Electricity: निजीकरण से महंगी होगी बिजली, हजारों कर्मचारी होंगे बेरोजगार
बाराबंकी, अमृत विचार। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को पीपीपी मॉडल पर देने के फैसले के खिलाफ बिजली कर्मचारियों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। उप्र बिजली कर्मचारी संघ के संरक्षक रणधीर सिंह सुमन ने रविवार को प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में निजीकरण लागू हुआ तो 77 हजार से ज्यादा कर्मचारी नौकरी से हाथ धो बैठेंगे और डेढ़ करोड़ उपभोक्ताओं की बिजली महंगी हो सकती है। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण से लाखों कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे।
उन्होंने बताया कि पूर्वांचल डिस्कॉम में कर्मचारियों के कुल 44,330 पद हैं। इनमें 27000 संविदा कर्मी हैं और 17330 नियमित कर्मचारी हैं। अगर निजीकरण हुआ, तो 27 हजार संविदा कर्मी बेरोजगार हो जाएंगे। बड़े पैमाने पर लोगों तो रिवर्ट किया जाएगा और छंटनी भी होगी। दक्षिणांचल डिस्कॉम में कर्मचारियों के कुल 33,161 पद हैं। इनमें 23,000 संविदा कर्मी हैं और 10,161 नियमित कर्मचारी हैं।
दक्षिणांचल का निजीकरण होने के बाद भी यह पद अपने आप खत्म हो जाएंगे। 23 हजार संविदा कर्मी यहां भी बेरोजगार होंगे। दक्षिणांचल में 8582 कर्मचारी हैं। यह कर्मचारी दक्षिणांचल डिस्कॉम के कर्मचारी हैं, इसलिए पॉवर कॉरपोरेशन में किसी नियम के तहत इनका प्रत्यार्पण नहीं हो सकता। इनकी सेवाएं भी निजी कंपनियों के रहमो करम पर रहेंगी। रणधीर सिंह सुमन ने कहा कि यह किस तरह की मजहबी सरकार है जो लोगों के रोजगार छीनकर बेरोजगार कर रही है। लोगों को भूख से तड़प-तड़पकर मरने लिए मजबूर कर रही है।
उन्होंने कहा कि बिजली कर्मचारी संघ अन्य संगठनों के साथ मिलकर एक बड़ा आंदोलन करने जा रही है। जिससे निजीकरण का कार्य रुकेगा और सत्तारूढ़ दल के दलाल बेनकाब होगें। इस मौके पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य परिषद सदस्य परवीन कुमार, जिला सचिव बृजमोहन वर्मा, कोषाध्यक्ष शिवदर्शन वर्मा, किसान सभा के जिला अध्यक्ष विनय कुमार सिंह व बिजली कर्मचारी नेता मौजूद रहे।
ये भी पढ़ें- Maharashtra Cabinet: महाराष्ट्र मंत्रिमंडल का विस्तार आज, शिवसेना को मिल सकता है आवास मंत्रालय