सॉफ्टवेयर पर संग्राम

सॉफ्टवेयर पर संग्राम

इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के जरिये कथित तौर पर देश-दुनिया के कई प्रमुख लोगों की जासूसी कराए जाने का मुद्दा गर्माता जा रहा है। विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला और तेज कर दिया है। मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की …

इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के जरिये कथित तौर पर देश-दुनिया के कई प्रमुख लोगों की जासूसी कराए जाने का मुद्दा गर्माता जा रहा है। विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला और तेज कर दिया है। मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग कर रहा है, जबकि सरकार इसे देश के खिलाफ षडयंत्र बता रही है।

समझा जाता है कि दुनिया भर के लगभग 200 पत्रकारों की जासूसी इस साफ्टवेयर के जरिए हुई है। भारत के संदर्भ में बात करें तो जिन लोगों की जासूसी की गई, उनमें अनेक सरकार के विरोधी तो हैं ही, सत्ता के नजदीकी लोग भी इस सूची में शामिल हैं। द गार्डियन की खबर के अनुसार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को भी संभावित सर्विलांस सूची में दो बार डाला गया था। गांधी के दो नंबरों को संभावित सर्विलांस के लिए चुना गया था।

पेगासस जासूसी की सूची में राहुल गांधी के अलावा राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, चुनाव आयोग के पूर्व अधिकारी अशोक लवासा और प्रसिद्ध विषाणु विज्ञानी गगनदीप कांग का भी नाम है। सूची में केद्र के दो मंत्रियों अश्वनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह पटेल के नाम सबसे ज्यादा चौंकाने वाले हैं। हालांकि, सूची में नाम होने का मतलब ये नहीं कि फोन वास्तव में हैक हुआ था।

फिलहाल तो केन्द्र सरकार ने इस बात से इंकार किया है कि उसके द्वारा किसी की जासूसी कराई जा रही है। विपक्ष कह रहा है कि ये लोकतांत्रिक बुनियाद पर हमला है। इसकी ठीक से जांच होनी चाहिए और जिम्मेदार लोगों की पहचान करके सजा दी जानी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस सिर्फ आरोपों की राजनीति करती है। यह लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र का हिस्सा है।

उल्लेखनीय है कि साफ्टवेयर पेगासस उपयोगकर्ता की अनुमति के बिना उसके फोन का डाटा प्राप्त कर सकता है। वैसे इस मामले में खुद इस कंपनी ने किसी तरह की गैरकानूनी हैकिंग से इंकार किया है। इस परिप्रेक्ष्य में सरकार को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि उसने पेगासस खरीदा है या नहीं। पूरे मामले की सघन जांच आवश्यक है और देश के पत्रकारों, राजनेताओं, जजों या किसी को भी किसी अन्य देशों के ऐसे जासूसी उपकरणों की जद में जाने से बचाए और विपक्ष को भी चाहिए कि बिना जांच के सरकार को बेवजह निशाना न बनाए।

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