अयोध्या: महंती के लिए जोर आजमाइश शुरू, ट्रस्ट ने तय किया अध्यक्ष व महंत, दूसरे के समर्थन में पहुंचे हनुमानगढ़ी के नागा और संत

अयोध्या, अमृत विचार। राम घाट स्थित आचार्य पीठ तपस्वी छावनी की महंती के लिए जोर आजमाइश के साथ गोलबंदी शुरू हो गई है। इस पीठ का संचालन करने वाले ट्रस्ट ने गुजरात के दिलीप दास को मंदिर का महंत और ट्रस्ट का अध्यक्ष नामित कर दिया है। वहीं सोमवार को हनुमानगढ़ी के नागा और संत …

अयोध्या, अमृत विचार। राम घाट स्थित आचार्य पीठ तपस्वी छावनी की महंती के लिए जोर आजमाइश के साथ गोलबंदी शुरू हो गई है। इस पीठ का संचालन करने वाले ट्रस्ट ने गुजरात के दिलीप दास को मंदिर का महंत और ट्रस्ट का अध्यक्ष नामित कर दिया है। वहीं सोमवार को हनुमानगढ़ी के नागा और संत तपस्वी छावनी पहुंचे और परमहंस दास को अपना समर्थन दिया।

गौरतलब है कि तपस्वी छावनी के महंत सर्वेश्वर दास के निधन के चलते 12 सितंबर को भंडारा के साथ महंती का कार्यक्रम होना है। नवनियुक्त महंत को कंठी चादर दिया जाना है। इसी बीच छावनी के संचालन के लिए 2019 में गठित तपस्वी परिवाराचार्य श्री तपस्वी जी की छावनी सेवा ट्रस्ट रामघाट की 2 सितंबर को आयोजित ट्रस्ट की बैठक में सर्व सम्मत से कई प्रस्ताव पारित किए गए हैं। ट्रस्ट ने सर्वसम्मति से दिवंगत महंत सर्वेश्वर दास की जगह गुजरात के अहमदाबाद स्थित जमालपुर दरवाजा के जगन्नाथ मंदिर के दिलीप दास को अध्यक्ष चुना है। अध्यक्ष ही मंदिर का पदेन महंत होता है। इसके साथ पुजारी ओमप्रकाश दास को सह उपाध्यक्ष बनाया गया है और हरचरण दास गोंडल वाले की जगह महंत जयराम दास को नियुक्त किया गया है। ट्रस्ट की बैठक में 8 पदाधिकारी मौजूद रहे।

वहीं सोमवार को पचासों की तादात में हनुमानगढ़ी के विभिन्न पट्टी से जुड़े संत और नागा तपस्वी छावनी पहुंचे और छावनी को अपनी गुरुपीठ बताते हुए दिवंगत महंत सर्वेश्वर दास की ओर से 2017 में सरवराकार बनाए गए परमहंस दास को ही महंत मानने की बात कही। हनुमानगढ़ी के महंत ज्ञान दास के शिष्य संजय दास, हेमंत दास के अलावा माधव दास, मामा दास व अन्य ने कहा कि दिवंगत महंत ने सब कुछ पहले से ही तय कर दिया है। इसमें हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उत्तराधिकार के इस विवाद में हनुमानगढ़ी का एक धड़ा और व्यवस्था को संचालित करने के लिए गठित ट्रस्ट तो आमने सामने है ही, दिगंबर अखाड़ा की भी इस गोलबंदी में शामिल होने की आशंका है। उनके कई साधु संत यह कह रहे हैं कि तपस्वी छावनी उनके अखाड़े से संबद्ध है। ऐसे में महंत तय करने का अधिकार भी उनके अखाड़े को है। धर्मनगरी के तमाम अन्य संत भी इस गोलबंदी में पर्दे के पीछे से शामिल हो रहे हैं। फिलहाल छावनी के दिवंगत महंत को जल समाधि के बाद भंडारा और कंठी चादर कार्यक्रम को लेकर परमहंस दास ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर दूसरे धड़े का हस्तक्षेप रोकने की मांग की है।

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