यूपी: साइकिल पर सवार होने की तैयारी में भाजपा के कई विधायक व नेता, साध रहे संपर्क

यूपी: साइकिल पर सवार होने की तैयारी में भाजपा के कई विधायक व नेता, साध रहे संपर्क

लखनऊ। चुनाव करीब आते ही दल-बदल का सिलसिला शुरू हो जाता है। इसी क्रम में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के कई विधायक और पदाधिकारी साइकिल पर सवार होने का मन बना चुके है। माना जा रहा है कि आचार संहिता लागू होने पर सपा में शामिल हो सकते है। साथ …

लखनऊ। चुनाव करीब आते ही दल-बदल का सिलसिला शुरू हो जाता है। इसी क्रम में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के कई विधायक और पदाधिकारी साइकिल पर सवार होने का मन बना चुके है। माना जा रहा है कि आचार संहिता लागू होने पर सपा में शामिल हो सकते है। साथ ही इस मुद्दे पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी खुले मंच से कह चुके है कि कई लोग संपर्क में है लेकिन जिनको जिताऊ समझेंगे, उन्हें ही टिकट देंगे।

भाजपा में काफी दिनों से चर्चा चल रही है कि जिन विधायकों ने अपने क्षेत्र में काम नहीं किया और संगठन की ओर से की गई स्क्रीनिंग में पास नहीं हुए, उनके टिकट निश्चित रूप से काट दिए जाएंगे। जिनकी संख्या 150 के करीब बताई जा रही है। ऐसे में विधायकों में काफी उधल-पुथल मची हुई है और लगातार मुख्यमंत्री की ओर से भी विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जा रहा है। कोविड-19 की दो लहरों के दौरान सरकार-संगठन का दावा है कि जमीनी स्तर पर उन्होंने ही काम किया। शेष किसी दल ने काम नहीं किया।

इधर प्रदेश में सबसे अधिक भाजपा विधायक होने के बावजूद काफी जगहों से ऐसी खबरें सामने आई कि विधायक घर से निकले ही नहीं। ऐसे में सरकार-संगठन की छवि धूमिल हुई। जिसको लेकर उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी। अब जिन विधायकों के टिकट काटने की बात चल रही है, उसमें सबसे पहला नाम माना जा रहा है कि सीतापुर सदर सीट से भाजपा विधायक राकेश राठौर का है, उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की थी।

इस पर सपा की ओर से दावा हुआ कि करीब आठ भाजपा विधायक संपर्क में है। इसका असर विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव में भी देखने को मिला। सपा के 49 विधायकों में से मात्र 48 ने वोट दिए और 12 वोट उन्हें दूसरे विधायकों से मिले। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। इसमें भाजपा के साथ उनके सहयोगी अपना दल के भी विधायक का नाम आ रहा है।

पश्चिम यूपी के आंदोलन का असर

कृषि कानून को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी आंदोलन तेज है और आंदोलन को कम करने में भी वहां के विधायक कोई विशेष प्रभाव नहीं दिखा पाए। इसको लेकर माना जा रहा है कि जिन विधायकों की नकारात्मक रिपोर्ट सामने आएगी, उन्हें हटाकर दूसरे लोगों को टिकट दिया जाएगा। इस कारण भी विधायक अपने लिए दूसरा विकल्प तलाशना शुरू कर दिए है।