World Theater Day 2025: आज है विश्व रंग मच दिवस, क्यों मनाते है इसे, जानिए इसका इतिहास
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अमृत विचार। दुनिया एक रंगमच है और इसके किरदार हम लोग है। और कुछ ऐसा ही थिएटर का समाज है जहा हमें इससे रूबरू होने का मौका मिलता है। ये जीवन के उन पहलुओं पर प्रकाश डालता है जिन्हे अक्सर हम देख भी नहीं पाते है। चाहे वह सामाजिक, सांस्कृतिक या फिर राजनितिक हो। थिएटर एक ऐसे जगह है जहा पर हर मुद्दे पर खुलकर बात की जाती है। यहां एक अलग तरह का उत्साह होता है और इसी उत्साह को हर साल विश्व रंग मंच के रूप में मनाया जाता है।
क्या है इसे मनाने के पीछे का इतिहास
विश्व रंग मंच मनाने की शुरुआत 1961 में इंटरनेशनल थिएटर इंस्टिट्यूट ITIमें की गई थी। वहीं इसे 1962 में इस दिन को सेलिब्रेट किया गया था। इसको मनाने का विचार इसकी अहमियत को बताने के लिए कली गई थी ताकि हर व्यक्ति इसकी व्यापकता को समझ सके।
क्यों मनाया जाता है विश्व रंग मंच दिवस
इस दिन विश्व भर के कलाकारों, नाट्यकारों और रंगमच के लोगों में हर्षोल्लास लेन के लिए और समाज में रंगमच के जरिये सकारात्मक बदलाव की ओर पहला कदम था। इसके साथ सांस्कृतिक विविधता को बनाये रखना और समाज में इसकी भूमिका को मजबूत करना ही इस दिन एकमात्र लक्ष्य था। वहीं थिएटर सिर्फ एक मनोरंजन का साधन मात्र बनकर न रह जाये। इसके माध्यम से समाज शक्ति और सशक्त हो जिससे इसमें व्याप्त त्रुटिया खत्म की जा सकें। ये सवाल किया जा सके की आखिर ऐसा क्यों है और उसका उपयुक्त जवाब मिल सकें।
भारत को मिले अनमोल रतन
थिएटर एक मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि इसने भारत को वो मोती प्रदान किये जो आज का जाना माना चेहरा बन चुके हैं। इनमे सुपरस्टार शाहरुख खान है जिनका कर्रिएर इसी रंग मंच से शुरू हुआ था। इसके अलावा ओम पुरी, पंकज त्रिपाठी, रतना पाठक शाह, नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी, मनोज बाजपायी, पियुष त्रिपाठी, सौरभ शुक्ला जैसे बड़े नाम शामिल है जिहोने अपनी प्रतिभा के जरिये थिएटर में ही नहीं बल्कि बॉलीवुड में भी अपना सिक्का चलवाया है।
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