पीलीभीत: फर्जी प्रमाण पत्रों से नौकरी पाने वाली कन्नौज की शिक्षिका को सात साल कैद, जुर्माना भी डाला

पीलीभीत, अमृत विचार। फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों को असली के रूप में प्रयोग कर पंडित देवदत्त शर्मा जनता इंटर कॉलेज बरखेड़ा में अध्यापक के रूप में नौकरी करने की आरोपी कन्नौज जनपद के थाना शौर्य क्षेत्र के ग्राम सुभाषनगर निवासी क्षमा गुप्ता को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित कुमार यादव ने दोषी पाकर सात सात वर्ष के साधारण कारावास और 30 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया है।
अभियोजन कथानक के अनुसार क्षमा गुप्ता ने पंडित देवदत्त शर्मा जनता इंटर कॉलेज बरखेड़ा में अध्यापक के पद पर कार्यभार ग्रहण किया। शैक्षणिक प्रमाण पत्र बीएड की मार्कशीट और प्रमाण पत्र जोकि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के बताए गए थे। उनके फर्जी होने की शिकायत पर विद्यालय ने जब इन अभिलेखों की जांच कराई तो अभिलेख फर्जी पाए गए। इसके बाद कॉलेज के प्रधानाचार्य ने थाना बरखेड़ा पर सात अगस्त 2022 में धारा 420, 467,468,471 आईपीसी के तहत क्षमा गुप्ता के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने विवेचना के बाद आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया। न्यायालय में राज्य सरकार की ओर से मुकदमे के वादी दयाराम समेत छह गवाहों के बयान दर्ज कराए गए। न्यायालय ने मामले की सुनवाई के दौरान महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी की कुलसचिव /परीक्षा नियंत्रक डॉ.सुनीता पांडेय को वास्तविकता जानने के लिए साक्ष्य को तलब किया। डॉ.सुनीता पांडेय ने न्यायालय में उपस्थित होकर अपने बयान दर्ज कराए। जिसके अनुसार क्षमा गुप्ता ने जो अनुक्रमांक बताया। उसका अंकपत्र व प्रमाण पत्र विश्व विद्यालय के अभिलेखों में उपलब्ध नहीं मिला। यह दोनों शैक्षिक प्रमाण पत्र विश्वविद्यालय से जारी नहीं किए गए थे। साक्ष्य से अभिलेख फर्जी होना पाया गया।
न्यायालय ने पाया कि क्षमा गुप्ता द्वारा प्रस्तुत बीएड वर्ष 2007 के प्रमाण पत्र व अंक पत्र कूटरचित हैं। यह दस्तावेज अभियुक्ता के द्वारा सहायक अध्यापक के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के दौरान प्रस्तुत किए गए थे। ऐसी स्थिति में उनका उत्तरदायित्व था कि वह ये साबित करतीं कि ये कूटरचना उन्होंने नहीं की है। न्यायालय ने मामले की सुनवाई के बाद क्षमा गुप्ता को दोषी पाकर धारा 420 आईपीसी में पांच वर्ष साधारण कारावास, पांच हजार रुपये अर्थदंड, धारा 467 आईपीसी में सात वर्ष साधारण कारावास और दस हजार रुपये अर्थदंड, धारा 468 आईपीसी में पांच साल साधारण कारावास व पांच हजार रुपये अर्थदंड, धारा 471 आईपीसी में सात वर्ष साधारण कारावास और दस हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया है। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। दोषसिद्ध द्वारा इस मामले में पूर्व में जेल बिताई गई निरुद्ध की अवधि को उसकी सजा में समायोजित किया जाएगा।
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