रामपुर में एक भी फैक्ट्री नहीं लगवा सके मुस्लिमों के भविष्य की दुहाई देने वाले आजम
आजम खां के राजनीति में कदम रखने के बाद बंद होती गईं फैक्ट्रियां, बेरोजगारी का दंश झेल रहे रामपुर जनपद में रहने वाले लोग...राजनीति के दिग्गजों ने आजम को बताया मौका परस्त
सुहेल जैदी, अमृत विचार। सीतापुर जेल में बंद पूर्व मंत्री आजम खां सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहते हुए एक भी फैक्ट्री नहीं लगवा सके। आजम खां के राजनीति में कदम रखने के बाद से रामपुर में फैक्ट्रियां बंद होती गईं और बेरोजगारी बढ़ती गई। आजम खां ने सपा के जिलाध्यक्ष अजय सागर के माध्यम से 10 दिसंबर को सोशल मीडिया पर पत्र वायरल कराया है। इसमें उन्होंने रामपुर की घटनाओं को मुस्लिम नेतृत्व को कमजोर करने की साजिश बताया है। जबकि मुस्लिम बाहुल्य जिले में मुसलमान बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं।
सीतापुर जेल से लिखे गए पत्र की इबारत को देखकर आसानी से समझा जा सकता है कि वह सियासत की नई बिसात बिछा सकते हैं। उन्होंने पत्र के माध्यम से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर हमला किया है। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मशकूर अहमद मुन्ना कहते हैं कि पत्र में रामपुर की बेरोजगारी की बाबत एक लाइन भी नहीं है। जबकि, आजम खां ने जेल से लिखे पत्र के माध्यम से इंडी गठबंधन से नीति और स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी और सपा सरकार में मिनी मुख्यमंत्री कहलाने वाले आजम खां ने रामपुर में फैक्ट्रियां क्यों नहीं लगवाई या बंद फैक्ट्रियों को चालू क्यों नहीं कराया। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष कहते हैं कि वर्ष 2012 से 2017 तक रामपुर की प्लाईवुड और पिलिंग मशीनों को बंद कराने का काम किया। इससे हजारों लोग बेरोजगार हो गए। रामपुर लकड़ी का हब बन चुका था लेकिन, उन्होंने रामपुर के रोजगार को बर्बाद कर दिया। आजम खां के पत्र का मजमून पढ़कर यह सवाल हर खासो आम के जहन में गर्दिश कर रहा है।
पूर्व सांसद बेगम नूरबानो कहती हैं कि नवाबी दौर में यहां 52 फैक्ट्रियां थीं। रामपुर चीनी मिल बंद होने के बाद करीब ढाई हजार से ज्यादा लोगों की रोजी-रोटी छिन गई थी। वर्ष 1991 में रजा टेक्सटाइल्स फैक्ट्री बंद होने से हजारों लोग बेरोजगार हुए थे। लेकिन, आजम खां ने किसी भी फैक्ट्री को चालू कराने का प्रयास नहीं किया। कोई नई फैक्ट्री भी वह नहीं लगवा सके। यह अवाम को सोचना है कि उन्होंने क्या खोया है और क्या पाया है। आजादी के बाद देश तरक्की करता रहा लेकिन, रामपुर रोजगार के मामले में पिछड़ता गया।
आजादी के बाद तक रामपुर में थीं यह फैक्ट्रियां
रजा शुगर फैक्ट्री, बुलंद शुगर फैक्ट्री, रजा टेक्सटाइल्स, रजा बिस्किट एंड कैनिंग कंपनी, रामपुर टेंट एंड क्लाथिंग कंपनी, डॉन माचिस फैक्ट्री, रामपुर इंडस्ट्रीज कंपनी, सिविल एंड मिलिट्री कोआपरेटिव स्टोरी, रफअत आइस फैक्ट्री, रामपुर मशीन टूल्स एंड इंजीनियरिंग कंपनी, रामपुर डेरी फार्म लि., जेके रबड़ मैन्युफैक्चिरंग आदि।
कुप्रबंधन रहा फैक्ट्रियों के बंद होने का कारण
उपायुक्त उद्योग मुकेश कुमार का कहना है कि फैक्ट्रियां बंद होने का कारण मिस मैनेजमेंट हो सकता है। रजा टेक्सटाइल्स बंद होने के कारणों को उपायुक्त उद्योग बताते हैं कि आंतरिक प्रशासन के बीच मतभेद, स्ठाई एवं अस्थाई कर्मचारियों के बीच विवाद, टेक्सटाइल मैनेजमेंट द्वारा मिल के कुछ सेक्शन को बंद करने की जिद और राजनीतिक हस्तक्षेप जिसके अंतर्गत फैक्ट्री में लगभग 500 श्रमिक बिना काम के वेतन उठाते थे।
रामपुर में यह थीं प्राइवेट लि. फैक्ट्रियां
गोवन ब्रादर्स कंपनी लिमिटेड, जेपी श्रीवास्तव कंपनी लि., गोवन इंवेस्टमेंट कंपनी लि., रामपुर फाइनेंस कार्पोरेशन लि., जेके रामपुर लि., जेके गैस प्लांट कंपनी लि., नाहीद सिनेमा कंपनी लि., रामपुर ट्रेडिंग कंपनी लि., जेके फूड प्रोडक्ट्स कंपनी लि., रामपुर कारबाइड कंपनी लि., रामपुर कंसट्रक्शन कंपनी लि., दि मिल स्टोर कंपनी, ज्वाला प्रसाद राधा कृष्ण कंपनी, कर्मचंद थापर एंड ब्रादर्स कंपनी, रामपुर टिम्बर एंड टर्नरी कंपनी, रामपुर ग्लास वर्क्स कंपनी, मेवा कंपनी लि.।
यह थे कुटीर उद्योग
विभिन्न डिजाइनों में कपड़ा बुनना, मोजा बुनना, कागज बनाना, दरी बनाना, चाकू और सरौता बनाना, कालीन बनाना, रेशमी छपाई और ढलाई।
रियासत काल में वर्ष 1936 के बाद रामपुर में फैक्ट्रियां लगनी शुरू हुईं और छोटी-बड़ी 52 फैक्ट्रियों में लोग काम करते थे। रामपुर के अलावा बिहार, बंगाल और आसाम से मजदूर बुलाए गए थे। कानपुर के बाद रामपुर का नाम औद्योगिक क्षेत्र में लिया जाता था। रामपुर के लोगों के लिए रोजगार की बहुत जरूरत है। यहां फैक्ट्रियां लगवाई जाएं। तमाम फैक्ट्रियों की जगह खाली पड़ी हैं।-नफीस सिद्दीकी, वरिष्ठ इतिहासकार
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