स्टार्टअप की राह

स्टार्टअप की राह

स्टार्टअप इंडिया पहल ने नौ वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस दौरान देश में  1.59 लाख स्टार्टअप को मान्यता मिली है, जिनसे 16.6 लाख नौकरियां पैदा हुईं हैं। उम्मीद है भारत का समृद्ध वर्ग वर्ष 2027 तक 100 मिलियन तक पहुंच जाएगा, जिससे स्टार्टअप के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध होंगे। जो भारत की आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था और समाज पर इसके प्रभाव को प्रकाशित करते हैं। कहा जाता रहा है कि स्टार्टअप शहर-केंद्रित व्यवसाय मॉडल पर ध्यान केंद्रित हैं तथा ग्रामीण भारत की विशाल संभावनाओं की उपेक्षा करते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में कहा कि स्टार्टअप इंडिया केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं है। आधे से अधिक स्टार्टअप दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों से संचालित हो रहे हैं। महत्वपूर्ण है कि अपशिष्ट प्रबंधन, गैर-नवीकरणीय ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में बड़ी संख्या में स्टार्टअप सामने आए हैं। छोटे शहरों के स्टार्ट-अप में आधे से ज्यादा का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं। वास्तव में किसी भी विचार को सफल बनाने के लिए जुनून सबसे जरूरी होता है और निष्ठा तथा उत्साह से नवाचार, सृजनात्मकता और सफलता का रास्ता अवश्य निकलता है।

इसी के चलते युवाओं की जबरदस्त सहभागिता के चलते स्टार्टअप इंडिया पहल ने उल्लेखनीय मील के पत्थर हासिल किए हैं और छोटे शहरों ने देश की उद्यमशीलता की गति में तेजी से योगदान दिया है। भारत के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को वित्तपोषण में भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है, जो वैश्विक स्तर पर सतर्क निवेश प्रथाओं की ओर बदलाव को दर्शाता है। निवेशकों में जोखिम लेने की क्षमता कम होने के कारण वे विकास की तुलना में लाभप्रदता को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे स्टार्टअप्स को विस्तार के लिए बाह्य पूंजी पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

डिजिटल उपकरणों के प्रसार के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में स्टार्टअप्स को असंगत बुनियादी अवसंरचना के कारण बाधा आ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट की अनुपस्थिति अप्रयुक्त बाज़ारों तक पहुंच को सीमित करती है, जिससे कृषि प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों का विकास धीमा हो जाता है। साथ ही स्थानीय संरक्षणवादी नीतियां, जैसे अनिवार्य डेटा स्थानीयकरण, वैश्विक स्केलेबिलिटी का लक्ष्य रखने वाले स्टार्टअप्स के लिए अनुपालन संबंधी बाधाएं उत्पन्न करती हैं। जैसे कि भारतीय स्टार्टअप कंपनियां अनुपालन लागतों से जूझ रही हैं, वहीं अमेजन जैसी वैश्विक प्रतिस्पर्द्धियों ने भारत में आक्रामक बाज़ार विस्तार जारी रखा। कुल मिलाकर भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम को वैश्विक मान्यता प्राप्त हो गई है, फिर भी फंडिंग की कमी, विनियामक बाधाएं और सीमित नवाचार जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं।