शाहजहांपुर: चार बच्चों का पिता कहता था इस मुफलिसी कैसे पालूंगा परिवार, फिर लिख दी खौफनाक स्क्रिप्ट

शाहजहांपुर, अमृत विचार: राजीव बीते तीन माह से अपने बच्चों का मार डालने की धमकी दे रहा था। गुरुवार को पोस्टमार्टम हाउस पर राजीव की पत्नी कांति ने गरीबी, मजबूरी, बीमारी और तंगहाली की कहानी सुनाई। जिसने भी सुना उसकी आंखें नम हो गईं।
राजीव के सिर पर चोट लगने के कारण वह मानसिक तनाव में चला गया था। इसी के चलते उसने अपने कलेजे के टुकड़ों को अपने हाथों से मार डाला। राजीव की गरीबी का आलम यह था कि एक दिन खाना खा लिया तो दूसरे दिन का पता नहीं होता था।
वह कहता था कि आगे और गरीबी बढ़ सकती है। उसका शरीर ठीक से साथ नहीं देता। बीमारी पीछा नहीं छोड़ रही है। खेती बाड़ी है नहीं, ऐसे में वह परिवार का पेट कैसे पालेगा। इसी चिंता में वह तनाव में रहने लगा। पोस्टमार्टम हाउस पर परिजनों ने बताया कि जब राजीव के सिर में चोट लगी तब भी परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। फिर भी जैसे-तैसे उसका इलाज कराया।
हादसे के बाद कई महीने तक वह ठीक से काम नहीं कर पाया। जिसके चलते पूरा परिवार गरीबी के दलदल में धंसता चला गया। जैसे-तैसे परिवार वालों की मदद से बच्चों को दो समय का खाना मिल रहा था। तनाव के चलते ही उसका पत्नी कांति से झगड़ा होने लगा। झगड़े के दौरान वह कहता था कि बच्चों का लालन-पालन कैसे होगा। अब एक ही रास्ता है कि परिवार सामूहिक आत्महत्या कर ले। पत्नी कांति इसका विरोध करती थी। पत्नी के समझाने पर उसने बच्चों का सरकारी स्कूल में एडमिशन कराया गया था।
वित्त मंत्री ने दिया मदद का आश्वासन
वित्तमंत्री सुरेश कुमार खन्ना दोपहर के समय डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह, एडीएम संजय कुमार पांडेय के साथ पोस्टमार्टम हाउस पर बच्चों की मां कांति से मिले। उन्होंने महिला से जानकारी ली। इसके बाद हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने डीएम को निर्देश दिए कि जो संभव हो मदद की जाए। खन्ना ने इस संबंध में शासन में भी बात करने का आश्वासन दिया।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाया था मकान
मृतक राजीव पांच भाइयों में सबसे बड़ा था। पहले नंबर पर राजीव, दूसरे नंबर पर संजीव, तीसरे नंबर पर राजन और चौथे नंबर पर कुलदीप है। राजीव की सिर्फ शादी हुई थी और अन्य भाइयों की शादी नहीं हुई थी। कुलदीप कहीं बाहर काम करता है। सबसे छोटे भाई अंकित की एक साल पहले ट्यूमर से मौत हो चुकी है। पृथ्वीराज की पत्नी की भी मौत हो चुकी है। संजीव व राजन अपने पिता के पास रहते है।
एक साल पहले उन्होंने राजीव को पड़ोस में जमीन दे दी थी। उसने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ढाई लाख रुपये लेकर मकान बनवा लिया था। उसके एक मकान में एक कमरा और लिंटरदार बरामदा है। उसके पिता ने भी कुछ पैसा मकान बनाने के लिए दिया था। दोनों का मकान पड़ोस में है, पिता घर के बाहर पड़ी झोपड़ी में रहता था।
दादा पोते को प्यार करता था
पृथ्वीराज अपने अपने बेटे रिषभ को बहुत प्यार करता था। वह सुबह और शाम अपने बेटे को बुलाकर चाय पिलाता था। राजीव की एक बेटी स्मृति कक्षा 7 में मानपुर गांव में सरकारी स्कूल और छोटी बेटी कीर्ति कक्षा पांच में गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ती थी। उसकी एक बेटी प्रगति और बेटा रिषभ नहीं पढ़ते थे। पृथ्वीराज ने बताया कि रिषभ ने शाम को खाना खाया और उसके साथ झोपड़ी में चारपाई पर सो गया।
राजीव रात में साढ़े दस बजे उठाकर घर में ले गया था और मकान के दरवाजे की कुंडी लगा ली। । वह सुबह साढ़े सात बजे पोते को चाय पीने के लिए बुलाने गया तो दरवाजा अंदर से बंद था। उसने दीवार चढ़ देखा कि दो चारपाई पर खून से लथपथ पोता और पोती पड़ी थी।
आत्महत्या और हत्या के बीच कई घंटे पुलिस उलझी रही
