बरेली: गुरु के चरणों में झुके सैकड़ों शीश

बरेली: गुरु के चरणों में झुके सैकड़ों शीश

अमृत विचार, बरेली। सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेगबहादुर का 345वां शहीदी दिवस शनिवार को गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब संजय नगर में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में संगत ने गुरु के चरणों में शीश नवाया। गुरुद्वारे में गुरबाणी का पाठ भी किया गया। शहीदी दिवस के मौके पर बलवंत सिंह …

अमृत विचार, बरेली। सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेगबहादुर का 345वां शहीदी दिवस शनिवार को गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब संजय नगर में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में संगत ने गुरु के चरणों में शीश नवाया। गुरुद्वारे में गुरबाणी का पाठ भी किया गया। शहीदी दिवस के मौके पर बलवंत सिंह हमदम ने बताया कि जिस वक्त मुगल शासक औरंगजेब हिंदुओं के जनेऊ एवं तिलक पर हमला करके सबका धर्म परिवर्तन करवाना चाहता था, उस वक्त कश्मीरी पंडितों ने श्री गुरु तेग बहादुर साहिब से मदद की गुहार लगाई थी। तब हिंदुत्व की रक्षा के लिए गुरु साहिब ने दिल्ली के चांदनी चौक में बलिदान दे दिया था।

गुरु साहिब की शहादत से पहले और भी सिखों ने धर्म की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दी थी। गुरु साहिब का शहीदी दिवस प्रत्येक वर्ष विभिन्न देशों में भी श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। मुख्य दीवान की समाप्ति के उपरांत गुरु का अटूट लंगर बांटा गया। इस मौके पर गुरुद्वारा प्रबंधक एमपी सिंह, सेक्रेटरी सतनाम सिंह, मनजीत सिंह, बिट्टू मालक सिंह कालरा, परमजीत सिंह सलूजा आदि उपस्थित रहे।

क्यों मनाया जाता है शहीदी दिवस

वर्ष 1675 में धर्म, मानव मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर ने अपने जीवन का बलिदान दिया था। इस दिन को हर साल शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है और उनके बलिदान को याद किया जाता है।