बरेली: संरक्षित की जगह किला नदी को चट कर गए भू-माफिया

बरेली: संरक्षित की जगह किला नदी को चट कर गए भू-माफिया

बरेली, अमृत विचार। जिस नदी को संरक्षित करने की जरूरत है, उस किला नदी की भूमि को भू-माफिया चट कर गए। अपनी जेब भरने के लिए चार से पांच हजार रुपये वर्ग मीटर के हिसाब से नदी की भूमि का सौदा कर सफेदपोश भू-माफिया ने नदी किनारे सैकड़ों मकान खड़े करवा दिए हैं। नगर निगम …

बरेली, अमृत विचार। जिस नदी को संरक्षित करने की जरूरत है, उस किला नदी की भूमि को भू-माफिया चट कर गए। अपनी जेब भरने के लिए चार से पांच हजार रुपये वर्ग मीटर के हिसाब से नदी की भूमि का सौदा कर सफेदपोश भू-माफिया ने नदी किनारे सैकड़ों मकान खड़े करवा दिए हैं। नगर निगम सीमा के बाकरगंज क्षेत्र में तो नदी के बीच में मकान बनवाया जा रहा है। एक नहीं, कई मकान बनवाकर बेचे जा चुके हैं। कब्जा कर भूमि बेचने का खेल एक दो साल से नहीं, दशकों से हो रहा है। राजस्व विभाग और नगर निगम के कर्मचारियों की मिलीभगत से नदी भूमि की खरीद-फरोख्त की जा रही है।

यही वजह है कि सालभर पहले किला नदी की भूमि पर कब्जा करने को लेकर खूब हल्ला मचा। जिलाधिकारी नितीश कुमार के निर्देश पर तहसील सदर की सात सदस्यीय टीम ने 14 अक्टूबर से 1 नवंबर 2020 तक नदी की पैमाइश कर सीमांकन की रिपोर्ट तैयार की, लेकिन नदी पर पक्के और कच्चे मकानों समेत अन्य इमारतों के बने होने की रिपोर्ट फाइलों में ही दबकर रह गयी। नगर निगम के अधिकारियों ने उस रिपोर्ट पर आज तक अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की।

शुक्रवार को रामगंगा नदी में जलस्तर बढ़ने पर जब पानी ने बैक मारा तो किला नदी भी लबालब हो गयी। इस वजह से बाकरगंज क्षेत्र में पानी घुस गया। अमृत विचार की टीम ने जलमग्न क्षेत्रों की स्थिति जानने को दोपहर में बाकरगंज के कई क्षेत्रों की स्थिति परखी तब देखा कि किला नदी किनारे दर्जनों मकान खड़े हैं। बाढ़ आने के बावजूद मकान बनते मिले। यह मकान नदी की भूमि के दायरे में बनाए जा रहे हैं। जबकि इसके चारों ओर पानी भरा था।

किला नदी का यहां पर फैलाव ज्यादा है, इसलिए भू-माफिया ने कब्जा कर लिया है। जो मकान बने हैं, उसकी दीवार नदी से सटी है। सुरक्षा के नाम पर पूरा खिलवाड़ किया जा रहा है। लोगों को यह कहकर मकान बेचे जाते हैं कि इस नदी में पानी नहीं आता है। सालों से इस नदी में थोड़ा ही पानी बहता रहता है लेकिन इस बाढ़ ने मकानों में रहने वालों में दहशत फैला दी है।

नगर निगम सीमा में इन राजस्व गांवों में मिला नदी भूमि पर कब्जा
तत्कालीन तहसीलदार सदर आशुतोष गुप्ता ने उच्चाधिकारियों को भेजी रिपोर्ट में बताया था कि ग्राम गोविंदापुर, सैदपुर हाकिंस, स्वालेनगर, नवदिया, जसौली में किला नदी पर स्थायी और अस्थायी अतिक्रमण मिला है। एक व्यक्ति ने नदी की भूमि पर तीन मकान खड़े कर दिये। एक ने अमरूद का बाग तक बना लिया।

कई बाउंड्रीवाल भी भूमि पर मिली। नगर निगम क्षेत्र में प्रवाहित होने वाली किला नदी राजस्व ग्राम सैदपुर हाकिंस, सुर्खा छावनी के राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं है, लेकिन मौके पर प्रवाहित हो रही है। सैदपुर हाकिंस और स्वालेनगर नवदिया जैसे क्षेत्रों में जहां पर तीव्र गति से नगरीयकरण के कारण निर्माण की प्रक्रियाएं संचालित हुई हैं।

एक साल पहले तैयार हुई नदी की भूमि पर कब्जा करने वालों की रिपोर्ट

राजस्व ग्राम नदी गाटा क्षेत्रफल हेक्टेयर में अतिक्रमित क्षेत्रफल अतिक्रमणकारी का नाम विवरण
गोविंदापुर 329 0.176 0.100 आसिफ रजा, अली रजा अस्थायी अतिक्रमण (अमरुद का बाग)
स्वालेनगर 80 0.076 0.059 हसीन, शमा, इमरान अली, नूरजहां, नसरीन स्थायी अतिक्रमण (मकान व बुनियाद)
जसौली ए. बाहर चुंगी 94 0.948 0.889 यूनिस अस्थायी अतिक्रमण (कृषि कार्य)
जसौली 211 0.228 0.228 आजाद पुत्र सल्लू निवासी बाकरगंज अस्थायी अतिक्रमण (कृषि कार्य)
जसौली मु. बाहर चुंगी 30 1.833 173 वर्ग मीटर जाविर शाह, शकीना निवासी बाकरगंज स्थायी अतिक्रमण (पक्का मकान)
जसौली मु. बाहर चुंगी 30 1.833 0.250 महमूद खां, मुन्नवर खां, लाली निवासी बाकरगंज अस्थायी अतिक्रमण (कृषि कार्य)

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