राजीव का शव कमरे में पंखे के कुंडे से लटका हुआ था। मकान के बरामदे में एक चारपाई पर स्मृति और प्रगति का शव खून से लथपथ पड़ा था। कीर्ति और रिषभ का शव दूसरी चारपाई पर गला कटा हुआ पड़ा था। मृतक राजीव के दोनों हाथ खून से सने हुए थे और बरामदे में चारो तरफ खून पड़ा था। सबसे पहले एसपी राजेश द्विवेदी और अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे और जानकारी की।
पुलिस घटना स्थल को देखकर आत्महत्या और हत्या के बीच उलझी हुई थी, क्यों कि उसके मकान की दीवार भाइयों की दीवार से मिली हई थी। आईजी डा राकेश सिंह घटना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने मकान की छत पर और कमरे में जाकर देखा। एडीजी रमित शर्मा दिन में एक बजे पहुंचे और पुलिस ने कमरे में छानबीन की। पुलिस को बरेली के मानसिक रोग अस्पताल का एक पर्चा राजीव के नाम से मिला।
पर्चे में दवा के साथ एक स्थान पर लिखा था कि मै कभी बच्चों को मार सकता हूं और अपने आप मर सकता हूं। मेरे सिर में दर्द रहता है और डिप्रेशन में रहता हूं। आत्महत्या और हत्या की गुत्थी कई घंटे बाद सुलझी। पुलिस ने उसका मोबाइल और डाक्टर का पर्चा अपने पास रख लिया है।
कहीं बच्चों को बेहोश करके तो नहीं मारा
राजीव द्वारा अपने चार बच्चों को अलग-अलग चारपाई सोते समय धारदार हथियार से हत्या कर देना गले से नहीं उतर रहा है। सवाल इस बात का उठ रहा है कि यदि एक बच्चे को पहले गला काटेगा तो बच्चा जरूर चिलाएगा। जबकि बरामदे में अलग-अलग चारपाई पर पड़ोस में बच्चे सो रहे थे। उसके मकान से दस कदम की दूरी पर बच्चों के दादा पृथ्वीराज छप्पर के नीचे सो रहे थे।
उसके दो भाई पड़ोस में स्थित मकान में सो रहे थे। बच्चों का गला काटेगा तो बच्चों के चिल्लाने की आवाज जरूर आएगी। पृथ्वीराज और उसके बेटो का कहना है कि रात में बच्चों के चिल्लाने की कोई आवाज नहीं सुनाई नहीं दी है। आशंका व्यक्त की जा रही है कि बच्चों को मारने से पहले कोई नशीला पदार्थ किसी चीज में दे दिया होगा। पुलिस अधिकारियों ने कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट हो जाएगा।
घटना में प्रयुक्त धारदार हथियार बरामद हो गया। जो खून से सना हुआ है। फोरेंसिक टीम ने भी जांच करके नमूने लिए है। हत्यारोपी राजीव की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। घटना की जांच की जा रही है- राजेश द्विवेदी एसपी
बच्चों को साथ में जाने दिया होता तो बच्चों को मरा खून से लथपथ नहीं देखता
ससुर से कहा था कि बच्चों को अपने पास सुला लेना, घर पर मैं होती मुझे भी मार सकता था
शाहजहांपुर,अमृत विचार: कलेजे के टुकड़ों का खून से लथपथ चेहरा देखकर गशखाकर गिर रही कांति ने बताया कि मायके जाते समय बच्चों को साथ ले जाने को तैयार किया लेकिन राजीव ने उन्हें साथ नहीं ले जाने दिया। तब उसने ससुर को फोन करके बच्चों को पास सुलाने के लिए भी कहा था। वह घर पर होती तो पति उसे भी मार सकता था।
रोजा थाना क्षेत्र के गांव मानपुर चचरी निवासी राजीव की शादी करीब 14 साल पहले क्रांति उर्फ कौशल्या निवासी करकोली थाना फतेहगंज पूर्वी जिला बरेली के साथ हुई थी उसकी 12 वर्षीय की पुत्री स्मृति, 10 वर्षीय कीर्ति, 7 वर्षीय प्रगति व 6 वर्षीय का रिषभ पुत्र है। वह पहले मजदूरी करता था। एक साल पहले उसका एक्सीडेंट होने पर सिर में चोट लगने के साथ जबडा और एक टाग भी टूट गई थी।
वह कोई काम नहीं कर पा रहा था। राजीव के पिता पृथ्वीराज अपने पोती -पोते की देखभाल करते थे। बुधवार को विवाद के बाद वह मायके चली गई थी। सूचना मिलने पर मृतक राजीव की पत्नी क्रांति अपने मायके वालों के साथ पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंची। वह खून से लथपथ बच्चों का शव देखकर विलख-विलख कर रो पड़ी। वह रोते हुए कह रही थी कि मायके जाते समय वह अपने बच्चों को साथ में ले जा रही थी। उसके पति ने मना कर दिया था कि अकेले जाओ, बच्चे कोई नहीं जाएगे।
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