ठेका दिया था, उसने करीब 23 फीसदी कम पर टेंडर ले लिया लेकिन अब वह समय से काम पूरा नहीं कर पा रही है।
कॉलानी के अंदर नाले के व्यवस्थित और देरी से हो रहे निर्माण के बीच सड़कों पर भयंकर कीचड़ जमा हो गया है। इससे आए दिन लोग गिरते और घायल होते रहते हैं। कई आवंटियों की तो हड्डियां तक टूट चुकी हैं लेकिन कांट्रेक्टर लेने वाली कंपनी के खिलाफ बीडीए के अधिकारियों की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
बीडीए ने रामगंगानगर कॉलानी के बाद अपनी दूसरी करगैना आवासीय परियोजना को करीब दो साल पहले विकसित करने की कोशिश की थी। इसका पूरा खाका तत्कालीन बीडीए उपाध्यक्ष दिव्या मित्तल ने तैयार किया था चूंकि यह कॉलोनी करीब दो दशक से जर्जर थी, इसलिए इसे नए सिरे से विकसित करना था। उस समय गाजियाबाद की एक फर्म काम लेने की आपाधापी के बीच 23 फीसदी कम लागत पर टेंडर ले लिया।
अब उसे करीब दो करोड़ की लागत से करगैना कॉलोनी से जुएं की पुलिया तक करीब दो किलोमीटर तक नाले का निर्माण कराने के साथ कॉलोनी के अंदर नाले व सड़क आदि के काम कराने हैं लेकिन फर्म ने शुरुआत में कुछ काम तो कराए लेकिन उसके बाद लंबे समय तक काम ठप कर दिया गया। वर्तमान बीडीए उपाध्यक्ष जोगिंदर सिंह ने कांट्रेक्टर पर फिर से शिकंजा कसा तो नाले का काम शुरू कर दिया गया लेकिन कॉलोनी के अंदर बदइंतजामी इस कदर हावी है कि लोगों को जीना मुश्किल हो गया है।
नाला निर्माण के दौरान निकलने वाली मिट्टी-कीचड़ को सड़क पर ही फैला दिया गया है। जलभराव ने आवंटियों की मुसीबत को और बढ़ा दिया है। इसके अलावा नाला निर्माण का काम भी बहुत धीमे चल रहा है। कांट्रेक्टर की लापरवाही हावी है और बीडीए के अधिकारी उस पर कोई शिकंजा भी नहीं कस रहे हैं।
वन विभाग से एनओसी लेने में पिछड़ गया प्रोजेक्ट
बदायूं रोड बीडीए की करगैना आवासीय परियोजना में सबसे ज्यादा दिक्कत ड्रेनेज को लेकर थी। इसके लिए बीडीए ने करगैना कॉलोनी से लेकर जुएं की पुलिया तक करीब दो किलोमीटर तक बड़े नाले का निर्माण कराना था लेकिन इसके लिए पेंच वन विभाग की जमीन को लेकर फंस गया। दिक्कत ये थी कि नाला निर्माण की लागत दो करोड़ रुपये थी लेकिन वन विभाग से उसकी जमीन के लिए एनओसी को 20 लाख रुपये जमा किए जाने थे। बताते हैं कि यह रकम जमा होने के बावजूद वन विभाग से एनओसी न मिलने से नाले का निर्माण काफी समय तक ठप पड़ा रहा।
कांट्रेक्टर बोला-निर्माण का ठेका लिया, कीचड़ साफ करना हमारा काम नहीं
करगैना आवासीय परियोजना में नाला-सड़क का काम लेने वाले गाजियाबाद के कांट्रेक्टर सुनील जैन का कहना है कि करगैना आवासीय परियोजना में हमने नाले के निर्माण का ठेका लिया था लेकिन निर्माण कार्य के दौरान पुराने नाले से पानी व कीचड़ निकल आया है। ये इतना ज्यादा है कि उसे साफ कराना मुश्किल है। वैसे ठेका भी केवल नाले का लिया गया था, कीचड़ साफ करना हमारा काम नहीं है।
करगैना आवासीय परियोजना को लेकर काफी लापरवाही दिखाई जा रही है। कांट्रेक्ट लेने वाली फर्म को कई बार चेताया जा चुका है। मैं फिर से निर्माणाधीन कामों को चेक करूंगा। इस बार कड़ा एक्शन लिया जाएगा। -जोगिंदर सिंह, बीडीए उपाध्यक्ष