कासगंज में फर्जीवाड़ा, राजस्व परिषद के फर्जी आदेश से कलेक्ट्रेट में 24 कर्मियों ने पाई नौकरी
कासगंज, अमृत विचार: जहां एक ओर बेहतर कार्य करने के लिए एटा और कासगंज जिला सम्मानित होता रहा है। वहीं अब दोनों जिलों को बड़ी शर्मिंदगी महसूस करनी पड़ी है। इसके पीछे कारण है कि राजस्व परिषद के फर्जी आदेश से कलेक्ट्रेट पर 24 कर्मचारियों ने नौकरी हासिल कर ली। फर्जी आदेश से नौकरी करने के मामले में गोपनीय तरीके से एटा में हुई जांच के बाद जालसाज कर्मियों पर तलवार लटक गई। एटा में 13 कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई हुई है, जबकि कासगंज के 11 कर्मचारियों के विरुद्ध डीएम ने जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। अब हर किसी की निगाह जांच पर टिकी हैं।
वर्ष 1939 और 1995 में कासगंज तहसील एटा जिले की हिस्सा थी और मुख्यालय एटा कलेक्ट्रेट था। यहां सीजनल कर्मियों को विनियमित कर लिपिक बनाया गया था। यह सभी नौकरी करते रहे। जब वर्ष 2008 में कासगंज जिला बना, तो इन फर्जी 24 कर्मियों में 13 कर्मचारी एटा मुख्यालय में तैनात रहे। 11 कर्मी कासगंज के हिस्से में आए। इस मामले में कुछ साल पहले जांच शुरू हुई।
मामला शासन स्तर तक पहुंचा। एसआईटी की टीम गठित की गई। तमाम अनियमितता सामने आईं। आरोपी कर्मचारियों पर जब तलवार लटकी, तो अन्य साथियों से मिलकर हेराफेरी शुरू कर दी। पत्रावलियां गायब की गईं। 2023 में जांच पूरी हुई, तो पाया गया कि उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद के जिस आदेश के आधार पर यह नौकरी हासिल की गई। वह फर्जी निकला। इस पर एटा जिला प्रशासन ने स्थानीय स्तर पर गोपनीय तरीके से जांच कराई।
किसी को कानों-कान भनक नहीं लगने दी। पाया गया कि एटा कलेक्ट्रेट में तैनात रहे 13 कर्मचारियों में चार नौकरी पर हैं। अन्य सेवानिवृत हो गए। फर्जी आदेश पर नौकरी कर रहे चार कर्मचारी बर्खास्त कर दिए गए हैं। सेवानिवृतों से रिकवरी के आदेश बनाए गए हैं। वहीं एटा डीएम ने कासगंज डीएम को पत्र लिखा है। इस पर डीएम मेधा रूपम ने एडीएम राकेश पटेल के नेतृत्व में जांच कमेटी गठित कर दी है।
एटा जिलाधिकारी का पत्र मिलने के बाद जांच कमेटी गठित कर दी है। जांच में एडीएम, एडीजीसी, लेखा कार्य और एसडीएम को शामिल किया गया है- मेधा रूपम डीएम।
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