कुत्तों का बदल रहा शारीरिक और मानसिक व्यवहार, इंसानों की तरह चढ़ाने लगे भौहें…नए अध्ययन में हुआ खुलासा
मेलबर्न/टाउंसविले। बहुत से लोग जानते हैं कि आधुनिक कुत्ते ‘ग्रे वुल्फ’ से विकसित हुए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज आधुनिक कुत्तों की जिन 340 से अधिक नस्लों को हम देखते हैं, उनका इतिहास 200 साल पुराना है। कुत्तों को पहली बार 29,000 से 14,000 साल पहले नवपाषाण काल के दौरान पालतू जानवर …
मेलबर्न/टाउंसविले। बहुत से लोग जानते हैं कि आधुनिक कुत्ते ‘ग्रे वुल्फ’ से विकसित हुए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज आधुनिक कुत्तों की जिन 340 से अधिक नस्लों को हम देखते हैं, उनका इतिहास 200 साल पुराना है। कुत्तों को पहली बार 29,000 से 14,000 साल पहले नवपाषाण काल के दौरान पालतू जानवर के तौर पर रखने की शुरुआत हुई थी और तब से ये मनुष्यों से जुड़े रहे हैं। माना जाता है कि ऑस्ट्रेलिया में कुत्तों की एकमात्र देसी नस्ल ‘डिंगो कुत्ते के विकास के भीतर एक अनूठी घटना का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ऑस्ट्रेलिया में पांच से आठ हजार साल पहले इनका आगमन हुआ था। चार देशों के 25 शोधकर्ताओं के सहयोग से ‘साइंस एडवांस’ में प्रकाशित शोध में दिखाया है कि डिंगो आधुनिक कुत्तों की एक प्रारंभिक नस्ल है। कुत्तों का अध्ययन करके पता चला कि कैसे इंसानों के साथ रहकर किस तरह उनके शारीरिक और मानसिक व्यवहार में बदलाव आए हैं, साथ ही साथ उनके जीनोम में परिवर्तनों का निरीक्षण किया है। उदाहरण के लिए, कुत्तों ने हाल में अपनी भौहें चढ़ाने की क्षमता विकसित की है, जो मनुष्यों के साथ अधिक प्रभावी ढंग से संवाद करने के लिए विकसित एक विशेषता है। लेकिन कुछ उदाहरण इतने स्पष्ट नहीं हैं, और केवल कुत्तों के जीनोम में गहराई से देखने पर ही मिल सकते हैं।
उदाहरण के लिए, पिछले वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि स्टार्च को पचाने के लिए कुत्तों को एक विशेष जीन (एमाइलेज 2 बी) की आवश्यकता होती है। कई कुत्तों की नस्लों में इस जीन के कई (कभी-कभी दस से अधिक) डुप्लिकेट होते हैं। हालांकि, भेड़िया और डिंगो में इस जीन की केवल एक कॉपी होती है। आज के युग के कुत्तों में यह दोहराव संभवतः शुरुआती पालतू कुत्तों के लिए आहार में बदलाव के परिणामस्वरूप हुआ है, क्योंकि उन्हें चावल जैसे स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ खिलाए गए होंगे।
‘डिंगो’ एक अलग नस्ल है क्योंकि वे भौगोलिक रूप से पालतू कुत्तों से हजारों वर्षों से अलग-थलग है। हमारे अध्ययन में, हमने आनुवंशिकी का उपयोग यह समझने के लिए किया कि कुत्तों के विकास में डिंगो कहां सही बैठता है, और ऑस्ट्रेलियाई पारिस्थितिक तंत्र में इसकी क्या भूमिका है। लेकिन कुत्ते के इतिहास में डिंगो के स्थान को समझने के लिए, हमें कई उच्च गुणवत्ता वाले जीनोम की भी आवश्यकता थी। इसलिए हमने एक प्रतिनिधि नस्ल के रूप में एक ‘जर्मन शेफर्ड’ जीनोम उत्पन्न किया।
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