रबीन्द्रनाथ टैगोर
इतिहास  साहित्य  Special 

पुण्यतिथि विशेष: रबीन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार… जो बदल देंगे आपकी जिंदगी, दिखाते हैं जीने की नई राह

पुण्यतिथि विशेष: रबीन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार… जो बदल देंगे आपकी जिंदगी, दिखाते हैं जीने की नई राह कोलकाता। भारतीय राष्ट्रगान के रचयिता, विश्व विख्यात कवि, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धापूर्वक याद कर रहा है। नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर का निधन 7 अगस्त, 1941 में हुआ था। वे ऐसे मानवतावादी विचारक थे, जिन्‍होंने साहित्य, संगीत, कला और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में अपनी …
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साहित्य 

गिन्नी…

गिन्नी… हमारे पंडित शिवनाथ छात्रवृत्ति कक्षा से दो-तीन क्लास नीचे के अध्यापक थे। उनके दाढ़ी-मूंछ नहीं थी, बाल छंटे हुए थे और चोटी छोटी-सी थी। उन्हें देखते ही बच्चों की अन्तरात्मा सूख जाती थी। प्राणियों में देखा जाता है कि जिनके दंश होता है उनके दांत नहीं होते। हमारे पंडित महाशय के दोनों एक साथ थे। …
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साहित्य 

अंतिम प्यार

अंतिम प्यार आर्ट स्कूल के प्रोफेसर मनमोहन बाबू घर पर बैठे मित्रों के साथ मनोरंजन कर रहे थे, ठीक उसी समय योगेश बाबू ने कमरे में प्रवेश किया। योगेश बाबू अच्छे चित्रकार थे, उन्होंने अभी थोड़े समय पूर्व ही स्कूल छोड़ा था। उन्हें देखकर एक व्यक्ति ने कहा-योगेश बाबू! नरेन्द्र क्या कहता है, आपने सुना कुछ? योगेश …
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उत्तर प्रदेश  अयोध्या 

रबीन्द्रनाथ टैगोर ने साहित्य को अंतराराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई: डॉ. मीनू दूबे

रबीन्द्रनाथ टैगोर ने साहित्य को अंतराराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई: डॉ. मीनू दूबे अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में शनिवार को राष्ट्रगान के रचयिता व नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर के जन्म दिवस के अवसर पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। राजा मोहन गर्ल्स पीजी कॉलेज के अंग्रेजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मीनू दूबे ने रबीन्द्रनाथ टैगोर मल्टीफेसटेड सागा आॅफ हिज पर्सनालिटी …
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साहित्य 

एक रात…

एक रात… एक ही पाठशाला में सुरबाला के साथ पढ़ा हूं, और बउ-बउ (छोटी लड़कियों का खेल, जिसमें लड़कियां घूंघट निकालकर बहू बनने का अभिनय करती हैं) खेला हूं। उसके घर जाने पर सुरबाला की मां मुझे बड़ा प्यार करतीं और हम दोनों को साथ बिठाकर कहतीं,‘वाह, कितनी सुन्दर जोड़ी है।’ छोटा था, किन्तु बात का अभिप्राय …
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