अगर आप भी हैं परेशान, तो पढ़िए… सफाईकर्मी से बैंक अधिकारी बनीं प्रतीक्षा की प्रेरणादायक सक्सेस स्टोरी

अगर आप भी हैं परेशान, तो पढ़िए… सफाईकर्मी से बैंक अधिकारी बनीं प्रतीक्षा की प्रेरणादायक सक्सेस स्टोरी

मुंबई। मुंबई में एसबीआई की शाखा में 20 साल पहले सफाईकर्मी के तौर पर नौकरी शुरू करने वाली प्रतीक्षा टोंडवलकर नामक महिला 37 साल बाद बैंक की असिस्टेंट जनरल मैनेजर बन गई हैं। 10वीं कक्षा की परीक्षा देने से पहले ही 16-साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी। नौकरी शुरू करने के बाद …

मुंबई। मुंबई में एसबीआई की शाखा में 20 साल पहले सफाईकर्मी के तौर पर नौकरी शुरू करने वाली प्रतीक्षा टोंडवलकर नामक महिला 37 साल बाद बैंक की असिस्टेंट जनरल मैनेजर बन गई हैं। 10वीं कक्षा की परीक्षा देने से पहले ही 16-साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी। नौकरी शुरू करने के बाद उन्होंने पढ़ाई पूरी की थी।

20 साल की उम्र में प्रतीक्षा टोंडवलकर ने अपने पति की मृत्यु के बाद भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की मुंबई शाखा एक छोटा-सा काम शुरू किया था। प्रतीक्षा ने उस समय शायद सोचा नहीं होगा कि वह एक दिन इसी बैंक में अधिकारी बन जाएंगी। प्रतीक्षा का यह सफर प्रेरित करने वाला है।

टोंडवलकर ने अपने करियर की शुरुआत एक सफाई कर्मचारी के रूप में की थी। प्रतीक्षा ने जब काम शुरू किया था, तब तक तो प्रतीक्षा ने स्कूल की पढ़ाई भी पूरी नहीं की थी। लेकिन, अपने पति की मृत्यु के बाद उन्होंने अपने और अपने बेटे को बेहतर जिंदगी देने के लिए कड़ी मेहनत की और सफलता के आयाम छुए। प्रतीक्षा के दृढ़ संकल्प, तल्लीनता से अध्ययन और कड़ी मेहनत ने प्रतीक्षा को 37 साल की ‘प्रतीक्षा’ जरूर करवाई, लेकिन उन्हें इस बैंक में असिस्टेंट जनरल मैनेजर की कुर्सी तक पहुंचा दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टोंडवलकर का जन्म 1964 में पुणे में हुआ था। उनके माता-पिता गरीब थे और 10वीं कक्षा की परीक्षा पूरी करने से पहले ही उनकी शादी 16 साल की उम्र में सदाशिव कडू से करवा दी गई।

कडू मुंबई में रहते थे और SBI में बुक बाइंडर थे। एक साल बाद जब उनके पहले बेटे विनायक का जन्म हुआ, तो परिवार ने भगवान को धन्यवाद देने के लिए नवजात बेटे के साथ गांव जाने का फैसला किया। प्रतीक्षा को नहीं पता था कि उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदलने वाली है।

यात्रा के दौरान कडू का एक्सीडेंट हुआ और उनकी मृत्यु हो गई। 20 साल की उम्र में विधवा हुई टोंडवलकर अंदर से पूरी तरह टूट गईं। उन्हें अब अपने और अपने बेटे के लिए जीना था और उसे एक अच्छा जीवन देना था।

टोंडवलकर ने को बताया कि उस समय, मुझे अपने पति का बकाया लेने के लिए एसबीआई की शाखा में जाना पड़ा। मुझे पता था कि मुझे नौकरी करनी है, लेकिन मैं योग्य नहीं थी। इसलिए, मैंने बैंक से नौकरी में मदद करने के लिए कहा ताकि मैं जीवित रह सकूं। तब टोंडवलकर ने बैंक में एक सफाई कर्मचारी के रूप में पार्ट-टाइम नौकरी की।

