रील की दुनिया से निकल कर शायरों को दिल से सुनें...अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और मुशायरे में बोले मंडलायुक्त
कई बार ऐसे वाकये सामने आते हैं जब पता चलता है कि लोग बड़े शायरों और कवियों के बारे में ही नहीं जानते
अमरोहा, अमृत विचार। आपके प्रिय अखबार अमृत विचार और नगर पालिका परिषद की ओर से शनिवार को महिलाओं के सम्मान में आयोजित हुए अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और मुशायरे में मुख्य अतिथि मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने कहा कि तब बहुत दुख होता है जब पता चलता है कि बड़े शायरों और कवियों को ही लोग नहीं जानते हैं। मेरे सामने कई बार ऐसी स्थिति आती है। तब हमें बहुत दुख होता है।
मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने अपने संबोधन के दौरान एक वाकया सुनाते हुए कहा कि एक दिन अमीर मीनाई का नाम लिया। अमीर मीनाई एक बहुत बड़ा नाम है, लेकिन मुझे बड़ी तकलीफ हुई कि उन्हें कोई जानता ही नहीं है। मैंने कहा कि सरकती जाए रुख से नकाब आहिस्ता-आहिस्ता तो लोग बोले जगदीश सिंह का गीत है तो मैंने कहा कि नहीं यह कलाम अमीर मीनाई का है तो लोग बोले कि यह कौन साहब हैं। अमीर मीनाई से इतनी सारी रचनाएं रची हैं कि लेकिन आज हमे अमीर मीनाई ही याद नहीं।
जॉन एलिया जो हिंदुस्तान से पाकिस्तान जाने के बाद भी उनकी रूह हिंदुस्तान के लिए तड़पती रही। एक शायर की तड़प इतनी थी, लेकिन हमने इस तड़प को खत्म कर दिया। जॉन एलिया जब शेर पढ़ रहे थे तो लोगों को लग रहा था कि माशूका के लिए लिख रहे हैं, लेकिन आखिर में जब वह कहते हैं कि बांध वो एक नदी हो गई। वो दर्द अगर आप महसूस करें तो आपका ध्यान भी शायद उस तरफ जाए कि न जाने कितनी बांध हमने खत्म कर दी।
उन्होंने कहा कि जब आज की पीढ़ी ने सुबह के सूरज की किरण देखी ही नहीं तो वह उस पर कविता क्या लिखेगी। हमारी और हमारे बच्चों की सुबह तो रील में खत्म हो जाती है। जिसने इस कुदरत को चलते-फिरते नहीं देखा तो वह क्या कवि और शायर बनेगा। यह हमारा बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। मैं अमृत विचार अखबार को बधाई देता हूं कि आज के दौर में एक शानदार कवि सम्मेलन और मुशायरे का आयोजन किया। इसके लिए अमृत विचार और उसकी पूरी टीम बधाई की हकदार है।
अमृत विचार ने जॉन एलिया को दी श्रद्धांजलि
मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने कहा कि जॉन एलिया के जन्मदिन पर आज अमृत विचार की ओर से कवि सम्मेलन और मुशायरा आयोजित हुआ है। यह जॉन एलिया को बहुत बड़ी श्रद्धांजलि होगी। मंडलायुक्त ने आग्रह किया कि यह आयोजन हर वर्ष होना चाहिए।
रील की दुनिया से निकल कर शायरों को दिल से सुनें
मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने कहा कि आज जब पूरी दुनिया रीलों में सिमटती जा रही है। आज अदब के बड़े लोग आपके बीच हैं। सभी बड़े शायर आए हैं, इसलिए आप रील की दुनिया से निकलकर उन्हें दिल से सुनें। मैंने वो दौर देखा जब मुशायरो के नाम पर इतनी भीड़ जुट जाती थी कि उन्हें संभालने के लिए पुलिस बुलानी पड़ती थी, लेकिन अब नए दौर में बहुत कुछ बदल गया है। याद रखें कि हमें तो बैलेंस शीट तैयार करनी है कि क्या हासिल हुआ और क्या घाटा हुआ। जिसने अपनी बैलेंस शीट नहीं बनाई उसके हिस्स में घाटा आना जरूरी है। जब मैं बैलेंस शीट बनाता हूं तो घाटा ही घाटा नजर आता है, क्योंकि इस दौर ने बहुत कुछ बदल दिया है।
कार्यक्रम में यह भी मौजूद रहे
श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय के उप कुलाधिपति प्रो. राजीव त्यागी, पूर्व चैयरमेन अतुल जैन, भाजपा नेता अखिल जैन, ईओ ब्रजेश कुमार सिंह, सिटी सीओ अरुण कुमार युवा उद्योगमि अलमाज समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
जॉन एलिया की 93वीं सालगिरह अमरोहा ने बड़ी शान से मनाई
उर्दू के जॉन कीट्स यानी जॉन एलिया की 93वीं सालगिरह अमरोहा ने बड़ी शान से मनाई। टाउन हॉल मैदान में अमृत विचार और नगर पालिका परिषद ने मिलकर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और मुशायरे के जरिए मुल्क के महबूब शायर को याद किया। शाम 7 बजे शुरू हुआ यह आयोजन रात गहराने के साथ-साथ जवान होता गया। रात गहराने लगी, सर्दी बढ़ती गई, तारीख बदल गई लेकिन सुनने वालों की भीड़ अपनी जगह से टस से मस न हुई। प्रो. वसीम बरेलवी दो-तीन शेर पढ़ने के इरादे से खड़े हुए लेकिन लोगों की मोहब्बत के आगे हार गए और नए-नए शेर सुनाते गए। लोगों की मांग पर उन्होंने तरन्नुम में भी नज्म सुनाई। शायद यह पहली बार हुआ होगा कि मुरादाबाद मंडल के मंडलायुक्त आंजनेय कुमार और नगर पालिका परिषद की चेयरपर्सन शशि जैन कार्यक्रम में सभी शायरों को सुनने का लोभ नहीं छोड़ पाए।
'मैं तो कैंसर सर्जन हूं लेकिन...'
अमृत विचार के निदेशक डॉ. अर्जुन अग्रवाल ने कहा कि मैं तो कैंसर सर्जन हूं। लेकिन, प्रो. वसीम बरेलवी के साथ ने जिंदगी में शायरी का सुरीलापन भी जोड़ दिया है। इसी वजह से शम्भू दयाल वाजपेयी जी ने अमरोहा में मुशायरे का सुझाव दिया तो मैंने खुद भी इस मुशायरे में शिरकत का फैसला किया। अमृत विचार के समूह सम्पादक शम्भू दयाल वाजपेयी ने कहा कि ऐसे आयोजन आगे भी जारी रहेंगे। इस आयोजन को कामयाब बनाने में अमरोहा के प्रभारी प्रबल प्रभाकर की बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस कार्यक्रम की सदारत महबूब हुसैन जैदी ने की और प्रो. माधव शर्मा ने संचालन किया।
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