हल्द्वानी: भूजल स्तर में भारी गिरावट, नही लगेंगे नए ट्यूबवेल

प्रशांत पांडेय, हल्द्वानी। प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर हल्द्वानी क्षेत्र में अब पानी का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। पर्याप्त बारिश और पहाड़ी स्त्रोतों से पानी की उपलब्धता के बावजूद जमीन के भीतर जलस्तर दिनों दिन घटता जा रहा है। इससे होने वाले खतरे को देखते हुए अब आम लोगों को ट्यूबवेल लगाने पर पूर्णतया …
प्रशांत पांडेय, हल्द्वानी। प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर हल्द्वानी क्षेत्र में अब पानी का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। पर्याप्त बारिश और पहाड़ी स्त्रोतों से पानी की उपलब्धता के बावजूद जमीन के भीतर जलस्तर दिनों दिन घटता जा रहा है। इससे होने वाले खतरे को देखते हुए अब आम लोगों को ट्यूबवेल लगाने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया गया है।
जल संस्थान के अधिकारियों के अनुसार जरुरत पड़ने पर सरकारी ट्यूबेल की बोरिंग कराई जाएगी। इस पर रोक नही है। लेकिन समस्या यह है कि भूजल स्तर घटने से बोरिंग कराना पहले की अपेक्षा बेहद कठिन हो गया है और भूजल स्तर कम होता जा रहा है। बोरिंग के लिए पहले आम तौर पर 145 मीटर की गहराई पर पानी मिल जाया करता था। जबकि वर्तमान में 155 मीटर के बाद भी पानी की पर्याप्त मात्रा नही उपलब्ध हो पा रही है। यदि समय रहते इस समस्या से निपटने के लिए वाटर रिचार्ज की व्यवस्था व्यापक स्तर पर नही कि गई तो गंभीर रुप से जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। केंद्रिय भूजल आयोग द्वारा किए गए रिसर्च में यह बात सामने आई है।
जल संचयन से मिल सकती है राहत
आयोग द्वारा रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिवर्ष 1246 एमएम तक औसतन बारिश होती है। जो भूजल की स्थिती को संतुलित बनाए रखने के लिए बेहद कारगर साबित होता है। लेकिन पर्याप्त बरसात होने के बावजूद भी भूजल स्तर लगातार घट रहा है। इस स्थिती पर काबू पाने के लिए सरकारी तौर पर कोई भी व्यापक प्रयास नही किए जा रहे है। वाटर रिचार्ज के लिए कोई व्यवस्था नही की गई है। हालांकि जल संस्थान के जरिए ग्रामिण क्षेत्रों में इस कुछ जगहों पर छोटे – छोटे गड्ढे बना कर बरसात का पानी संचित किया जाता है।
अब नही लगेंगे नए ट्यूबवेल
भूजल स्तर में गिरावट को देखते हुए भूजल बोर्ड ने नए टयूबवेल की बोरिग कराने पर रोक लगा दी है। ताकि पहले से लगे ट्यूबवेलों को सुचारु रखा जा सके। जल संस्थान द्वारा पिछले दो वर्षों में लोरियासाल मल्ला क्षेत्र में सिर्फ एक ट्यूबवेल की बोरिंग कराई गई है। अधिकारियों के मुतिबिक इससे पहले कालोनाइजरों व बिल्डरों द्वारा पानी 1 से 2 इंच तक की बोरिंग करा दी जाती रही है।
इस समस्या से निजात पाने के लिए संस्थान द्वारा जगह- जगह गड्ढे करा कर बरसात का पानी संचित करने की कवायद की जा रही है। इसके अलावा वाटर रिचार्ज सिस्टम को मजबूत करने के लिए शासन स्तर पर वार्ता हो रही है।-एसके श्रीवास्तव, अधिशासी अभियंता, जल संस्थान, हल्द्वानी