बरेली: हजारों कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहराया, बांस और बेंत के 30 कारखाने बंद

बरेली, अमृत विचार। कच्चे माल के दाम में लगातार बढ़ोतरी के बाद बरेली की खास पहचान बांस और बेंत का कारोबार बंदी की कगार पर पहुंच गया है। इस कारोबार से जुड़े 30 कारोबार अब तक बंद हो चुके हैं। पेशे से जुड़े हजारों कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है। बरेली शहर …
बरेली, अमृत विचार। कच्चे माल के दाम में लगातार बढ़ोतरी के बाद बरेली की खास पहचान बांस और बेंत का कारोबार बंदी की कगार पर पहुंच गया है। इस कारोबार से जुड़े 30 कारोबार अब तक बंद हो चुके हैं। पेशे से जुड़े हजारों कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है।
बरेली शहर झुमके और सुरमा के साथ बांस कारोबार के लिए भी जाना जाता है मगर मौजूद समय में बांस की कारीगरी की चमक फीकी पड़ती जा रही है। बाजारों में लकड़ी और स्टील के बने सामान सस्ते में उपलब्ध हैं। जिसके चलते बांस और बेंत से बने उत्पाद लोग ज्यादा नहीं खरीदते। एक फर्नीचर बनाने में आठ दिन का समय लग जाता है। इसलिए कीमत भी ज्यादा रहती है।
करीब पांच साल पहले बांस और बेत से बने सोफा सेट, रैक, कुर्सी, स्टूल, डाइनिंग टेबल, शीशा, फ्रेम, झूला आदि कई चीजों की मांग रहती थी। शहर से हर माह करीब 1 हजार गाड़ी माल बाहर भेजा जाता था। यह माल पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और मुबई आदि जगह जाता था मगर अब 100 से 200 ही गाड़ी ही जा पा रही हैं। लाकडाउन में ये भी बंद था। कारखाना संचालक इश्हाक का कहना है कि सामान को जितने दाम में खरीदते हैं, उतने में मेहनताना भी नहीं मिल पाता है।
पूरे जिले में होता है काम
बांस और बेंत का काम जिले के हर क्षेत्र में होता है। शहर में हजियापुर, पुराना शहर, कांकर टोला, जगतपुर, आजमनगर, सीबीगंज, मथुरापुर, बिधौलिया, मीरगंज, परतापुर समेत अन्य जगह पर बड़े पैमाने पर बास और बेंत का कारोबार होता है मगर कच्चे माल पर कीमत बढ़ने और लगातार दो साल तक कोरोना संकट के चलते काम पर मंदी छा गई है।
असम से आती है कच्चे माल की सप्लाई
कच्चे माल की सप्लाई असम से आती है मगर अब लाकडाउन के चलते बाहर से ट्रांसपोर्ट का काम बंद होने से माल नहीं आ पा रहा है। बरेली के बांस की शहर में कम डिमांड रहती है। इमरजेंसी के समय में शहर से बांस खरीदकर माल तैयार कर लिया जाता है।
“कच्चे माल पर कीमत पर बढ़ गई है। लाकडाउन में काम पर मंदी छा गई है। जिसके चलते काम पर कुछ कमी आई है। बाहर से कच्चा माल भी नहीं आ पा रहा है।” -निजाकत हुसैन, बेत कारोबारी
“पिछले 40 साल से पिताजी बेत का काम करते थे। अब बेंत का कटान बंद होने से बांस का काम शुरू कर दिया है। पिताजी के साथ अब काम कर रहा हूं। अब लगातार दो साल लाकडाउन से काम पर फर्क पड़ा है।” -मो. इस्लाम ,कारीगर
“बांस और बेंत के कारोबार पिछले साल से काफी मंदी छाई है। इसकी वजह है कि बाजार में प्लास्टिक और स्टील फर्नीचर काफी सस्ता पड़ रहा है। बहुत से कारीगरों ने अपने काम बंद कर दिया है।” -मोइन कुरैशी, दुकानदार