बरेली: गेहूं की तरह चावल खरीदकर नहीं खाना पड़ेगा महंगा, धान का रकबा बढ़ा

बरेली: गेहूं की तरह चावल खरीदकर नहीं खाना पड़ेगा महंगा, धान का रकबा बढ़ा

बरेली,अमृत विचार। इस बार गेहूं की तरह चावल की कमी जनपद में नहीं होगी। किसानों ने इस बार गन्ने पर ज्यादा फोकस न करते हुए धान की रोपाई ज्यादा की है, ताकि आने वाले समय में महंगा चावल खरीदकर न खाना पड़े। जिले में 1 लाख 56 हजार 73 हेक्टेयर भूमि में धान की रोपाई …

बरेली,अमृत विचार। इस बार गेहूं की तरह चावल की कमी जनपद में नहीं होगी। किसानों ने इस बार गन्ने पर ज्यादा फोकस न करते हुए धान की रोपाई ज्यादा की है, ताकि आने वाले समय में महंगा चावल खरीदकर न खाना पड़े। जिले में 1 लाख 56 हजार 73 हेक्टेयर भूमि में धान की रोपाई की गई है। जबकि गन्ने का रकबा 37 हजार 110 हेक्टेयर कम हो गया।

पेड़ी और नई पौध मिलाकर गन्ना 1 लाख 18 हजार 963 हेक्टेयर में बोया गया है। धान की फसल ज्यादा भूमि में होने से लग रहा है किसान गन्ने की लागत से परेशान हैं। इसके पीछे एक और वजह सामने आ रही है कि गांवों में गन्ना छीलने के लिए मजदूर नहीं मिलते।

केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाओं के तहत मजदूरों को 8 घंटे का रोजगार मिलने के साथ पूरे महीने का राशन फ्री में दिया जा रहा है, इससे भी मजदूर गांव में मजदूरी करना नहीं चाह रहे हैं। जिला कृषि अधिकारी ने 10 अगस्त को खरीफ वर्ष 2022 में विभिन्न फसलों के तहत आच्छादन प्रगति रिपोर्ट जिलाधिकारी कार्यालय भेजी है।

यह रिपोर्ट जिले में कम हो रही बारिश के मद्देनजर तैयार की गई और राहत आयुक्त को भेजी गई है। जिला कृषि अधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार धान के अलावा बरेली जनपद में बाजरा की 8 हजार 15 हेक्टेयर, ज्वार की 162 हेक्टेयर, मक्का की 187 हेक्टेयर भूमि में खेती होती है। इसी तरह उर्द की 7 हजार 81 हेक्टेयर, मूंग की 3 हेक्टेयर, अरहर की 19 हेक्टेयर यानि दलहन की कुल 7 हजार 103 हेक्टेयर भूमि में खेती हो रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि जनपद में कई हिस्सों में तिल की 5 हजार 330 हेक्टेयर, सब्जियां 13 हजार 5 हेक्टेयर भूमि में खेती की गई है। पेड़ी गन्ना 54 हजार 504 हेक्टेयर और गन्ने की नई पौध 64 हजार 458 हेक्टेयर में बोई गई है।

इतनी खाद्य वितरण के बाद उपलब्ध है जिले में

जनपद में धान्य फसलें, दलहन फसलें, तिल, सब्जियां और गन्ना मिलाकर कुल 3 लाख 8 हजार 838 हेक्टेयर भूमि में फसलें हैं। इन फसलों को यूरिया, डीएपी समेत अन्य खाद्य की संजीवनी देकर तैयार करने के लिए 30 सितंबर तक (खरीफ फसल) 1 लाख 35 हजार 535 मीट्रिक टन यूरिया, डीएपी, एनपीके और एमओपी का लक्ष्य रख गया है। 1 अप्रैल से अब तक 80 हजार 648 मीट्रिक टन फर्टिलाइजर का वितरण हो चुका है और 97 हजार 455 मीट्रिक टन खाद्य उपलब्ध है।

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