केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सीओपी26 में पीएम मोदी के भाषण की सराहना की
ग्लासगो/नई दिल्ली। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ब्रिटेन के ग्लासगो में आयोजित अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन ‘सीओपी-26’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन की सराहना की है। मोदी ने सोमवार को घोषणा की थी कि भारत 2070 में निवल शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करेगा। इसके साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत …
ग्लासगो/नई दिल्ली। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ब्रिटेन के ग्लासगो में आयोजित अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन ‘सीओपी-26’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन की सराहना की है। मोदी ने सोमवार को घोषणा की थी कि भारत 2070 में निवल शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करेगा।
इसके साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत एक मात्र देश है जो पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं पर ‘अक्षरश:’ कार्य कर रहा है। यादव ने इसके बाद सोमवार को अपने ‘सीओपी डायरी’ शीर्षक वाले ब्लॉग में लिखा, ” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर दिखा दिया कि भारत एक जिम्मेदार वैश्विक महाशक्ति है और पांच सूत्री जलवायु एजेंडा प्रस्तावित करके जलवायु न्याय की सच्ची भावना के साथ जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में सबसे आगे है।”
यादव ने लिखा, ”आज (सोमवार) ग्लासगो में सीओपी26 शिखर सम्मेलन में ‘राष्ट्रीय बयान’ देते हुए, माननीय प्रधानमंत्री ने दुनिया को याद दिलाया कि विश्व आबादी का 17 प्रतिशत होने के बावजूद, उत्सर्जन के लिए भारत केवल पांच प्रतिशत ही जिम्मेदार है, क्योंकि भारत ने जलवायु परिवर्तन के संकट से ग्रह को बचाने के अपने कर्तव्य को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।” यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने तथाकथित ”जलवायु प्रलय के दिन” को टालने के लिए विकसित अर्थव्यवस्थाओं को उनकी जिम्मेदारियां याद दिलाई।
मोदी ने कहा कि विकसित देशों को जलवायु वित्तपोषण के लिए एक हजार अरब डॉलर देने के अपने वादे को पूरा करना चाहिए और इसकी निगरानी उसी तरह की जानी चाहिए जैसे जलवायु शमन की जाती है।
प्रधानमंत्री ने कहा था, ”भारत उम्मीद करता है कि विकसित देश यथाशीघ्र जलवायु वित्तपोषण के लिए एक हजार अरब डॉलर उपलब्ध कराएंगे और जैसा हम जलवायु शमन की निगरानी करते हैं, हमें जलवायु वित्तपोषण की भी उसी तरह निगरानी करनी चाहिए। वास्तव में न्याय तभी मिलेगा जब उन देशों पर दबाव बनाया जाएगा जो जलवायु वित्तपोषण के अपने वादों को पूरा नहीं कर रहे हैं।”
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