गोमती नदी में अब नहीं गिरेगा पुराने लखनऊ का सीवर

लक्ष्मण मेला पर 42 एमएलडी क्षमता का पम्पिंग स्टेशन चालू

गोमती नदी में अब नहीं गिरेगा पुराने लखनऊ का सीवर

लखनऊ, अमृत विचार: पुराने लखनऊ क्षेत्र के सीवर अब गोमती नदी में नहीं गिरेंगे। जल निगम द्वारा लक्ष्मण मेला स्थल पर स्थापित 42 मिलियन लीटर डेली (एमएलडी) क्षमता का पम्पिंग स्टेशन चालू हो गया है। इससे सीवर लाइन के माध्यम से गंदे पानी को पम्पिंग स्टेशन तक पहुंचाया जाएगा। पम्पिंग स्टेशन से सीवर का गंदा पानी शोधन के लिए भरवारा एसटीपी भेजा जाएगा। शोधित होने के बाद ही पानी को गोमती नदी में छोड़ा जाएगा। इससे गोमती नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाने में मदद मिलेगी।

पम्पिंग स्टेशन को रोज मिल रहा 12 एमएलडी सीवर का पानी
पुराने लखनऊ क्षेत्र के लगभग 22,000 घरों से लक्ष्मण मेला स्थित पम्पिंग स्टेशन को अभी प्रतिदिन 12 एमएलडी सीवर का गंदा पानी मिल रहा है। पुरानी और नई दोनों लाइनों से पम्पिंग स्टेशन तक जल निगम सीवर पम्पिंग स्टेशन तक पहुंचा रहा है। धीरे-धीरे क्षेत्र के कई और घरों को सीवरलाइन से जोड़ दिया जाएगा। इसके बाद पम्पिंग स्टेशन को और अधिक सीवर का पानी मिलने लगेगा।

अमीनाबाद क्षेत्र से दूर होगी ओवरफ्लो की समस्या
जल निगम ने नई सीवर लाइन में अमीनाबाद क्षेत्र का सीवर भी जोड़ दिया है। इससे अमीनाबाद में सीवर ओवरफ्लो की समस्या दूर होगी। अमीनाबाद क्षेत्र की संकरी गलियों में सीवर ओवरफ्लो की शिकायतें आ रही थीं। संकरी गलियों में सुएज इंडिया कंपनी सीवर की सफाई नहीं कर पा रही है। सीवर चोक होने से गंदगी गलियों में बहती थी।

32 नालों का पानी गोमती को कर रहा दूषित
हैदर कैनाल, पाटा नाला सहित शहर के लगभग 32 नाले गोमती नदी को प्रदूषित कर रहे हैं। राजधानी पहुंचते ही गोमती नदी का पानी काला दिखने लगता है, जबकि गऊघाट तक गोमती का पानी काफी साफ रहता है। प्रदूषण से स्थिति यह है कि गोमती की पानी पीना तो दूर नहाने योग्य तक नहीं है। सरकार नालों को गोमती में गिरने से रोकने के लिए एसटीपी बना रही है। जल्द ही हैदर कैनाल एसटीपी भी पूरी तरह चालू हो जाएगा। इससे गोमती में प्रदूषण का स्तर कम करने में और मदद मिलेगी।

लक्ष्मण मेला मैदान स्थित 42 एमएलडी क्षमता का पम्पिंग स्टेशन शुरू हो गया है। इससे पुराने लखनऊ क्षेत्र से आने वाला सीवर का गंदा पानी अब गोमती नदी में नहीं गिरेगा। पम्पिंग स्टेशन से शोधन के लिए इसे भरवारा एसटीपी भेज दिया जाएगा। शोधन के बाद पानी गोमती नदी में छोड़ दिया जाएगा।
अतहर, अधिशासी अभियंता, उप्र जल निगम

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