बरेली में बन रहा बायोमास ब्रिकेट, वातावरण में ज्यादा कार्बन रोकने में सक्षम

बरेली में बन रहा बायोमास ब्रिकेट, वातावरण में ज्यादा कार्बन रोकने में सक्षम

बरेली, अमृत विचार। वातावरण में फैले कार्बन की अधिकता को कम करने के लिए सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देने के साथ साथ औद्योगिक ब्याॅलरों में भी कोयले का प्रयोग बंद करने की शुरुआत हो गई है। एनसीआर में कोयले के प्रयोग के बाद वहां पर गैस और बायोमास का उपयोग करने लगे हैं। …

बरेली, अमृत विचार। वातावरण में फैले कार्बन की अधिकता को कम करने के लिए सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देने के साथ साथ औद्योगिक ब्याॅलरों में भी कोयले का प्रयोग बंद करने की शुरुआत हो गई है। एनसीआर में कोयले के प्रयोग के बाद वहां पर गैस और बायोमास का उपयोग करने लगे हैं।

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बरेली में भी बायोमास ब्रिकेट का उत्पादन होने लगा है। बरेली से बनकर यह उत्पाद बाहरी जिलों सहित दूसरे प्रदेशों में भी जा रहा है। जिले के उद्यमी को नेडा से मिली सुविधा के बाद उद्यम को चलाने की सफलता की स्टोरी बताने के लिए लखनऊ बुलाकर सम्मानित भी किया गया।

प्लाईवुड फैक्ट्री, पेपर इंडस्ट्री, रबर इंडस्ट्री सहित कई इकाइयों में जहां कोयले का प्रयोग होता है वहां कोयले का प्रयोग कम करने पर सरकार जोर लगा रही है। फिलहाल एनसीआर के कई उद्योगों के लिए कोयले का प्रयोग बंद करा दिया गया है। अब वहां बायोमास ब्रिकेट का प्रयोग किया जा रहा है।

यही बायोमास ब्रिकेट बरेली में भी बन रहा है। अपनी सफलता की कहानी बताने के लिए आईआईए के सलिल बंसल को लखनऊ बुलाया गया। प्रदेश के कई उद्यमियों के बीच उन्होंने बताया कि किस तरह नेडा से लेटर आफ कंफर्ट मिला। उन्हें प्लांट लगाने के लिए मशीन आदि मिली। नेडा के प्लांट से 10 टन ब्रिकेट बनाने के बाद अब उसे बढ़ाकर उन्होंने 20 टन कर लिया है।

सलिल बताते हैं कि रसुइया में उनका प्लांट लगा है। उन्होंने गांव की 12 से 15 महिलाओं को रोजगार भी दे रखा है। पर्यावरण में वेस्ट मैटेरियल जैसे पराली, धान, गेहूं की अधकटी बालियां, प्लाईवुड में प्रयोग होने वाली लकड़ी की छाल, आरामशीन में कटने वाली लकड़ी का बुरादा, इन चीजों को फेंक दिया जाता है या जला देते हैं।

इनका प्रयोग हम बायोमास ब्रिकेट बनाने में करते हैं। बताते हैं कि लकड़ी का बुरादा जलाकर फेंक देते हैं। इससे गंदगी बढ़ती है, लेकिन हम इसे खरीदते हैं। गांव के आसपास के लोग लकड़ी की छाल पराली आदि प्लांट पर बेच जाते हैं। इसके अलावा मूंगफली का छिलका और भुट्ठे की डंठल को भी हम खरीदते हैं।

इससे किसानों को अतिरिक्त आय हो जाती है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचता है। बताया कि प्लांट में वेस्ट मैटेरियल को सुखाकर उसे जलाने योग्य बनाया जाता है और फिर औद्योगिक ब्यॉलर को बेचा जाता है। जहां यह ब्यालर को गर्म करने के लिए इसका प्रयोग करते हैं। इसके प्रयोग से पर्यावरण में कार्बन न्यूटल रहता है और कार्बन को फैलने से रोकता है। सलिल बताते हैं कि यह किलो और क्विंटल में बिकता है। कानपुर उन्नाव की फैक्ट्रियों सहित गोदरेज कंपनी भी उनकी ग्राहक है।

वातावरण में बढ़ते कार्बन का मानव जीवन पर असर
वैज्ञानिकों ने जनप्रतिनिधियों चेतावनी दी है कि वायुमंडल में बढ़ते कार्बन डाई ऑक्साइड के स्तर के देखते हुए इस पर नियंत्रण करने के लिए तुरंत कदम उठाएं। देश में इसका असर होना शुरू हो गया है। एनसीआर में कई औद्योगिक इकाइयों पर कोयले के उत्पादन पर रोक लगा दी गई है।

साथ ही सरकार ने कार्बन क्रेडिट योजना भी चलाई है ताकि उद्यमी किसी भी तरह वातावरण में कार्बन को फैलने से रोके। गाजियाबाद में कुछ औद्योगिक इकाइयों को डीजल का प्रयोग बंद कर दिया गया है। यहां तक कि जेनरेटर चलाने के लिए भी मना कर दिया गया है। क्योंकि कोयला, तेल और गैस के जलने से कार्बन का उत्सर्जन होता है।

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