53 लाख परिवारों का बिजली बिल माफ करेंगे सीएम चन्नी, कीमत करीब 1200 करोड़

53 लाख परिवारों का बिजली बिल माफ करेंगे सीएम चन्नी, कीमत करीब 1200 करोड़

चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने राज्य में दो केवीए कनैक्शन वाले सभी उपभोक्ताओं के लगभग 1200 करोड़ रूपये के बकाया बिजली बिल माफ करने की घोषणा की है। चन्नी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया जिसके तहत राज्य सरकार 1200 करोड़ रूपये बकाया बिजली …

चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने राज्य में दो केवीए कनैक्शन वाले सभी उपभोक्ताओं के लगभग 1200 करोड़ रूपये के बकाया बिजली बिल माफ करने की घोषणा की है। चन्नी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया जिसके तहत राज्य सरकार 1200 करोड़ रूपये बकाया बिजली बिलों का पाॅवनकॉम को भुगतान करेगी।

सरकार की इस घोषणा से 53 लाख परिवार लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि बिजली बिल न भरने के कारण जिन लोगों के कनैक्शन काटे गये हैं उन्हें अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। ये सभी कनैक्शन मुफ्त बहाल होंगे तथा इसके लिये प्रति कनैक्शन ली जाने वाली 1500 रुपये का शुल्क भी राज्य सरकार वहन करेगी। इसके लिए एक कमेटी गठित की जाएगी जिसमें एक एसडीओ भी शामिल होगा। इस काम में गांव सरपंचों की भी मदद ली जाएगी।

राज्य में बिजली बिल न भरने के कारण लगभग एक लाख कनैक्शन काटे गए हैं। रेत-बजरी माफिया पर नकेल लगाने को लेकर सवाल मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समूचे नेक्सस को खत्म करने की योजना पर काम किया जा रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही रेत-बजरी माफिया खत्म होगा। इस सम्बंध में एक नीति बनाई जाएगी। उल्लेखनीय है कि पिछली कैप्टन अमरिंदर सरकार पर रेत-बजरी माफिया को संरक्षण देने के आरोप लगते रहे हैं और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी इसे लेकर सरकार पर निशाना साधते रहे।

चन्नी ने कहा कि राज्य सरकार वकीलों की एक विशेष टीम तैयार कर रही है जो लम्बित मामलों का अध्ययन कर इनकी अदालतों में ठोस पैरवी करेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी और भ्रष्टाचार जैसे मामलों पर वह ठोस कार्रवाई सुनिश्चित करने के पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा राज्य में मंत्रियों में विभागों के बंटवारे समेत सरकार द्वारा की गई नियुक्तियों को लेकर उनका कोई अड़ियल रवैया नहीं है। किसी काे लगता है कि अगर कोई फैसला गलत अथवा अनुचित है तो उसकी समीक्षा की जा सकती है।

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