सबसे बड़ी चिंता

यूक्रेन के जापोरिज्जिया शहर पर रूस के ताजा हमले में कम से कम 23 लोगों की मौत हो गई। यह हमला ऐसे समय हुआ है जब रूस ने यूक्रेन के चार क्षेत्रों में जनमत संग्रह कराने के बाद रूस के साथ उनके विलय की घोषणा कर दी है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इसकी निंदा की है। …

यूक्रेन के जापोरिज्जिया शहर पर रूस के ताजा हमले में कम से कम 23 लोगों की मौत हो गई। यह हमला ऐसे समय हुआ है जब रूस ने यूक्रेन के चार क्षेत्रों में जनमत संग्रह कराने के बाद रूस के साथ उनके विलय की घोषणा कर दी है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इसकी निंदा की है। रूस ने यूक्रेन के लुहांस्क, दोनेत्स्क, खेरसान और जापोरिज्जिया में पिछले सप्ताह जनमत संग्रह करवाया था कि वहां के लोग रूस के साथ रहना चाहते हैं या नहीं।

रूस की कार्रवाई से तनाव बढ़ गया है। अमेरिका और पश्चिमी देशों को रूस के खिलाफ कदम उठाने के लिए एक मौका हाथ लग गया है। अमेरिका, कनाडा और जर्मनी ने रूस के खिलाफ नए प्रतिबंधों की बात कही है और कहा है कि जमनत संग्रह अंतर्राष्ट्रीय कानून के विरुद्ध है। यह अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सिद्धांतों का उल्लंघन है। रूस ने 2014 में क्रीमिया प्रायद्वीप को भी इसी तरह हथिया कर अपने में मिला लिया था। युद्ध अब कब और कैसे रुकेगा कोई नहीं जानता।

युद्ध के लंबे समय तक खिंचने की आशंका के मद्देनजर बढ़ते मानवीय संकट और दुनिया में खाद्य संकट के मंडराते खतरे से यही संकेत मिलता है कि यूक्रेन को पश्चिमी देशों द्वारा दी जा रही मदद की विश्वसनीयता दांव पर है। अगर ये युद्ध रुक भी जाता है, तो रूस ने मोटे तौर पर डोनबास क्षेत्र पर अपना क़ब्ज़ा जमा लिया है। इससे रूस को एक सामरिक विजय हासिल हो चुकी है। यूक्रेन को पश्चिमी देशों द्वारा दी जा रही मदद की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

पश्चिमी देशों की मदद के मूल्यांकन के तहत कह सकते हैं कि इस सहयोग के चलते यूक्रेन, रूस से लगातार जंग करते रहने को मजबूर हुआ है और उसे अपनी अर्थव्यवस्था, जनता और भविष्य के रूप में इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। यूक्रेन युद्ध के शुरुआती दिनों में यूरोप और अमेरिका की एकता को रूस पर पलटवार की तैयारी के तौर पर देखा गया था।

पश्चिमी देशों ने यूक्रेन युद्ध को लेकर मिली-जुली सामरिक रणनीति अपनाई। एक तरफ तो उन्होंने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए। वहीं दूसरी तरफ यूक्रेन को मदद कर रहे हैं। रूस के खिलाफ मोर्चाबंदी अब और तगड़ी होगी। रूस भी युद्ध के मैदान से पीछे हटने वाला नहीं है। ये सारी घटनाएं इस बात का संकेत हैं कि युद्ध थमने के हाल-फिलहाल आसार नहीं हैं जबकि इस समय सबसे बड़ी चिंता दुनिया में शांति और स्थिरता कायम होने की होनी चाहिए।

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