हल्द्वानी के रहने वाले रिटायर्ड कर्नल संदीप सैन ने वर्ष 1994 से 96 में जम्मू एंड कश्मीर के उड़ी में बिताए थे बिपिन रावत के साथ पल

हल्द्वानी, अमृत विचार। जम्मू एंड कश्मीर में उड़ी की जमीन के भीतर पूरा दिन गुजारने वाले जवानों के लिए उनके कंपनी के कमांडर का हौसला एक बड़ा हथियार साबित होता था। जवानों की हिम्मत बनकर हर वक्त उनके साथ रहने वाले ऐसे कंपनी कमांडर और कोई नहीं चीफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत थे। …
हल्द्वानी, अमृत विचार। जम्मू एंड कश्मीर में उड़ी की जमीन के भीतर पूरा दिन गुजारने वाले जवानों के लिए उनके कंपनी के कमांडर का हौसला एक बड़ा हथियार साबित होता था। जवानों की हिम्मत बनकर हर वक्त उनके साथ रहने वाले ऐसे कंपनी कमांडर और कोई नहीं चीफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत थे। उनके साथ बिताए हुए हर पल को आज भी हर जवान याद करता है। कई उनके संपर्क में आज भी हैं।
इनमें एक हल्द्वानी के ही रहने वाली हाईकोर्ट में अधिवक्ता रिटायर्ड कर्नल संदीप सैन हैं, जिन्होंने उनके साथ बिताए दो सालों को अपने सेना करियर का सर्वश्रेष्ठ और यादगार हिस्सा माना है। वह बताते हैं कि वर्ष 1994 से 1996 तक वे उनकी कंपनी में थे। उस वक्त बिपिन रावत कंपनी कमांडर हुआ करते थे और वे कैप्टन। उनकी बड़ी खासियत उनका सरल स्वभाव था। वह अपनी कंपनी के सभी जवानों से मिलते थे। उनकी बटालियन में 100 जवाने थे। वह उनसे बात करते थे।
टटोलते थे कि कोई जवान किसी असमंजस की स्थिति से तो नहीं लड़ रहा है। उनकी इस कार्यशैली ने हर जवान को उनका कायल बना दिया था। इसी वजह से उनके साथ रहा हर जवान उनके संपर्क में रहता था और वह भी उसे पूरी अहमियत देते थे। संदीप सैन बताते हैं कि उड़ी में पाकिस्तानी और आतंकबादी दिन में गोलीबारी करते थे।
इसलिए वहां की जमीन के भीतर पूरा दिन गुजारना पड़ता था। इस दौरान कंपनी कमांडर बिपिन रावत सेना के हर जवान से बात करते, उनमें ऊर्जा बढ़ाने और इस पल को जीने का कोई भी अवसर नहीं छोड़ते थे। उनके साथ काम करने वाला हर जवान किसी भी चुनौती को चकनाचूर करने का दम भरता था। संदीप सैन ने बताया कि उनकी सीडीएस रावत से आखिरी मुलाकात दिल्ली में तीन से चार दिसंबर को हुई बैटल ऑनर डोगरा अवार्ड कार्यक्रम में हुई थी। सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाले साधारण स्वभाव के एक सच्चे ईमानदार देश भक्त के रूप में सीडीएस बिपिन रावत को खोना बड़ा सदमा है।
अचानक पहुंच गए घर, बोले भूख लगी है
रिटायर्ड कर्नल संदीप सैन बताते हैं कि सीडीएस बिपिन रावत इतने साधारण स्वभाव के थे कि एक बार वह लखनऊ उनके आवास पर पहुंच गए और बोले यार भूख लगी है। फौरन मेरी पत्नी ने भोजन तैयार किया और फिर हमने एक साथ बैठकर खाना खाया। यह यादगार पल वर्ष 2002 का है, जब सीडीएस रावत दिल्ली में पोस्टेड थे और किसी कार्यक्रम के चलते लखनऊ आए हुए थे।