अस्पताल में नहीं खाली बेड, मरीजों को कर रहे रेफर, परेशान हो रहे मरीज

अस्पताल में नहीं खाली बेड, मरीजों को कर रहे रेफर, परेशान हो रहे मरीज

KGMU के ट्रॉमा सेंटर और लोहिया संस्थान से बलरामपुर अस्पताल रोजाना भेजे जा रहे 20 से अधिक गंभीर मरीज

लखनऊ, अमृत विचार: यह दो मामले महज बानगी भर है। ट्रॉमा सेंटर और लोहिया संस्थान से हर दिन जूनियर डॉक्टर 20 से अधिक मरीजों को बलरामपुर अस्पताल रेफर कर रहे हैं। पर्चे पर कभी नो बेड तो कभी नो ओटू लिखकर मरीज भेजे जा रहे हैं। रेफर होकर आने वाले कई मरीज असाध्य बीमारी से ग्रस्त होते हैं। जिनका इलाज जिला चिकित्सालय में संभव नहीं होता है। यहां पर मरीजों को भर्ती करके उन्हें प्राथमिक इलाज मुहैया कराया जाता है फिर उन्हें बड़े संस्थान ले जाने की सलाह दी जाती है। ऐसी स्थिति में गोल्डन ऑवर में गंभीर मरीज को इलाज नहीं मिल पा रहा। संतोषजनक इलाज न मिलने से आहत परिजन ने मंगलवार को एक महिला मरीज को बलरामपुर अस्पताल से लामा कराकर एम्बुलेंस से निजी अस्पताल लेकर चले गए।

अस्पताल गेट से शिफ्ट हो रहे मरीज
जानकारों का कहना है कि चिकित्सा संस्थानों से गंभीर मरीजों को बिना इलाज के रेफर करना उनके सेहत के लिए जोखिम भरा है। सीनियरों को यह समझना चाहिए कि मरीज को जिस अस्पताल के लिए रेफर कर रहे हैं उसे वहां इलाज मिल पायेगा या नहीं। इस स्थिति का फायदा निजी अस्पताल के बिचौलिए उठाते हैं। दूर दराज से आने वाले मरीजों के परिजन आसानी से उनके झांसे में फंस जाते हैं। इसके कारण निजी अस्पतालों में इलाज के अभाव में मरीजों की मौत होने की आये दिन घटनाएं हो रहीं हैं। बलरामपुर अस्पताल के गेट के पास सारा दिन मरीज शिफ्टिंग का खेल चलता रहता है।

केस- 1 : शाहजहांपुर की रहने वाली प्रियंका देवी (27) क्रॉनिक लिवर डिजिज से ग्रस्त हैं। सोमवार को हालत गंभीर होने पर परिजन ट्रॉमा सेंटर ले गए। वहां पर पहले डॉक्टरों ने ऑक्सीजन बेड खाली न होने की बात कहकर बलरामपुर अस्पताल रेफर कर दिया। परिजन पूरी रात मरीज को लेकर रैन बसेेरे में पड़े रहे। मंगलवार सुबह उसे बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया है। अहम बात यह है बलरामपुर अस्पताल में कोई गैस्ट्रो विशेषज्ञ नहीं है। ऐसे में मरीज का पूरा इलाज मुश्किल है।

केस-2 : सीतापुर से आए मरीज रामविलास को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत थी। परिजन मरीज को लेकर केजीएमयू गए। जूनियर डॉक्टरों ने पर्चे पर नो बेड ओटू लिखकर बलरामपुर अस्पताल रेफर कर दिया। बलरामपुर अस्पताल में विशेषज्ञ न होने से परिजनों ने मरीज को निजी अस्पताल में भर्ती कराया।

जितने संसाधन हैं उनके हिसाब से सभी को इलाज मुहैया कराया जाता है। किसी भी गंभीर मरीज को बिना इलाज के लौटाया नहीं जाता। यदि जूनियर डॉक्टर ऐसा कर रहे हैं तो इसकी जांच कराई जाएगी।
- डॉ. सुधीर सिंह, प्रवक्ता केजीएमयू

रेफर होकर जो भी मरीज आते हैं कोशिश रहती है कि उन्हें समुचित इलाज मिले। यदि कोई अपनी मर्जी से मरीज को निजी अस्पताल ले जाना चाहता है तो उसे रोका भी नहीं जा सकता।
-डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक बलरामपुर अस्पताल

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