जंग-ए-आजादी
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जंग-ए-आजादी के वे स्थल जहां जाते ही रोंगटे थर्रा जाते हैं
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By Amrit Vichar
कानपुर। आजादी की पहली लड़ाई नानाराव पेशवा के नेतृत्व में कानपुर से 1857 में शुरू हुई तो यह 1942 तक कुछ इस अंदाज में चलती रही कि इसके प्रमुख पड़ाव का उल्लेख न किया जाए तो कानपुर का जंग-ए- आजादी का इतिहास अधूरा रह जाएगा। क्रांति की पहली चिंगारी बिठूर स्थित नानाराव पेशवा महल से …
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मुरादाबाद: बैसाखी के बल पर लिया था अंग्रेजों से लोहा
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(सलमान खान) मुरादाबाद, अमृत विचार। देश को आजादी यूं ही नहीं मिली। इसके लिए न जाने कितने क्रांतिकारी फांसी के फंदे पर झूले थे और न जाने कितनों ने गोली खाई थीं तब जाकर हमने यह आजादी पाई। देश ऋणी है उन क्रांतिवीरों का जिन्होंने देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए अपना …
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मुरादाबाद : जंग-ए-आजादी के नायक थे मौलाना किफायत अली काफी, ब्रिटिश हुकूमत के सामने सीना तान कर हो गए थे खड़े
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By Amrit Vichar
मुरादाबाद,अमृत विचार। हमारी आजादी की बुनियाद में कई शहीदों का खून मिला है। उन्हीं में से एक नाम है मौलाना किफायत अली काफी मुरादाबादी। वह जंगे-आजादी के सच्चे योद्धा थे। उन्होंने 1857 की क्रांति में भाग लिया था। छह मई 1858 को आजादी के इस दीवाने को मुरादाबाद की जेल के गेट पर फांसी दे …
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