Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट को मिला नया नाम, अधिसूचना जारी

Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट को मिला नया नाम, अधिसूचना जारी

नई दिल्ली। ‘केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए साझा उच्च न्यायालय’ जैसे कठिन और जटिल नाम को सरकारी आदेश के बाद बदलकर जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय कर दिया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस बदलाव के लिए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (मुश्किल निवारण) आदेश, 2021 पर हस्ताक्षर किया। कानून मंत्रालय के विधि …

नई दिल्ली। ‘केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए साझा उच्च न्यायालय’ जैसे कठिन और जटिल नाम को सरकारी आदेश के बाद बदलकर जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय कर दिया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस बदलाव के लिए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (मुश्किल निवारण) आदेश, 2021 पर हस्ताक्षर किया। कानून मंत्रालय के विधि विभाग ने शुक्रवार को इस आदेश को अधिसूचित किया।

इसके अनुसार, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून, 2019 को जम्मू-कश्मीर राज्य को केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख में पुनर्गठित करने के लिए लागू किया गया था। आदेश में यह इंगित किया गया है कि कानून में घोषणा की गई कि जम्मू-कश्मीर का उच्च न्यायालय ‘केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए साझा उच्च न्यायालय’ होगा। आदेश में कहा गया है, ”मौजूदा शब्दावली काफी लंबी और जटिल है।

उक्त शब्दावली को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय में बदला जा सकता है, जो उपयोग में आसान होने के साथ-साथ बाकी उच्च न्यायालयों के नाम के अनुरुप होगा, जैसे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, जिसके अधिकार क्षेत्र में पंजाब, हरियाणा राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ आते हैं।”

इस प्रस्ताव पर केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल, केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख के उपराज्यपाल और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से भी सलाह मांगी गई थी। आदेश के अनुसार, ”केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने 27 अक्टूबर, 2020 और केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख के उपराज्यपाल ने 20 अक्टूबर, 2020 को पत्र लिखकर उच्च न्यायालय का नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।”

उसमें कहा गया है, ”केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए साझा उच्च न्यायालय’ की तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने 21 नवंबर, 2020 के एक पत्र में नाम के प्रस्ताव पर कोई आपत्ति नहीं जतायी है।”