शहादत का गवाह है पीतलनगरी का शहीद स्मारक, आजादी की लड़ाई में एक किशोर समेत 11 क्रांतिकारी हुए थे शहीद

शहादत का गवाह है पीतलनगरी का शहीद स्मारक, आजादी की लड़ाई में एक किशोर समेत 11 क्रांतिकारी हुए थे शहीद

सलमान खान, अमृत विचार। शहर के मुगलपुरा थाना क्षेत्र स्थित पान दरीबा में बना शहीद स्मारक देश के लिए शहीद हुए क्रांतिकारियों की शहादत का गवाह है। मुरादाबाद के आजादी के दीवानों की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता। जलियावाला बाग कांड की तरह 80 साल पहले 10 अगस्त 1942 को अंग्रेजों की फौज …

सलमान खान, अमृत विचार। शहर के मुगलपुरा थाना क्षेत्र स्थित पान दरीबा में बना शहीद स्मारक देश के लिए शहीद हुए क्रांतिकारियों की शहादत का गवाह है। मुरादाबाद के आजादी के दीवानों की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता। जलियावाला बाग कांड की तरह 80 साल पहले 10 अगस्त 1942 को अंग्रेजों की फौज ने पान दरीबा पर निहत्थे आंदोलनकारियों पर गोलियां बरसाईं थीं। उसी स्थान पर बना शहीद स्मारक इस जंग-ए-आजादी का गवाह है। जहां हर साल स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर शहीदों को नमन किया जाता है।

‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में शहर के लोगों ने भी आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उस समय शहर के हिंदू और मुसलमानों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ी थी। आजादी की लड़ाई में कूदे शहर के लोगों ने भारत छोड़ो आंदोलन 10 अगस्त 1942 को अंग्रेजों से टक्कर ली थी। इस दौरान अंग्रेजों ने इन क्रांतिकारियों पर जो जुल्म ढाए थे, वह इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं।

देश को आजाद कराने के लिए कूदे क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने गिरफ्तार करना शुरू कर दिया था। गिरफ्तारी के विरोध में क्रांतिकारी राम मोहन लाल एडवोकेट, मकसूद अहमद, रामअवतार दीक्षित, झाऊ लाल जाटव समेत अन्य लोगों ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के तहत 10 अगस्त 1942 को पान दरीबा पर झंडा फहराकर अंग्रेजों के खिलाफ जुलूस निकालने की रणनीति बनाई थी। इसके तहत यह जुलूस दरीबा पान, मंडी चौक, अमरोह गेट समेत अन्य स्थानों से होते हुए स्टेशन तक निकलना था। जुलूस का नेतृत्व राम मोहन लाल कर रहे थे। 10 अगस्त को जुलूस में हिस्सा लेने के लिए हजारों की संख्या में लोग पान दरीबा पर इकट्ठा हुए थे।

क्रांतिकारियों ने जुलूस के दौरान जगदीश प्रसाद शर्मा नाम के 11 साल के किशोर को झंडा फहराने के लिए पान दरीबा पर बने खंभे पर चढ़ा दिया था। यह सब देख अंग्रेजों के कप्तान ने पुलिस को आदेश देकर इन क्रांतिकारियों पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी थी। लाठी चार्ज होने के बाद जुलूस में भगदड़ मच गई थी। इसी बीच कुछ लोगों ने पुलिस पर पथराव भी किया था। भगदड़ के दौरान अंग्रेजी कप्तान ने झंडा लगाने के लिए खंभे पर चढ़े 11 वर्षीय किशोर से नीचे उतरने के लिए कहा था, लेकिन आजादी की दीवानगी में 11 वर्षीय किशोर ने खंभे से उतरने पर साफ इंकार कर दिया था। इसके बाद अंग्रेजों की पुलिस ने 11 वर्षीय जगदीश को गोली मार दी थी।

अंग्रेजी पुलिस ने सभी क्रांतिकारियों को घेरकर उन पर गोली चलाना शुरू कर दिया था। गोलीकांड में 11 लोग शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा क्रांतिकारी घायल हुए थे। इस दिन जगदीश प्रसाद शर्मा, झाऊलाल जाटव, प्रेम प्रकाश अग्रवाल, मुमताज तागे वाले व मोतीलाल इस आंदोलन में शहीद हुए थे। अंग्रेजों से देश को आजाद कराने के लिए क्रांतिकारियों की शहादत के बाद भी अन्य साथियों ने हार नहीं मानी थी और अंग्रेजों से मोर्चा लिया। इस दौरान मंडी चौक व दरीबा पान में क्रांतिकारियों का खून सड़कों से लेकर उनके घरों तक फैल गया था।

अगले दिन फिर निकला था जुलूस
10 अगस्त 1942 के दिन पान दरीबा पर हुए गोलीकांड के अगले दिन पान दरीबा से दोबारा जुलूस निकाला गया था। इसका नेतृत्व राममोहन लाल एडवोकेट ने किया था। बताया जाता है कि जुलूस की शुरुआत में सिर्फ 100 लोग शामिल हुए थे, लेकिन बाद में इनकी संख्या हजारों में हो गई थी। क्रांतिकारियों की शहादत के अगले दिन निकला यह जुलूस मंडी चौक, अमरोहा गेट, चौमुखा पुल कोतवाली के सामने से होता हुआ बाजार गंज, गुरहट्टी चौक, परसादी लाल रोड पर से होकर स्टेशन पर पहुंचा था। स्टेशन पर भीड़ ने टिकटघर पर तोड़फोड़ करने के बाद उसे लूट लिया था। इसके बाद अंग्रेजों ने सैकड़ों आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया था।

आधा दर्जन थे गुमनाम शहीद
भारत छोड़ो आंदोलन में शहीद होने वाले क्रांतिकारियों में 11 वर्षीय किशोर समेत पांच लोगों के ही नाम-पते की जानकारी हो पाई थी। इसके अलावा सभी शहीद गुमनाम थे। लोगों ने शहीद क्रांतिकारियों के नाम-पते तलाशने की काफी कोशिश की थी, लेकिन उनका कोई सुराग नहीं लग पाया था। इसके बाद उन लोगों को गुमनाम शहीदों का दर्जा दे दिया गया था। आज तक उन शहीदों के नाम-पते की जानकारी नहीं हो पाई।

घनश्याम पोरवाल के पैर में लगी थी गोली
10 अगस्त को पान दरीबा पर हुए गोलीकांड में गुजराती मोहल्ले के रहने वाले घनश्याम पोरवाल के पैर में गोली लगी थी। शहर में कही भी इलाज न मिलने पर उन्हे इलाज के लिए देहरादून ले जाया गया था। उन्हें देहरादून ले जाते समय रास्ते में काफी दिक्कतें भी आई थीं।

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