छठ: आज अस्तागामी सूर्य को देंगे अर्घ्य, जानें पूजा-विधि, मंत्र और मुहूर्त

छठ: आज अस्तागामी सूर्य को देंगे अर्घ्य, जानें पूजा-विधि, मंत्र और मुहूर्त

चार दिनों तक चलने वाले छठ पूजा में आज तीसरे दिन अस्तागामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ पर्व में सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा होती है। शाम के समय ढ़लते हुए सूर्य को अर्ध्य देने के बाद कल सुबह सूर्यदेव को जल अर्पित कर व्रती अपने व्रत का पारण करेंगे।  छठ का व्रत …

चार दिनों तक चलने वाले छठ पूजा में आज तीसरे दिन अस्तागामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ पर्व में सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा होती है। शाम के समय ढ़लते हुए सूर्य को अर्ध्य देने के बाद कल सुबह सूर्यदेव को जल अर्पित कर व्रती अपने व्रत का पारण करेंगे।  छठ का व्रत महिलाएं और पुरूष दोनों ही श्रृद्धा से करते हैं। यह व्रत माताएं अपनी संतान के सुख-समृद्धि, अरोग्यता और लंबी आयु की कामना के लिए रखा है।

छठ पूजा के लिए सामग्री
प्रसाद रखने के लिए बांस की दो तीन बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने तीन सूप, लोटा, थाली, दूध और जल के लिए ग्लास, नए वस्त्र साड़ी-कुर्ता पजामा, चावल, लाल सिंदूर, धूप और बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, गन्ना जिसमें पत्ता लगा हो, सुथनी और शकरकंदी, हल्दी और अदरक का पौधा हरा हो तो अच्छा, नाशपाती और बड़ा वाला मीठा नींबू, जिसे टाब भी कहते हैं, शहद की डिब्बी, पान और साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन, मिठाई।

अस्तागामी सूर्य को अर्घ्य और पूजा-विधि
कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन घर में पवित्रता के साथ कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं, जिनमें ठेकुआ खासतौर पर प्रसिद्ध है। सूर्यास्त से पहले सारे पकवानों को बांस की टोकरी में भड़कर निकट घाट पर ले जाया जाता है। एक मान्यता यह भी है कि छठ पूजा में सबसे पहले नई फसल का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

इसलिए प्रसाद के रूप में गन्ना फल अर्पण किया जाता है। घाट 4-5 गन्नों को खड़ा कर बांधा जाता है और इसके नीचे दीप जलाये जाते हैं। व्रत करने वाले सारे स्त्री और पुरुष जल में स्नान कर इन डालों को अपने हाथों में उठाकर षष्ठी माता और भगवान सूर्य को अर्ध्य देते हैं। सूर्यास्त के पश्चात सब अपने घर लौट आते हैं।

अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल सप्तमी को सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में फिर डालों में पकवान, नारियल और फलदान रख नदी के तट पर सारे वर्ती जमा होते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद छठ व्रत की कथा सुनी जाती है और कथा के बाद प्रसाद ग्रहण करके व्रती अपना व्रत तोड़ते हैं।

सूर्य मंत्र
ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।

उगते सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा के चौथे दिन पानी में खड़े होकर उगते यानी उदयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसे उषा अर्घ्य या पारण दिवस भी कहते हैं। अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं सात या ग्यारह बार परिक्रमा करती हैं। इसके बाद एक दूसरे को प्रसाद देकर व्रत खोला जाता है। 36 घंटे का व्रत अर्घ्य देकर ही तोड़ा जाता है। व्रत की समाप्ति सुबह अर्घ्य के बाद संपन्न मानी जाती है।

ऐसे करें प्रसाद ग्रहण 
छठ पर्व के दौरान नियमों का पालन करना जरूरी होता है। इस दिन सिर्फ प्रसाद बनाते समय ही नहीं बल्कि खाते समय भी नियमों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। जब खरना के दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति प्रसाद रखता है तो घर के सभी सदस्य शांत रहते हैं और कोई शोर नहीं करते। ऐसा माना जाता है कि शोर होने के बाद व्रती प्रसाद खाना बंद कर देता है। ऐसा भी कहा जाता है कि व्रत करने वाला व्यक्ति ही सबसे पहले प्रसाद ग्रहण करता है उसके बाद ही घर के सभी सदस्य प्रसाद ग्रहण करते हैं।

छठ पूजा अर्घ्य समय और शुभ मुहूर्त
10 नवंबर (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय :17:30:16
11 नवंबर (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय :06:40:10

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