UP Election 2022 : बिखरा कांग्रेस का ढांचा, उम्मीदवार उदास

UP Election 2022 : बिखरा कांग्रेस का ढांचा, उम्मीदवार उदास

आशुतोष मिश्र/अमृत विचार। मतदान की तिथि नजदीक आते ही कांग्रेस चर्चा का विषय बन गयी है। बिखरे संगठन के ढांचे और राजनीति के नव सिखिये चेहरों की वजह से प्रचार अभियान परवान नहीं चढ़ पा रहा है। लंबे समय से चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन करने वाले कांग्रेसियों के चेहरे उतरे हुए हैं। विधान सभा मुख्यालयों …

आशुतोष मिश्र/अमृत विचार। मतदान की तिथि नजदीक आते ही कांग्रेस चर्चा का विषय बन गयी है। बिखरे संगठन के ढांचे और राजनीति के नव सिखिये चेहरों की वजह से प्रचार अभियान परवान नहीं चढ़ पा रहा है। लंबे समय से चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन करने वाले कांग्रेसियों के चेहरे उतरे हुए हैं। विधान सभा मुख्यालयों पर भी चुनाव प्रचार सुस्त है। वर्ष 2017 के चुनाव में कांग्रेस का समाजवादी पार्टी का समझौता हुआ था।

मजेदार तो यह कि गठबंधन में जिले में कांग्रेस को एक अदद सीट भी नहीं मिली थी, जबकि साल 1989 के चुनाव के बाद से ही कांग्रेस का प्रदर्शन नेपथ्य में चला गया है। इस बार के चुनाव में पार्टी को उम्मीदवारों का अकाल तक पड़ गया था। यह दीगर है कि पार्टी नियंताओं ने इस समस्य की संभावना का आंकलन कर लिया था, जिसकी वजह से कुछ दावेदारों ने संगठन की जिम्मेदारी छोड़कर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी। शहर सीट पर पार्टी ने पूर्व महानगर अध्यक्ष हाजी रिजवान कुरैशी को मौका दिया है। लेकिन, यहां पार्टी की खींचतान इस अभियान में आड़े आ रही है।

संगठन के प्रभावशााली चेहरे मैदान में अलग- थलग पड़े हुए हैं। संगठन की प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की ससुराल होने की वजह से सभी की निगाह मुरादाबाद की सीटों पर है। मुरादाबाद देहात सीट पर सपा से टिकट नहीं मिलने की स्थित में कांग्रेसी दामन थामने वाले हाजी इकराम कुरैशी का प्रचार आकर्षक है। कुरैशी सपा शासन में राज्यमंत्री और पांच साल विधायक के रूप में क्षेत्र के विकास और समर्थकों से प्रगाढ़ता की वजह से प्रभावी हैं।

यहां कांग्रेसी उम्मीदवार की लड़ाई पर चुनाव का परिणाम निर्भर करेगा। पार्टी ने महिला आरक्षण की शर्त के आधार पर ठाकुरद्वारा से सलमा आगा, बिलारी से कल्पना सिंह और कुंदरकी सीट पर दरक्शा बेगम को मौका दिया है। सलमा आगा का व्यवस्थित प्रचार चर्चा में बना हुआ है। जानकार मानते हैं कि तीनों उम्मीदवारों के लिए मैदान नया है, इसलिए पार्टी का चुनाव प्रचार असरदार नहीं दिख रहा है। समीक्षक मानते हैं कि अधिकतर कांग्रेस उम्मीदवार शहर की गलियों में ही प्रचार करते दिख रहे हैं।

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