ब्रिटिश हुकूमत
उत्तर प्रदेश  बरेली 

बरेली: श्योराज बहादुर को जिंदा या मुर्दा पकड़ना चाहती थी ब्रिटिश हुकूमत

बरेली: श्योराज बहादुर को जिंदा या मुर्दा पकड़ना चाहती थी ब्रिटिश हुकूमत मोनिस खान, बरेली, अमृत विचार : बरेली शहर आजादी की लड़ाई का गढ़ रहा। तमाम ऐसे क्रांतिकारी रहे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और जब देश आजाद हुआ तो सालों गुलामी झेलने के बाद मिले जख्मों को भरने के...
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उत्तर प्रदेश  मुरादाबाद 

मुरादाबाद : जंग-ए-आजादी के नायक थे मौलाना किफायत अली काफी, ब्रिटिश हुकूमत के सामने सीना तान कर हो गए थे खड़े

मुरादाबाद : जंग-ए-आजादी के नायक थे मौलाना किफायत अली काफी, ब्रिटिश हुकूमत के सामने सीना तान कर हो गए थे खड़े मुरादाबाद,अमृत विचार। हमारी आजादी की बुनियाद में कई शहीदों का खून मिला है। उन्हीं में से एक नाम है मौलाना किफायत अली काफी मुरादाबादी। वह जंगे-आजादी के सच्चे योद्धा थे। उन्होंने 1857 की क्रांति में भाग लिया था। छह मई 1858 को आजादी के इस दीवाने को मुरादाबाद की जेल के गेट पर फांसी दे …
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उत्तर प्रदेश  बरेली 

बरेली: रेलवे क्रॉसिंग  बंद किए जाने की सूचना से हड़कंप

बरेली: रेलवे क्रॉसिंग  बंद किए जाने की सूचना से हड़कंप फतेहगंज पूर्वी, अमृत विचार। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान शुरू हुआ हुलास नगरा क्रॉसिंग से रेलवे क्रॉसिंग का नामो निशान मिट जाएगा। इस सूचना से सैकड़ों ग्रामीण विरोध में उतर आए हैं। रेलवे के अधिकारियों की सूचना से गांव में पूरा हड़कंप मचा है। गांव के खेती करने वालों से लेकर रेलवे फाटक पर रोजगार चलाने …
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इतिहास 

ब्रिटिश हुकूमत का नायाब नमूना है उत्तराखंड में बनी 52 डांठ वाली ये नहर

ब्रिटिश हुकूमत का नायाब नमूना है उत्तराखंड में बनी 52 डांठ वाली ये नहर हल्द्वानी, अमृत विचार। हल्द्वानी से सटे फतेहपुर क्षेत्र में बनी बावन डांठ वाली सिंचाई नहर ब्रिटिश शासनकाल के अनूठे निर्माणों में से एक है। यह ऐतिहासिक धरोहर के साथ-साथ पर्यटन का केन्द्र भी है। पत्थरों और चूने की चिनाई से बनी बावन डांठ नहर के नायाब डिजाइन और मजबूती का अंदाजा इस बात से लगाया …
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उत्तराखंड  नैनीताल  हल्द्वानी  इतिहास 

आज भी ब्रिटिश हुकूमत की समयबद्धता की याद दिलाते हैं ये घंटे

आज भी ब्रिटिश हुकूमत की समयबद्धता की याद दिलाते हैं ये घंटे भूपेश कन्नौजिया, मुक्तेश्वर। नैनीताल जिले का छोटा सा पर्यटक स्थल मुक्तेश्वर अंग्रेजों की देन है। डा.अल्फ्रेड लिंगार्ड नामक एक अंग्रेज ने इसकी खोज की और अनुसन्धान कार्यों के लिए इसको चुना। धीरे-धीरे आईवीआरआई (भारतीय पशु चिकित्सा अनुसन्धान संस्थान) अस्तित्व में आया और अनुसंधान कार्य की नयी गाथा लिखते चला गया। खैर हम बात कर रहे …
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