श्रीलंकाई संसद 22वें संविधान संशोधन पर अगले हफ्ते करेगी चर्चा, घट जाएंगी राष्ट्रपति की शक्तियां
कोलंबो। श्रीलंका के सांसद संविधान में 22वें संशोधन पर अगले हफ्ते चर्चा करेंगे। इस संशोधन का मकसद संसद को कार्यकारी राष्ट्रपति के मुकाबले अधिक शक्तियां प्रदान करना है। श्रीलंकाई संसद के संचार विभाग ने गुरुवार को कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता छह और सात अक्टूबर को सदन में 22वें संशोधन पर चर्चा करने …
कोलंबो। श्रीलंका के सांसद संविधान में 22वें संशोधन पर अगले हफ्ते चर्चा करेंगे। इस संशोधन का मकसद संसद को कार्यकारी राष्ट्रपति के मुकाबले अधिक शक्तियां प्रदान करना है। श्रीलंकाई संसद के संचार विभाग ने गुरुवार को कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता छह और सात अक्टूबर को सदन में 22वें संशोधन पर चर्चा करने को सहमत हुए हैं।
यह निर्णय गुरुवार सुबह संसद परिसर में अध्यक्ष महिंदा यपा अभयवर्द्धने की अध्यक्षता में हुई कार्य समिति की बैठक में लिया गया। अगर यह संसोधन स्वीकार किया जाता है तो इसे श्रीलंकाई संविधान के 22वें संशोधन के रूप में जाना जाएगा। श्रीलंका का संविधान 1978 में अमल में आया था। सितंबर की शुरुआत में श्रीलंका के उच्चतम न्यायालय ने फैसला दिया था कि 22वें संसोधन से जुड़े विधेयक को सदन में दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जा सकता है, लेकिन कुछ प्रावधानों पर मुहर के लिए राष्ट्रव्यापी जनमत संग्रह की जरूरत पड़ेगी, अगर संविधान के साथ असंगत इन प्रावधानों को विधेयक से बाहर नहीं रखा जाता है तो। इसके बाद सरकार ने कहा था कि बहस योग्य प्रावधानों को संसद में अपनाने के लिए छोड़ दिया जाएगा। 22वें संशोधन से जुड़े मसौदा विधेयक को श्रीलंकाई कैबिनेट ने मंजूरी दी थी और पिछले महीने इसे राजपत्रित किया गया था।
22वां संशोधन देश में चल रही आर्थिक उथल-पुथल के बीच तैयार किया गया था। यह 2020 में स्वीकृत संशोधन 20ए की जगह लेगा, जिसने 19वें संशोधन को समाप्त करते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को असीमित शक्तियां प्रदान की थीं। अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में मार्च के अंत में राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर आंदोलन तेज होने के बाद राष्ट्रपति की शक्तियां घटाने के लिए 22वें संसोधन को अपनाने की मांग जोर पकड़ने लगी थी।
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