अतीत के पन्ने : मुरादाबाद के नाम दर्ज है 1888 की ओलावृष्टि का यह खौफनाक इतिहास

अतीत के पन्ने :  मुरादाबाद के नाम दर्ज है 1888 की ओलावृष्टि का यह खौफनाक इतिहास

आशुतोष मिश्र, अमृत विचार। 30 अप्रैल 1888 के दिन मुरादाबाद पर बड़ी आपदा आई थी। यहां गंभीर प्रकृति की ओलावृष्टि हुई थी। जिस आपदा में यहां के 246 लोग मारे गए थे। 1600 मवेशी और भेड़ों को भी जान चली गयी थी। तब हंस के अंडे, संतरे और क्रिकेट गेंद के आकार के ओले गिरे …

आशुतोष मिश्र, अमृत विचार। 30 अप्रैल 1888 के दिन मुरादाबाद पर बड़ी आपदा आई थी। यहां गंभीर प्रकृति की ओलावृष्टि हुई थी। जिस आपदा में यहां के 246 लोग मारे गए थे। 1600 मवेशी और भेड़ों को भी जान चली गयी थी। तब हंस के अंडे, संतरे और क्रिकेट गेंद के आकार के ओले गिरे थे।

बर्फबारी की वजह से धरती पर दो फीट की ऊंचाई की चादर बिछ गयी थी। इतिहास के पन्ने में यह घटना दर्ज है। इस प्राकृतिक आपदा का विवरण सोशल साइट के पन्नों में भी दर्ज है। सोशल मीडिया और इस तरह की घटनाओं के खोज वाले संग्रहों में इसकी जानकारी दी गयी है। सोशल मीडिया का दावा है कि नए मृत्यु दर रिकॉर्ड की घोषणा विश्व मौसम विज्ञान संगठन 20 मई 2017 में यह बात दर्ज है। जबकि, History.comमें संग्रहीत मूल पांच नवंबर 2012 और 20 दिसंबर 2014 में इसकी जानकारी दी गयी है।

उधर, शीर्ष 10 विचित्र और सबसे चरम भारतीय मौसम विसंगतियां मूल 18 जुलाई 2018 में संग्रहीत है। मौसम विज्ञानी डा.आरके सिंह बताते हैं कि बर्फबारी प्रकृति की तापीय विचलन की घटना है। जब धरती का तापमान शून्य डिग्री से कम और आसमान का तापमान माइनस 36 से 56 होता है तो बर्फ बनने की प्रक्रिया शुरू होती है। पहाड़ी अंचल में इस तरह की घटना होती है। माइनस डिग्री में तापमान के जाने के बाद बर्फ धरती की ओर बढ़ता है।

धरती क्षेत्र का तापमान अधिक होने पर वह पदार्थ पानी में बदलने लगता है। इस वजह से वर्षा होती है। बर्फबारी का यही विज्ञान है। डा.सिंह कहते हैं कि संभव है कि उस दौर में ऐसे हालात बने हों और आपदा आई हो। बताते हैं कि समुद्र तल से 3000 से 3500 मीटर उंचाई वाले स्थान पर इस तरह बर्फ बनता है। पंतनगर की समुद्र तल से ऊंचाई 243 मीटर और मुरादाबाद की इससे कम है।

शाहजहां के पुत्र के मुराद के नाम से जाना गया शहर
मुरादाबाद 600 में मुगल सम्राट शाहजहां के पुत्र मुराद के दौर में स्थापित हुआ। तभी से इसे शहर मुरादाबाद के नाम से जाना जाता है। मुरादाबाद राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से राम गंगा नदी के तट पर स्थित है। यह शहर उत्तरी अमेरिका और यूरोप में पीतल हस्तशिल्प के अपने निर्यात के लिए प्रसिद्ध है। अब इसे ब्रास सिटी (पीतल नगरी) कहा जाता है। इसमें विभिन्न जातियों और धर्मों नागरिक रहते हैं।

पीतल नगरी के रूप में जाना जाता है मुरादाबाद
मुरादाबाद पीतल के काम के लिए प्रसिद्ध है। कारीगरों द्वारा बनाए गए आधुनिक, आकर्षक, और कलात्मक पीतल के बर्तन, गहने और ट्राफियां मुख्य शिल्प हैं। आकर्षक पीतल के बर्तन संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और मध्य पूर्व एशिया जैसे देशों को निर्यात किए जाते हैं। मुरादाबाद से मेन्था का भी निर्यात किया जाता है। ये उत्पाद विदेशी बाजार में बहुत लोकप्रिय है। विशेष रूप से यूरोप, अमेरिका, इटली और अन्य देशों में निर्यात में लोकप्रियता है। लोकप्रियता में वृद्धि के कारण, बड़ी संख्या में निर्यातक अपनी इकाइयां स्थापित किए हैं। राज्य सरकार द्वारा घोषित सात औद्योगिक गलियारों में इस जिले का नाम है। औद्योगिक नीति 1999-2002 में मुरादाबाद एक नाम है।
यह शहर नेशनल हाईवे-9 पर स्थित है। यह मुख्य रेलवे स्टेशन है, जो उत्तरी रेलवे का मंडल मुख्यालय है। रेल और सड़क परिवहन द्वारा दिल्ली, लखनऊ, पटना, हरिद्वार इत्यादि जैसे मुख्य शहरों से यह बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। रामगंगा नदी उत्तर पूर्व में बहती है और शहर के दक्षिण पश्चिम में गागन नदी है।