लिवर : मल-मूत्र के रंग से पहचानी जा सकती है नवजात बच्चों की गंभीर बीमारी
नेशनल मिड-टर्म ISPGHANCON 2025 : समय रहते जानकारी होने से नवजात बच्चों को लिवर की गंभीर बीमारी से बचाया जा सकता है, लेकिन यदि इसमें देर हो जाए तो बच्चे की जान खतरे में पड़ सकती है, लिवर ट्रांसप्लांट की नौबत तक आ सकती है। ऐसे में बच्चों के मल-मूत्र (पॉटी और यूरीन) के रंग में बदलाव दिखाई पड़ते ही चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
इतना ही नहीं, बिना समस्या के भी सभी बच्चों का जन्म के बाद पहले टीकाकरण के समय पर मल-मूत्र की जांच होना जरूरी है, जिससे बीमारी की समय पर सटीक पहचान हो सके और इलाज शुरू किया जा सके। ऐसा करने से बच्चे को लिवर की गंभीर बीमारी से बचाया जा सकता है। यह कहना है डॉ. राम मनोहर लोहिया के बाल चिकित्सा (पीडियाट्रिक) हेपेटोलॉजिस्ट और गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. पीयूष उपाध्याय का। वह रविवार को लोहिया संस्थान में आयोजित नेशनल मिड-टर्म ISPGHANCON 2025 को बतौर आयोजन सचिव संबोधित कर रहे थे। नेशनल मिड-टर्म ISPGHANCON 2025 में नवजात और बच्चों में लिवर की बीमारियों से होने वाली पीलिया की पहचान व इलाज की नवीन तकनीक पर चर्चा हुई है।

इस कार्यक्रम में आईएलबीएस की डॉ. सीमा आलम समेत देशभर से 300 विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया है। डॉ. पीयूष उपाध्याय के मुताबिक माता-पिता यदि अपने बच्चे के यूरीन और पॉटी के रंगों की पहचान कर सकें, तो बीमारी को समय रहते ठीक किया जा सकता है, विशेष रूप से, पीलिया (jaundice) को। इस समस्या में मल का रंग असामान्य हो सकता है। उन्होंने बताया कि 40 से 50 प्रतिशत नवजात बच्चों में लिवर की बीमारी का प्रमुख कारण जन्म के समय पित्त की नली का न बनना शामिल है। इसके अलावा मेटाबालिक और जेनेटिक डिसऑर्डर भी हो सकता है, जिसके कारण लिवर की बीमारी और पीलिया होता है। इसका समय पर इलाज न कराने पर जीवन बचाने के लिए लिवर ट्रांसप्लांट ही एक चारा बचता है।
डॉ. पीयूष के मुताबिक जन्म के समय पित्त की नली का न बनना नवजात बच्चे को शुरूआत से ही दिक्कत देने लगेगा। इस समस्या में लक्षणों की बात करें तो बच्चे की यूरीन (पेशाब) गाढ़े पीले रंग की और मल (पॉटी) सफेद या मटमैला होगा। यदि ऐसा दिखाई पड़ता है तो तत्काल डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। स्थिति गंभीर होने पर पेट फूलना, पेट में पानी आना और शरीर का पीला पड़ना शामिल है। इसके अलावा उन्होंने इस दौरान यह भी साफ किया कि मेटाबालिक और जेनेटिक डिसऑर्डर उम्र के किसी भी पड़ाव में बीमार और गंभीर बीमार कर सकता है, जिसका एक मात्र बचाव है जागरूकता, जिससे लक्षणों की समय पर पहचान हो सकती है।
पित्त की नली न बनना
डॉ. पीयूष ने बताया कि बच्चे में पित्त की नली का न बनना या अवरुद्ध होना नवजात बच्चों में गंभीर लिवर की बीमारी का कारण बन सकता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें पित्त नलिकाएं (bile ducts) अविकसित, अवरुद्ध, या अनुपस्थित होती हैं, जिसके कारण पित्त (bile) लिवर से आंतों तक नहीं पहुंच पाता। इससे लिवर में पित्त जमा होने लगता है, जो लिवर को नुकसान पहुंचाता है।
जानिए कैसे देता है लिवर की बीमारी
- पित्त का जमाव: पित्त नलिकाओं के अभाव में पित्त लिवर में जमा होता है, जिससे लिवर की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होती हैं।
- लिवर फाइब्रोसिस: समय के साथ लिवर में सूजन और फाइब्रोसिस (scar tissue) बढ़ता है, जो लिवर के कार्य को बाधित करता है।
- सिरोसिस: अगर इलाज न हो, तो यह सिरोसिस (liver cirrhosis) या लिवर फेल्योर का कारण बन सकता है।
- पोषण की कमी: पित्त के बिना वसा और वसा में घुलनशील विटामिन (A, D, E, K) का अवशोषण नहीं होता, जिससे कुपोषण हो सकता है।
लक्षण:
- पीलिया : जन्म के कुछ हफ्तों बाद भी त्वचा और आंखों का पीलापन।
- हल्का या मटमैला मल : पित्त की कमी के कारण मल का रंग सफेद या मटमैला हो जाता है।
- गहरा पेशाब : पित्त के रक्त में मिलने से पेशाब गहरे रंग का हो सकता है।
- वजन न बढ़ना : बच्चे का विकास रुक सकता है।
- पेट में सूजन : लिवर की समस्या के कारण पेट बड़ा हो सकता है।
जानिये क्या बोले निदेशक डॉ. सीएम सिंह
लोहिया संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने कहा कि लोहिया संस्थान में हमारी उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता केवल आँकड़ों में नहीं, बल्कि प्रदान की जाने वाली समग्र देखभाल की गुणवत्ता में भी झलकती है। पिछले एक वर्ष में, हमने 1000 से अधिक पीडियाट्रिक एंडोस्कोपी, प्रतिदिन 100 से अधिक बच्चों की ओपीडी में परामर्श और 1200 से अधिक जटिल पीडियाट्रिक लिवर और पेट के अन्य रोगों का इलाज किया है।
आज लोहिया संस्थान न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि आस-पास के राज्यों के लिए भी एक प्रमुख रेफरल केंद्र बन गया है। वहीं इस अवसर पर डॉ. दीप्ति अग्रवाल, आयोजन अध्यक्ष, और डॉ. संजीव कुमार वर्मा, सह-आयोजन सचिव, ने भी सभी विशिष्ट फैकल्टी सदस्यों और प्रतिभागियों का सम्मेलन को सफल बनाने में दिए गए उत्साहपूर्ण योगदान के लिए विशेष आभार व्यक्त किया।
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