पीलीभीत: नाममात्र बची धान की आवक, फिर भी सात दिन में 34 हजार एमटी से ज्यादा की खरीद 

पीलीभीत: नाममात्र बची धान की आवक, फिर भी सात दिन में 34 हजार एमटी से ज्यादा की खरीद 

पीलीभीत, अमृत विचार। धान खरीद के लक्ष्य तक पहुंचने की चुनौती जिम्मेदारों के सामने बनी हुई है। भले ही धान की आवक अधिकांश क्रय केंद्रों पर न हो रही हो, लेकिन खरीद के आंकड़े बढ़ने का क्रम जारी है। क्रय केंद्रों पर अंगूठे लगाने के लिए किसान पहुंच रहे हैं और रहस्यमय ढंग से खरीद लक्ष्य की ओर बढ़ती दिख रही है। अब तक हुई खरीद को लेकर चुप्पी साधे डिप्टी आरएमओ ने अब मौखिक तौर पर धान खरीद 95 हजार मीट्रिक टन के आसपास पहुंचने की बात कही है।  इस आंकड़े पर ही गौर करें तो सवाल ये है कि जब धान मंडी में पहुंच रहा था। उस वक्त सरकारी केंद्रों पर 60 हजार मीट्रिक टन खरीद करने में 53 दिन लग गए। अब जब धान की आवक ही नाममात्र है, तो 34 हजार मीट्रिक टन से अधिक खरीद करने में महज सात दिन लगे।

इन दिनों में धान खरीद का खेल जनपद में तेजी पकड़ता जा रहा है। एक अक्टूबर को सरकारी खरीद की शुरुआत हुई थी। इसके लिए छह क्रय एजेंसियों के 155 क्रय केंद्र बनाए गए हैं। जिन पर लक्ष्य निर्धारित करते हुए धान खरीद कराई जा रही है। 2.40 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य निर्धारित है। इस तक पहुंचने के लिए अब जिम्मेदार कोई कसर नहीं छोड़ रहे हें। हालांकि इसे लेकर निगरानी और सख्ती पूर्व के सालों की भांति इस बार नहीं है। लक्ष्य से पिछड़ती धान खरीद में लगातार सवाल उठ रहे हैं। खरीद में खेल करने का शोर हर तरफ मचा हुआ है। मगर, जिम्मेदारों ने मानों मूक सहमति दे रखी है। इसकी हकीकत परखने और तस्वीर स्पष्ट करने की जहमत जिम्मेदार नहीं उठा रहे हैं। एक दिन पहले ही मंडी समिति पीलीभीत में बिना धान के पहुंचे किसानों के अंगूठे लगवाकर खरीद को उछाल देने की बात उजागर हुई थी। क्रय प्रभारी भी संदेहास्पद बयान देते नजर आए।  इसके बावजूद  इसकी सुध खरीद से जुड़े जिम्मेदारों ने नहीं ली है।  जिला खाद्य  एवं विपणन विभाग की ओर से पेश किए जा रहे आंकड़े ही पारदर्शिता के दावों पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं। 23 नवंबर तक की खरीद के विभाग के आंकड़ों के अनुसार 60594.75 मीट्रिक टन खरीद हुई थी।  उस वक्त धान की आवक मंडी में बड़ी मात्रा में हो रही थी। आढ़ते गुलजार थीं, लेकिन क्रय केंद्रों पर कम ही किसान धान बेचने पहुंच रहे थे।  नतीजतन 53 दिन में सरकारी खरीद साठ हजार मीट्रिक टन तक पहुंच सकी। अब किसान नेता, आढ़ती हो या फिर किसान..। हर कोई धान नाममात्र बचा होने की बात कह रहा है। मंडी समिति में भी धान की आवक बीते दिनों की अपेक्षा काफी कम है। इसके बाद खरीद के आंकड़े लिखित तौर पर देने से जिम्मेदार बच रहे थे। अब डिप्टी आरएमओ ने मौखिक तौर पर खरीद 95 हजार मीट्रिक टन के आसपास बताई है। यानि इन सात दिन में भले अधिकांश क्रय केंद्रों पर धान नहीं पहुंचा लेकिन खरीद की गति का औसत पूर्व के दिनों से तेजी से बढ़ा है। इन सात दिनों में 34 हजार मीट्रिक टन से अधिक की खरीद कर ली गई है।  फिलहाल डिप्टी आरएमओ विजय कुमार शुक्ल का कहना है कि क्रय केंद्रों पर किसानों का धान खरीदा जा रहा है। 30 नवंबर तक सरकारी क्रय केंद्रों पर धान खरीद 95 हजार मीट्रिक टन के आसपास हो चुकी है।

अब किसके धान के इंतजार में जिम्मेदार खेतों पर हो चुकी गेहूं की बुवाई
धान खरीद लक्ष्य से अभी भी पिछड़ी हुई है। मगर लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे, ऐसा जिम्मेदार दावा कर रहे हैं। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर कौन सा धान क्रय केंद्रों पर पहुंचने का इंतजार किया जा रहा है। जबकि ग्रामीण अंचलों में अधिकांश खेतों पर धान की कटाई काफी समय पहले ही हो चुकी है। खेतों में गेहूं की बुवाई कर दी गई। इसके अलावा कईयों ने अन्य फसलें भी लगाई है।