बरेली: बिन हरियाली शहर बनेगा स्मार्ट

बरेली: बिन हरियाली शहर बनेगा स्मार्ट

बरेली, अमृत विचार। इन दिनों शहर को स्मार्ट बनाने की कवायद चल रही है। सड़कों के चौड़ीकरण से लेकर तमाम विकास कार्य प्रस्तावित हैं। मगर स्मार्ट बनने की कीमत शहर की हरियाली को चुकानी पड़ेगी। आधा दर्जन से अधिक सड़कों का चौड़ीकरण भी किया जाना प्रस्तावित है। नगर निगम ने इन सड़कों से पेड़ हटाने …

बरेली, अमृत विचार। इन दिनों शहर को स्मार्ट बनाने की कवायद चल रही है। सड़कों के चौड़ीकरण से लेकर तमाम विकास कार्य प्रस्तावित हैं। मगर स्मार्ट बनने की कीमत शहर की हरियाली को चुकानी पड़ेगी। आधा दर्जन से अधिक सड़कों का चौड़ीकरण भी किया जाना प्रस्तावित है। नगर निगम ने इन सड़कों से पेड़ हटाने के लिए एनओसी मांगी थी जिसके बाद अब इन पेड़ों को ट्रांसलोकेट किया जाना है।

नगर निगम ने इसके लिए वन विभाग को जमीन भी उपलब्ध करा दी है। मगर सवाल यह खड़ा हो गया है कि वर्तमान में पेड़ों को शहर की प्रमुख सड़कों के किनारे से हटाकर दूर दराज के इलाकों में लगा दिया जाएगा तो आने वाले दिनों में कहीं सांस लेना ही मुश्किल न हो जाए। दूसरी तरफ वन विभाग के अधिकारी पूर्व में ट्रांसलोकेट किए गए पेड़ों को उपलब्धि बताते हुए अपनी ही पीठ थपथपाते हैं।

बता दें कि चौपला से चौकी चौराहा, चौकी चौराहा से कंपनी गार्डन, कंपनी गार्डन से शाहमतगंज, शाहमतगंज से डेलापीर चौराहा, चौकी चौराहा से अय्यूब खां चौराहा तक की सड़कों के चौड़ीकरण का कार्य स्मार्ट सिटी के तहत प्रस्तावित है। इन सड़कों को चौड़ा करने के लिए करीब 750 से 800 पेड़ों को ट्रांसलोकेट किया जाएगा। पेड़ों को इन सड़कों से उखाड़कर सीबीगंज स्थित कान्हा उपवन में लगाया जाएगा। यह पहला मौका नहीं है जब पेड़ों को ट्रांसलोकेट किया जाएगा।

लाल फाटक और डोहरा रोड पर पेड़ों को ट्रांसलोकेट किया जा चुका है। डोहरा रोड पर पेड़ काटने को लेकर आपत्ति जताई गई तो यहां से ट्रांसलोकेशन हल के तौर पर निकाला गया। तबसे लेकर अब तक पेड़ों को काटने से बचाने के लिए ट्रांसलोकेट करना ही एक हल मान लिया गया है।

दिल्ली की एक कंपनी के साथ मिलकर वन विभाग इस काम को अंजाम देता है। इसमें काफी मोटा बजट भी खपता है बावजूद इसके जानकार मानते हैं कि छोटे या कम उम्र के पेड़ों को ट्रांसलोकेट करने के बाद उनके बचे रहने की संभावना अधिक होती है, मगर विशालकाय पेड़ों की छटनी कर उनको ट्रांसलोकेट किया जाएगा तो उनकी सेहत पर असर पड़ेगा। शहर से हटाकर पेड़ों को दूर दराज के इलाकों में लगा देंगे तो लोग शुद्ध हवा और आक्सीजन के लिए आने वाले दिनों में तरसेंगे। दूसरी तरफ कुछ जानकार मानते हैं कि शहर के ट्रैफिक को अगर व्यवस्थित कर लिया जाए तो यह नौबत ही नहीं आएगी।

बदायूं रोड पर भी होना है पेड़ों का ट्रांसलोकेशन
लालफाटक से बदायूं रोड पर सड़क किनारे लगे करीब 1105 पेड़ों में से 750 छोटे बड़े पेड़ों को ट्रांसलोकेट किया जाना है। जो पेड़ ट्रांसलोकेट नहीं हो पाएंगे उन्हे अंतिम विकल्प के तौर पर काटा जाएगा। इस सड़क पर लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़क के चौड़ीकरण का काम किया जाना है। लेकिन अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि यहां से हटाकर पेड़ों को कहां लगाया जाएगा। वन विभाग के अधिकारियों की माने तो इसके लिए जमीन लोक निर्माण विभाग द्वारा उपलब्ध कराई जानी है। बता दें कि करीब साढ़े चार किलोमीटर लंबी इस रोड को फोरलेन किया जाना प्रस्तावित है।

पेड़ों को ट्रांसलोकेट करते वक्त सही जगह का चयन होना जरूरी है। इस प्रक्रिया में पेड़ों की सेहत भी बुरी तरह प्रभावित होती है। इसके अलावा मौजूदा वक्त में अच्छे उपकरणों की भी कमी है, जुगाड़ से पेड़ों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा रहा है। -डा. आलोक खरे, प्रो. वनस्पति विज्ञान

शहर की हरियाली खत्म कर देंगे तो लोग सांस कैसे लेंगे। ट्रांसलोकेशन ही एक मात्र हल नहीं है। ट्रैफिक को भी सुनियोजित तरीके से सही करना होगा, क्योंकि ऐसा करने से पेड़ों को ट्रांसलोकेट करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। -डा. प्रदीप जागर, प्रोफेसर एवं पर्यावरण प्रेमी

पहले विकास के नाम पर पेड़ काटे गए और अब ट्रांसलोकेट किया जा रहा है। शहर की सड़कों के किनारे से पेड़ों को हटाकर स्मार्ट तो बन जाएंगे लेकिन भविष्य में न तो सांस लेने के लिए शुद्ध हवा बचेगी और न किसी राहगीर के लिए पेड़ की छांव मिलेगी। -रजनीश, पर्यावरण प्रेमी

सड़क किनारे लगे पेड़ वातावरण को साफ रखते हैं। वाहनों की संख्या बढ़ने से पहले ही इतना प्रदूषण बढ़ चुका है, अब पेड़ों को हटाकर शहर से दूर ले जाया जा रहा है तो यह प्रकृति से खिलवाड़ करने जैसा ही होगा। -नेहा, पर्यावरण प्रेमी

नगर निगम द्वारा सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है। इसके लिए पेड़ों को ट्रांसलोकेट किया जाएगा। नगर निगम द्वारा पेड़ों को ट्रांसलोकेट करने के लिए सीबीगंज स्थित कान्हा उपवन में जगह उपलब्ध कराई गई है। -वैभव चौधरी, सदर वन रेंजर