बरेली: सपा का खेल बिगाड़ने वाले दिग्गजों को देना होगा जवाब

बरेली, अमृत विचार। 26 जिला पंचायत सदस्य होने के बाद भी क्रॉस वोटिंग कराकर सपा का खेल बिगाड़ने वाले दो दिग्गज सपा नेता हाईकमान के निशाने पर हैं। सपा जिलाध्यक्ष की गोपनीय रिपोर्ट पर इन पर कार्रवाई तय मानी जा रही है। दूसरे दिन भी चुनाव में हार-जीत को लेकर पार्टी नेताओं व पदाधिकारियों के …
बरेली, अमृत विचार। 26 जिला पंचायत सदस्य होने के बाद भी क्रॉस वोटिंग कराकर सपा का खेल बिगाड़ने वाले दो दिग्गज सपा नेता हाईकमान के निशाने पर हैं। सपा जिलाध्यक्ष की गोपनीय रिपोर्ट पर इन पर कार्रवाई तय मानी जा रही है। दूसरे दिन भी चुनाव में हार-जीत को लेकर पार्टी नेताओं व पदाधिकारियों के बीच मंथन चलता रहा। सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर खासी चर्चा रही। फेसबुक पर कमेंट में कोई सदस्यों को गद्दार बता रहा है तो कुछ पार्टी के कुछ नेताओं पर विश्वासघात का आरोप लगा रहे हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव की बात करें तो 60 सदस्यों में 13 सदस्य होने पर भी भाजपा को 40 वोट मिले। जबकि 26 सीटकर जीतकर सबसे बड़ा दल बनकर उभरी सपा 19 वोट ही ले पाई। शनिवार को चुनावी परिणाम आने के बाद दूसरे दिन रविवार को भी हार-जीत को लेकर मंथन चलता रहा। इसमें पता चला कि कुछ दिन पहले बीमारी का बहाना बताकर चुप्पी साधे एक दिग्गज ने पार्टी का बेड़ा गर्ग करने में कसर नहीं छोड़ी। अपने दो जिला पंचायत सदस्यों को भाजपा के हाथों बेच दिया।
विधानसभा चुनावों में विधायकी के टिकट की इच्छा रखने वाले एक नेताजी की चर्चा जोरों पर है जो पार्टी से अलग होने पर सपा से लंबे समय से नाराज हैं। सोशल मीडिया पर भी इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार प्रत्याशी विनीता गंगवार को जिताने में इसलिए कामयाब नहीं हो सके, क्योंकि वह जिन नेताओं को अपना खास मानकर बैठे थे, उन्होंने ही अंतिम समय में विश्वासघात कर दिया।
भाजपा को जिताने में सपा का रहा अहम रोल
खुद के 26 सदस्य होने पर सपा को पूरा भरोसा था कि निर्दलीय का समर्थन मिलने की वजह से उनका प्रत्याशी ही चुनाव जीतेगा, लेकिन चुनाव नतीजों ने साफ कर दिया कि भाजपा की प्रतिष्ठा बचाने में सपा के जिला पंचायत सदस्यों का अहम रोल रहा। सपा के कम से कम सात सदस्यों ने क्रॉस वोटिंग की। इनमें चार से पांच सदस्य तो एक पूर्व विधायक व पूर्व जिलाध्यक्ष के करीबी बताए जाते हैं। दूसरी तरफ मतगणना में जो एक वोट रद हुआ, उसे भी भाजपा की सोची समझी रणनीति बताया जा रहा है।
अपनों की बगावत से हारी सपा
भितरघात और आपसी खींचतान के चलते लंबे समय से सपा में गुटबाजी हावी है। पार्टी में कोई किसी को नेता मानने को तैयार नहीं है। सीनीयर-जूनियर की लड़ाई तो अक्सर ही देखी जा रही है। इधर, पार्टी सूत्रों का कहना है जिन पर आंखें मूंदकर भरोसा किया उन्होंने ही चुनाव में बेवफाई दिखा दी। उनके बगावती तेवरों से भी साफ हो चुका था, लेकिन पार्टी पदाधिकारी उनके मंसूबों का समझ नहीं सके। नतीजतन, सपा को इस चुनाव में जोर का झटका लगा। अब सपा हाईकमान भी चुनाव में बगावत करने वालों के साथ ही भितरघात करने वालों को चिन्हित कर रहा है। इधर, इस हार के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। पार्टी की गुटबंदी आने वाले दिनों में और चरम पर पहुंचने की संभावना है।
हार पर लखनऊ में मंथन करेगी सपा, मांगी रिपोर्ट
जिला पंचायत चुनाव में मिली हार पर सपा ने मंथन शुरू कर दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने प्रदेश के जिन जिलों में सपा की जिला पंचायत के चुनाव में हार हुई है वहां के जिलाध्यक्ष, महानगर अध्यक्ष व जिला महासचिव से रिपोर्ट तलब की है। हार की वजह के कारणों का विवरण मांगने के साथ ही सात जुलाई तक रिपोर्ट भेजने को कहा है। इधर, हाईकमान के सक्रिय होते ही पार्टी के बड़े पदाधिकारियों की चिंता बढ़नी शुरू हो गई है।
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के परिणाम आने के बाद हार-जीत को लेकर मंथन किया गया। इसमें पार्टी के प्रत्याशी को हराने में कुछ नेताओं की भूमिका संदिग्ध मिली है। इसकी गोपनीय रिपोर्ट तैयार कर हाईकमान को भेज दी गई है। दगाबाज नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने का अनुरोध भी किया गया है। हालांकि अंतिम फैसला हाईकमान के स्तर से ही होगा। अगम मौर्य, जिलाध्यक्ष