लखीमपुर-खीरी: नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रेरित हो शांति स्वरूप ने लड़ी आजादी की जंग

उमेश मिश्र, गोलागोकर्णनाथ, अमृत विचार। शांति स्वरूप मिश्र नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रेरित हो आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे। कई बार जेल भेजा गया। आजादी की जंग के लिए लोगों को एकत्र करते रहे। सुभाषचंद्र बोस द्वारा गठित फारवर्ड ब्लाक के जिला मंत्री रहे। शांति स्वरूप मिश्र का जन्म कपराहा गांव में …
उमेश मिश्र, गोलागोकर्णनाथ, अमृत विचार। शांति स्वरूप मिश्र नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रेरित हो आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे। कई बार जेल भेजा गया। आजादी की जंग के लिए लोगों को एकत्र करते रहे। सुभाषचंद्र बोस द्वारा गठित फारवर्ड ब्लाक के जिला मंत्री रहे।
शांति स्वरूप मिश्र का जन्म कपराहा गांव में पंडित श्याम बिहारी मिश्र और कृष्णा देवी के घर 22 नवंबर 1923 को हुआ था। मिडिल पास करने के बाद राष्ट्रीय, सामाजिक सेवा में कूद पड़े। 1936 में कांग्रेस के साधारण सदस्य बने और ऑल इंडिया कांग्रेस लखनऊ के खुले अधिवेशन में भी शामिल हुए, जिसमें कांग्रेस के अध्यक्ष स्वयं पंडित जवाहरलाल नेहरू मौजूद रहे। नेताजी सुभाषचंद्र बोस से प्रेरित होकर उन्होंने आजादी की लड़ाई में भाग लेना शुरू कर दिया। नेता सुभाषचंद्र बोस ने 1938 में फारवर्ड ब्लाक की स्थापना की थी तो वह उसके सदस्य बनकर जिला मंत्री पद पर भी रहे।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस की गिरफ्तारी के विरोध में चार जुलाई 1940 को गुड़ मंडी लखीमपुर खीरी में एक सभा हुई जिसमें उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया और अंग्रेज सरकार को चुनौती दी। इस पर 14 जुलाई 1940 को उन्हें धारा 380 के तहत गिरफ्तार किया गया। 12 अगस्त 1940 को उन्हें 18 महीने की सजा तथा 50 रुपया जुर्माना कर जेल भेजा गया।
नवंबर 1941 को जेल से रिहा होने के बाद सात-आठ महीने फरार रहकर आजादी की लड़ाई के लिए लोगों को एकजुट करते रहे। 21 जून 1942 को फारवर्ड ब्लाक को फिरंगी सरकार ने गैरकानूनी घोषित कर दिया। 22 जून 1942 को फिर शांति स्वरूप मिश्र के आवास पर अंग्रेज सरकार ने छापा मारा घर की तलाशी लेने के बाद सभी कागजात पुलिस ने कब्जे में लेकर सील कर दिए।
नौ अगस्त 1942 को दोपहर एक बजे रेडियो से समाचार प्रसारित हुआ कि अंग्रेजों भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित किया गया है तो कुछ ही घंटों बाद पांच बजे सायंकाल शांति स्वरूप मिश्र को पुलिस स्टेशन गोला में धारा 26 के तहत गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। 14 जनवरी 1945 तक ढाई वर्ष की अवैध में उन्हें नजरबंद रखा गया। जेल से छूटने के बाद कुछ महीनों के लिए वह जिला कांग्रेस कमेटी के सदस्य बने।
गन्ना किसानों के हित में भी लड़ी लड़ाई
वर्ष 1946 में शांति स्वरूप मिश्र गन्ना विकास समिति गोला के डायरेक्टर चुने गए। गन्ना किसानों को सुविधा दिलाने के लिए 22 जनवरी 1946 को उन्होंने गन्ने की गाड़ियों के सामने लेट कर 48 घंटे के लिए पूर्ण हड़ताल कराकर हिंदुस्थान शुगर मिल्स लिमिटेड गोला खीरी का चक्का जाम करवा दिया और मिल मालिकों के दिल दहला दिए। फलतः गन्ना किसानों को सुविधाएं दी गईं। गन्ना गाड़ी लाने वालों किसानों के ठहरने, पीने के पानी और रोशनी का इंतजाम कराया।
आठ घंटे के अंदर गाड़ी अनिवार्यता चल जाना नियम पारित कराया। 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली। वर्ष 1948 में अखिल भारतीय फारवर्ड ब्लाक के शांति स्वरूप जी पुनः सदस्य चुने गए। वर्ष 1957 में वह प्रशिक्षित अध्यापक के रूप में जिला परिषद विद्यालय में सेवारत हुए किंतु अप्रशिक्षित होने के नाते वर्ष 1973 में पृथक कर दिए गए। स्वतंत्रता सेनानी शांति स्वरूप मिश्र का 25 दिसंबर 1993 कोस्वर्गवास हो गया।