वह सुबह 2 घंटे तक ब्रांच में झाडू लगाने, वॉशरूम की सफाई करने और फर्नीचर की धूल झाड़ने का काम करती थी, जिससे उन्हें हर महीने 60-65 रुपए मिलते थे। प्रतीक्षा का बाकी टाइम अन्य छोटे-छोटे कामों, मुंबई में जीवन यापन करने और अपने बेटे की देखभाल में निकलता था।

हालांकि, असामान्य रूप से बैंक में एक सफाईकर्मी के रूप में काम करने से टोंडवलकर की आकांक्षाओं को बल मिला। उन्होंने कहा, मुझे पता था कि मैं इस काम के लिए नहीं थी। मैंने लोगों को ऑफिर में काम करते देखा था और मुझे पता था कि मैं उनमें से एक बन सकती हूं।

टोंडवलकर ने सबसे पूछना शुरू कर दिया कि वह अपनी कक्षा 10 की परीक्षा कैसे समाप्त कर सकती हैं। उन्होंने कुछ बैंक अधिकारियों से संपर्क किया, जो उसकी हेल्प के लिए तैयार हो गए। अधिकारियों ने उनकी परीक्षा फॉर्म भरने में मदद की और यहां तक कि उन्हें पढ़ने के लिए एक महीने की छुट्टी भी दी।

प्रतीक्षा की सबसे बड़ी बाधा किताबें और पढ़ने के लिए अन्य सामग्री प्राप्त करना था। सौभाग्य से रिश्तेदारों, दोस्तों और सहकर्मियों ने उन्हें अध्ययन सामग्री दी और उन्हें दसवीं की परीक्षा में 60 प्रतिशत के स्कोर के साथ पास करने में मदद की। उन्होंने बताया कि उन्हें पढ़ने का शौक था और यही काम भी आया।

परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। टोंडवलकर को पता था कि उन्हें अपनी फाइनेंशियल बदहाली से बाहर निकलने और अपने बेटे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बैंकिंग परीक्षा पास करनी होगी। बैंकिंग परीक्षाओं में बैठने के लिए 12वीं पास करना जरूरी होता है।

उन्होंने कहा, मेरी आर्थिक स्थिति खस्ताहाल थी। मैंने मुश्किल से कुछ कमाया… अपने घर को सुरक्षित करना और अपने बेटे की देखभाल करना सबसे जरूरी काम था, लेकिन मुझे इससे बाहर आना पड़ा. जब भी वह (विनायक) बिस्कुट का पैकेट मांगता, मैं बस में से एक स्टॉप पहले उतर जाती थी, ताकि मैं पैसे बचा सकूं और बिस्कुट खरीद पाऊं।

टोंडवलकर ने अपनी बचत की मदद से मुंबई के विक्रोली में एक नाइट कॉलेज में दाखिला लेने का फैसला किया। उसने अपने सहकर्मियों की मदद से स्टडी की और 12वीं की कक्षा पास कर ली।

इसके बाद 1995 में एक नाइट कॉलेज से साइकोलॉजी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. इसके बाद उन्हें बैंक में क्लर्क की नौकरी के तौर पर प्रोमोशन मिला। इसके बाद सीढ़ी-दर-सीढ़ी उन्होंने तरक्की की और आज असिस्टेंट जनरल मैनेजर बन चुकी हैं।

टोंडवलकर के पास अब सेवानिवृत्त होने में दो साल का समय है। एसबीआई के साथ अपने 37 साल के कार्यकाल के दौरान धैर्य और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया, लेकिन यह उनके लिए अंत नहीं है। टोंडवलकर ने 2021 में नेचुरोपैथी का कोर्स पूरा किया और रिटायरमेंट के बाद वह उस ज्ञान को लोगों की सेवा और उपयोग में लाना चाहती हैं।

टोंडवलकर ने आंखों में आंसू लाते हुए कहा, जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं, तो मुझे यह सब असंभव लगता है, लेकिन मुझे खुशी है कि मैंने इसे पा लिया। अगर कोई अवसाद में है या निराश है, तो मेरी कहानी को उन तक पहुंचना चाहिए और उन्हें प्रेरित करना चाहिए।

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