Bareilly: पूर्व चेयरमैन शहला ताहिर पर शिकंजा कसने के लिए जांच तेज, 47 करोड़ के गबन का है मामला

बरेली, अमृत विचार: 47 करोड़ रुपये की सरकारी धनराशि के गबन प्रकरण में नवाबगंज नगर पालिका की पूर्व चेयरमैन शहला ताहिर पर शिकंजा कसने के लिए आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने जांच तेज कर दी है। शहला ताहिर के सभी कार्यकाल में 259 चेकों से 47 करोड़ रुपये की धनराशि का आहरण-वितरण हुआ था। विवेचक ने एसबीआई नवाबगंज शाखा से सभी चेकों की सत्यापित प्रतियां मांगी हैं। ताकि पता लग सके कि भुगतान किस कार्य के लिए किया गया था। उधर शासन से धनराशि वसूल करने के लिए प्रशासन को चिट्ठियां भेजी जा रही है।
दरअसल, नगर पालिका नवाबगंज की पूर्व अध्यक्ष शहला ताहिर के कार्यकाल की विशेष सम्परीक्षा कराई थी जिसमें 47 करोड़ 11 लाख 32 हजार 65 रुपये की वित्तीय अनियमितता सामने आई। वर्ष 2012 से 2017 तक की गई इन अनियमितताओं की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) से कराने के लिए नगर विकास अनुभाग ने 27 सितंबर 2022 को सिफारिश की थी। इस प्रकरण में अपर पुलिस अधीक्षक आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन लखनऊ ने 5 मार्च 2025 को विधान परिषद की समिति को पत्र जारी कर अवगत कराया कि शहला ताहिर ने 2012 से 2017 तक पदीय दायित्वों की घोर अवहेलना कर आर्थिक अनियमितता की।
इस प्रकरण की जांच पूरी कर अंतिम प्रगति आख्या 23 फरवरी 2023 को शासन को भेजी थी। आख्या को शासन ने 5 मार्च 2024 को अनुमोदित किया। इसके बाद थाना ईओडब्ल्यू लखनऊ सेक्टर पर शहला ताहिर व 15 अन्य लोकसेवक, प्राइवेट व्यक्तियों के विरुद्ध मुकदमा लिखा था। केस में वादी मुकदमा व 7 अन्य के बयान लिए जा चुके हैं।
संबंधित अभिलेख भी जुटाए हैं। पंजाब नेशनल बैंक, एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा एवं एक्सिस बैंक से संबंधित बैंक खातों का विवरण प्राप्त कर लिया। एसबीआई, शाखा नवाबगंज को पत्र भेजकर नगर पालिका परिषद द्वारा चेकों के माध्यम से किये गये आहरण-वितरण से संबंधित 259 चेकों की सत्यापित प्रति उपलब्ध कराने के लिए कहा है। चेकों का विवरण प्राप्त होने पर स्पष्ट हो जाएगा कि भुगतान किस कार्य के लिए और किसके हस्ताक्षर से चेक जारी किये गये थे।
विधान परिषद की समिति ने ली थी जानकारी
उत्तर प्रदेश विधान परिषद की समिति सभापति एमएलसी डाॅ. जयपाल सिंह ''व्यस्त'' की अध्यक्षता में इस प्रकरण की सुनवाई कर रही है। 11 मार्च को सुनवाई के दौरान सभापति बताया गया कि एसबीआई सहयोग कर रही है, लेकिन अभी तक चेकों की डिटेल नहीं दी है। इस पर सभापति ने कहा कि डायरेक्टर बैंकिंग को निर्देश समिति से भिजवा देते हैं। प्रकरण के निस्तारण के लिए 6 माह का समय मांगा। सभापति ने कहा कि अभी भी 6 माह का समय मांग रहे हैं। 3 माह में जांच रिपोर्ट देने की बात कही थी। 6 माह का समय वैसे ही हो गया है, लेकिन जांच रिपोर्ट नहीं आई है।
15 अप्रैल को है सुनवाई
विधान परिषद के अनुसचिव धर्मेंद्र कुमार मिश्र ने पत्र भेज बताया कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद की ''विकास प्राधिकरणों, आवास विकास परिषद, जिला पंचायतों एवं नगर निगमों में व्याप्त अनियमितताओं पर अंकुश लगाने और जांच करने के संबंध में समिति 15 अप्रैल को सुनवाई करेगी।
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