बरेली: कोरोना के कारण मुश्किल दौर से गुजर रहे कुम्हार

बरेली, अमृत विचार। कोरोना की मार ने कुम्हारों का कारोबार चौपट कर दिया है। वर्तमान में इनके समक्ष दो जून की रोटी का जुगाड़ करना मुश्किल हो चला है। कुम्हारों का कहना है कि गर्मी में इस बार मिट्टी के घड़ों की बिक्री न के बराबर हुई है। पिछले वर्ष भी लॉकडाउन के कारण कारोबार …

बरेली, अमृत विचार। कोरोना की मार ने कुम्हारों का कारोबार चौपट कर दिया है। वर्तमान में इनके समक्ष दो जून की रोटी का जुगाड़ करना मुश्किल हो चला है। कुम्हारों का कहना है कि गर्मी में इस बार मिट्टी के घड़ों की बिक्री न के बराबर हुई है। पिछले वर्ष भी लॉकडाउन के कारण कारोबार ठप रहा था।

कुम्हार हरी राम ने बताया कि घड़े बनाने के लिए कुम्हारों के सामने मिट्टी का संकट पहले से ही था। जैसे-तैसे जुगाड़ करके गर्मी में लोगों को राहत पहुंचाने के लिए घड़े बनाए, पर अब इनकी भी बिक्री नहीं हो रही है। जिससे हमारी माली हालत खस्ता हो गई है। खाने-पीने के लाले पड़ गये हैं। इस बार शादी-विवाह भी अधिक नहीं हुए हैं।

इसके बाद भी हिम्मत न हारी और जैसे-तैसे मिट्टी लाकर काम शुरू किया। अप्रैल में घड़े कम बिकने के कारण शादी-विवाह के लिए कलश बनाए थे लेकिन लॉकडाउन के कारण वह भी नहीं बिके। हम सड़क पर आ गए हैं। महंगाई में घर चलाना मुश्किल हो चला है। दो रूपये का भी रोजगार नहीं बचा कि दो रोटी मिल जाए। बताते हैं कि यह उनका पुश्तैनी काम है। पहले सामान्य दिनों में 20 से 25 घड़े रोजाना बिक जाते थे। अब 1 से 2 घड़ा भी नहीं बिक रहा।

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