गंभीर चिंता

गंभीर चिंता

यूक्रेन में युद्ध के चलते बन रहे अभूतपूर्व हालात गंभीर चिंता पैदा करने वाले हैं। रूसी बलों ने यूक्रेन के एनेर्होदर शहर में हमले तेज कर दिए हैं। इसी क्रम में शुक्रवार की सुबह यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर हुई गोलाबारी के बाद आग लग गई है। इस संयंत्र पर रूसी बलों …

यूक्रेन में युद्ध के चलते बन रहे अभूतपूर्व हालात गंभीर चिंता पैदा करने वाले हैं। रूसी बलों ने यूक्रेन के एनेर्होदर शहर में हमले तेज कर दिए हैं। इसी क्रम में शुक्रवार की सुबह यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर हुई गोलाबारी के बाद आग लग गई है। इस संयंत्र पर रूसी बलों ने कब्जा कर लिया है। संयंत्र में आग लगने के बाद वहां से विकिरण फैलने का खतरा पैदा हो गया है।

यूक्रेन के सरकारी परमाणु नियामक के मुताबिक संयंत्र में इस्तेमाल किए जा चुके परमाणु ईंधन के भंडारण की सुविधा उपलब्ध है। इसके नुकसान से 1986 की चेर्नोबिल दुर्घटना या 2011 में जापान के फुकुशिमा हादसे से भी बदतर दुर्घटना हो सकती है। ब्रिटेन ने परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर रूस के हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने का अनुरोध किया है।

यूक्रेन में स्थिति की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। नार्वे ने इसे पुतिन का पागलपन करार दिया है। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) पहले ही आशंका जता चुकी है कि सैन्य संघर्ष के कारण यूक्रेन में परमाणु ऊर्जा केन्द्रों की सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा हो सकता है।

आईएईए के महानिदेशक रफ़ाल मारियानो ग्रोस्सी ने कहा कि यह पहली बार है जब विशाल, सुस्थापित परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम केन्द्रों के इर्दगिर्द सैन्य टकराव हो रहा है। इस सप्ताह, यूक्रेन की राजधानी कीव में एक रेडियोएक्टिव कचरा निस्तारण केन्द्र पर रूसी मिसाइलें दागी गईं थी। इससे पहले, खारकीव शहर में भी एक निस्तारण केन्द्र के बाहर विद्युत ट्रांसफार्मर को क्षति पहुंचने की ख़बर थी, लेकिन किसी प्रकार की रेडियोएक्टिव सामग्री का फैलाव नहीं हुआ।

संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी ने कहा था कि ये दो घटनाएं दर्शाती हैं कि सशस्त्र संघर्ष के दौरान रेडियोएक्टिव सामग्री को नुक़सान पहुंच सकता है, जिसके गंभीर नतीजे सामने आ सकते हैं। 1986 में चेर्नोबिल में दुनिया की सबसे भीषण परमाणु दुर्घटना हुई थी। पूरे यूरोप में रेडियोधर्मी विकिरण फैल गया था।

यह संयंत्र कीव के उत्तर में 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यूरोप के अधिकांश हिस्सों में विकिरण का असर पड़ने लगा था और अमेरिका तक रेडिएशन पहुंचा था। वह एक वैश्विक आपदा थी। युद्ध की वजह से यदि वह हादसा दोहराया जाता है तो दुनिया में मानव व पर्यावरण को गंभीर खतरे की आशंका है। परमाणु केन्द्रों व आमजन की सुरक्षा व बचाव के लिए रूस को युद्ध विराम के लिए अग्रसर होना चाहिए।